ई.पू.
359 में उत्तर ग्रीस में मकदूनिया नाम का एक शक्तिशाली राज्य उभर रहा था। फिलिप वहाँ का सम्राट् हुआ। अन्य ग्रीकी नगरराज्यों से मकदूनिया विजयी हुआ। कोरिंथ और थीबीज सैनिक अड्डे बन गए। फिलिपकी हत्या के बाद उसका पुत्र सिकंदर महान मकदूनिया का सम्राट बना।
सिकंदर ने सारे बिखरे हुए ग्रीस को अपने झंडे के नीचे एकत्र कर लिया। यह अन्य राज्यों की जीतता हुआ पंजाब (भारत) आकर लौट गया। 323 में बैबिलोन (काबुल) में उसी मृत्यु हुई। वह संपूर्ण विश्व में एक राज्य और एक संस्कृति देखने का इच्छुक था। पर सिकंदर की मृत्यु पर उसका विस्तृत साम्राज्य छिन्न भिन्न हो गया। संघर्षो की लंबी श्रृखंला में तीन शक्तिशाली हेलेनी राज्य- ऐंटोगोनस् के नेतृत्व में मकदूनिया, सेल्यूकिदों के नेतृत्व में एशिया माइनर तथा सीरिया और तोल्मियों के नेतृत्व में मिस्त्र उदित हुए। दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में एपिसर के सम्राट् पाइसर ने रोमनों के विरुद्ध इटली पर आक्रमण किया। मकदूनिया के सम्राट् फिलिप ने इस युद्ध में हस्तक्षेप किया था। इस घटना को प्रथम मकदूनियाई युद्ध कहा जाता है। द्वितीय मकदूनियाई युद्ध (201-197 ) में फिलिप की पराजय हुई। ग्रीस के अन्य राज्य रोमनों ने फिलिप के अधिकार से मुक्त करवा दिए। 192 से 189 तक स्थिति बदल गई। इतालियों और रोमनों के बीच युद्ध में फिलिप ने रोमनों का साथ दिया। किंतु परिस्थितियाँ इस प्रकार उत्पन्न होती गईं कि मकदूनियाँ ने दो युद्ध और लड़े। 146 में यह रोम से भी पराजित हुआ। रोम से सारे ग्रीस को केंद्रित कर मकदूनिया में शासक नियुक्त किया।
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