राजस्थान भारत गणराज्य का क्षेत्रफल के आधार पर सबसे बड़ा राज्य है। प्रसिद्ध इतिहासकार जेम्स टाड ने एनलस एंड एन्टीक्वीटीज आफ राजस्थान में इस राज्य का नाम रायथान या राजस्थान रखा। यहां मुख्य राजपूत जाति के लोग है इस राज्य की एक अंतरराष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान के साथ 1070 km जिसे रेड क्लिफ रेखा के नाम से जानते है, तथा 4850 km अंतर्राज्यीय सीमा जो देश के अन्य पाँच राज्यों से भी जुड़ा है।इसके दक्षिण-पश्चिम में गुजरात, दक्षिण-पूर्व में मध्यप्रदेश, उत्तर में पंजाब (भारत), उत्तर-पूर्व में उत्तरप्रदेश और हरियाणा है। राज्य का क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि॰मी॰ (132140 वर्ग मील) है। 2011 गणना के अनुसार राजस्थान की साक्षरता दर 66.1 % हैं।
राजस्थान | |
---|---|
{{{type}}} | |
| |
निर्देशांक (जयपुर): 26°36′N 73°48′E / 26.6°N 73.8°E 73°48′E / 26.6°N 73.8°E | |
देश | भारत |
गठन | 30 मार्च 1949 |
राजधानी | जयपुर |
शासन | |
• सभा | राजस्थान सरकार |
• राज्यपाल | कलराज मिश्रा |
• मुख्यमंत्री | श्री भजन लाल शर्मा (भाजपा) |
• उप मुख्यमंत्री | सुश्री दिया कुमारी (भाजपा) श्री प्रेमचद्र बैरवा (भाजपा) |
• संसदीय क्षेत्र | राज्य सभा (10 सीटें) लोक सभा (25 सीटें) |
• उच्च न्यायालय | राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर |
क्षेत्र | 342239 किमी2 (1,32,139 वर्गमील) |
क्षेत्र दर्जा | प्रथम |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 6,85,48,437 |
• दर्जा | ७वाँ |
• घनत्व | 200 किमी2 (520 वर्गमील) |
GSDP (2022–23) | |
• कुल | ₹14.13 लाख करोड़ (US$180 बिलियन) |
• प्रति व्यक्ति | ₹1,56,149 (US$2,279.78) |
भाषाएं | |
• राजभाषा | हिन्दी |
• अतिरिक्त आधिकारिक | अंग्रेज़ी |
• क्षेत्रीय | मारवाड़ी राजस्थानी,मेवाड़ी , बागड़ी, मेवाती, हाड़ौती, ढूंढ़ाडी, |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+05:30) |
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोड | IN-RJ |
वाहन पंजीकरण | RJ |
मानव विकास सूचकांक (2018) | 0.629 medium · 29वां |
साक्षरता (2011) | 66.1% |
लिंगानुपात (2011) | 928 ♀/1000 ♂ |
वेबसाइट | Rajasthan.gov.in |
राज्य की राजधानी जयपुर हैं। भौगोलिक विशेषताओं में पश्चिम में थार मरुस्थल और घग्गर नदी का अंतिम छोर है। विश्व की पुरातन श्रेणियों में प्रमुख अरावली श्रेणी राजस्थान की एक मात्र पर्वत श्रेणी है, जो कि पर्यटन का केन्द्र है, माउंट आबू और विश्वविख्यात देलवाड़ा मंदिर सम्मिलित करती है। राजस्थान में तीन(रामगढ़ विषधारी के जुड़ने के बाद चार )बाघ अभयारण्य, मुकंदरा हिल्स राजस्थान में भरतपुर जिले से डीग तहसील को जिला बनाया गया ,अब डीग जिला राजस्थान का नया जिला होगा और भी नए जिले बनाए गए Archived 2024-01-27 at the वेबैक मशीन ।
प्राचीन समय में राजस्थान में आदिवासी कबीलों का शासन था। 2500 ईसा पूर्व से पहले राजस्थान बसा हुआ था और उत्तरी राजस्थान में सिंधु घाटी सभ्यता की नींव रखी थी। भील और मीना जनजाति इस क्षेत्र में रहने के लिए सबसे पहले आए थे। संसार के प्राचीनतम साहित्य में अपना स्थान रखने वाले आर्यों के धर्मग्रंथ ऋग्वेद में मत्स्य जनपद का उल्लेख आया है, जो कि वर्तमान राजस्थान के स्थान पर अवस्थित था। महाभारत कथा में भी मत्स्य नरेश विराट का उल्लेख आता है, जहाँ पांडवों ने अज्ञातवास बिताया था। करीब 13 वी शताब्दी के पूर्व तक पूर्वी राजस्थान और हाड़ौती पर गुर्जर सरदारों मीणा तथा दक्षिण राजस्थान पर भील राजाओं का शासन था उसके बाद मध्यकाल में राजपूत जाति के विभिन्न वंशों ने इस राज्य के विविध भागों पर अपना BANAYA, तो उन भागों का नामकरण अपने-अपने वंश, क्षेत्र की प्रमुख बोली अथवा स्थान के अनुरूप कर दिया। ये राज्य थे- चित्तौडगढ, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, जोधपुर, बीकानेर, किशनगढ़, (जालोर) सिरोही, कोटा, बूंदी, जयपुर, अलवर, करौली, झालावाड़ , मेरवाड़ा और टोंक(मुस्लिम पिण्डारी) राजा महाराणा प्रतापऔर महाराणा सांगा,महाराजा सूरजमल, महाराजा जवाहर सिंह, वीर तेजाजी अपनी असाधारण राज्यभक्ति और शौर्य के लिये जाने जाते है। पन्ना धाय जैसी बलिदानी माता, मीरां जैसी जोगिन यहां की एक बड़ी शान है।कर्मा बाई जैसी भक्तणी जिसने भगवान जगन नाथ जी को हाथों से खीचड़ा (खिचड़ी) खिलाया था। इन राज्यों के नामों के साथ-साथ इनके कुछ भू-भागों को स्थानीय एवं भौगोलिक विशेषताओं के परिचायक नामों से भी पुकारा जाता रहा है। पर तथ्य यह है कि राजस्थान के अधिकांश तत्कालीन क्षेत्रों के नाम वहां बोली जाने वाली प्रमुखतम बोलियों पर ही रखे गए थे। उदाहरणार्थ ढ़ूंढ़ाडी-बोली के इलाकों को ढ़ूंढ़ाड़ (जयपुर) कहते हैं। 'मेवाती' बोली वाले निकटवर्ती भू-भाग अलवर को 'मेवात', उदयपुर क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली 'मेवाड़ी' के कारण उदयपुर को मेवाड़, ब्रजभाषा-बाहुल्य क्षेत्र को 'ब्रज', 'मारवाड़ी' बोली के कारण बीकानेर-जोधपुर इलाके को 'मारवाड़' और 'वागडी' बोली पर ही डूंगरपुर-बांसवाडा आदि को 'वागड' कहा जाता रहा है। डूंगरपुर तथा उदयपुर के दक्षिणी भाग में प्राचीन 56 गांवों के समूह को "छप्पन" नाम से जानते हैं। माही नदी के तटीय भू-भाग को 'कोयल' तथा अजमेर-मेरवाड़ा के पास वाले कुछ पठारी भाग को 'उपरमाल' की संज्ञा दी गई है। जरगा और रागा के पहाड़ी भाग हमेशा हरे भरे रहते हैं इसलिए इसे देशहरो कहते है।
राजस्थान भारत का एक महत्वपूर्ण प्रांत है। यह 15 मार्च 1949 को भारत का एक ऐसा प्रांत बना, जिसमें तत्कालीन राजपूताना की ताकतवर रियासतें विलीन हुईं। राजस्थान के एकीकरण के समय राजस्थान में 19 रियासतें व तीन ठिकाने लावा नीमराणा व कुशलगढ़ थे इसमें से 16 क्षत्रियों (राजपूतों)शासकों की व टोंक मुस्लिम रियासत थी। भरतपुर और धौलपुर के जाट शासक ने भी अपनी रियासत के विलय राजस्थान में किया था। राजस्थान शब्द का अर्थ है: 'राजाओं का स्थान' राजाओं से रक्षित भूमि थी। इस कारण इसे राजस्थान कहा गया था। भारत के संवैधानिक-इतिहास में राजस्थान का निर्माण एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। ब्रिटिश शासकों द्वारा भारत को आजाद करने की घोषणा करने के बाद जब सत्ता-हस्तांतरण की कार्यवाही शुरू की, तभी लग गया था कि आजाद भारत का राजस्थान प्रांत बनना तत्कालीन हिस्से का भारत में विलय एक दूभर कार्य साबित हो सकता है। आजादी की घोषणा के साथ ही देशी रियासतों के मुखियाओं में स्वतंत्र राज्य में भी अपनी सत्ता बरकरार रखने की होड़ सी मच गयी थी, उस समय वर्तमान राजस्थान की भौगालिक स्थिति के नज़रिए से देखें तो इस भूभाग में कुल बाईस देशी रियासतें थी। इनमें एक रियासत अजमेर-मेरवाडा प्रांत को छोड़ कर शेष देशी रियासतों पर देशी राजा महाराजाओं का ही राज था। अजमेर-मेरवाडा प्रांत पर ब्रिटिश शासकों का कब्जा था; इस कारण यह तो सीधे ही स्वतंत्र भारत में आ जाती, मगर शेष इक्कीस रियासतों का विलय होना यानि एकीकरण कर 'राजस्थान' नामक प्रांत बनाया जाना था। सत्ता की होड़ के चलते यह बड़ा ही दूभर लग रहा था, क्योंकि इन देशी रियासतों के शासक अपनी रियासतों के स्वतंत्र भारत में विलय को दूसरी प्राथमिकता के रूप में देख रहे थे। उनकी मांग थी कि वे सालों से खुद अपने राज्यों का शासन चलाते आ रहे हैं, उन्हें इसका दीर्घकालीन अनुभव है, इस कारण उनकी रियासत को 'स्वतंत्र राज्य' का दर्जा दे दिया जाए। करीब एक दशक की ऊहापोह के बीच 18 मार्च 1948 को शुरू हुई राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया कुल सात चरणों में एक नवंबर 1956 को पूरी हुई। जिसमे राजस्थान में 26 जिले सम्मिलित थे इसमें भारत सरकार के तत्कालीन देशी रियासत और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके सचिव वी॰ पी॰ मेनन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। इनकी सूझबूझ से ही राजस्थान के वर्तमान स्वरुप का निर्माण हो सका। राजस्थान में कुल 21 राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं।
राजस्थान की आकृति लगभग पतंगाकार है। राज्य २३ ३ से ३० १२ अक्षांश और ६९ ३० से ७८ १७ देशान्तर के बीच स्थित है। इसके उत्तर में पाकिस्तान, पंजाब और हरियाणा, दक्षिण में मध्यप्रदेश और गुजरात, पूर्व में उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश एवं पश्चिम में पाकिस्तान हैं।
सिरोही से अलवर की ओर जाती हुई ४८० कि॰मी॰ लम्बी अरावली पर्वत शृंखला प्राकृतिक दृष्टि से राज्य को दो भागों में विभाजित करती है। राजस्थान का पूर्वी सम्भाग शुरू से ही उपजाऊ रहा है। इस भाग में वर्षा का औसत ५० से.मी. से ९० से.मी. तक है। राजस्थान के निर्माण के पश्चात् चम्बल और माही नदी पर बड़े-बड़े बांध और विद्युत गृह बने हैं, जिनसे राजस्थान को सिंचाई और बिजली की सुविधाएं उपलब्ध हुई है। अन्य नदियों पर भी मध्यम श्रेणी के बांध बने हैं, जिनसे हजारों हैक्टर सिंचाई होती है। इस भाग में ताम्बा, जस्ता, अभ्रक, पन्ना, घीया पत्थर और अन्य खनिज पदार्थों के विशाल भण्डार पाये जाते हैं।
राज्य का पश्चिमी भाग देश के सबसे बड़े रेगिस्तान "थार" या 'थारपाकर' का भाग है। इस भाग में वर्षा का औसत १२ से.मी. से ३० से.मी. तक है। इस भाग में लूनी, बांड़ी आदि नदियां हैं, जो वर्षा के कुछ दिनों को छोड़कर प्राय: सूखी रहती हैं। देश की स्वतंत्रता से पूर्व बीकानेर राज्य गंगानहर द्वारा पंजाब की नदियों से पानी प्राप्त करता था। स्वतंत्रता के बाद राजस्थान इंडस बेसिन से रावी और व्यास नदियों से ५२.६ प्रतिशत पानी का भागीदार बन गया। उक्त नदियों का पानी राजस्थान में लाने के लिए सन् १९५८ में 'राजस्थान नहर' (अब इंदिरा गांधी नहर) की विशाल परियोजना शुरू की गई। जोधपुर, बीकानेर, चूरू एवं बाड़मेर जिलों के नगर और कई गांवों को नहर से विभिन्न लिफ्ट परियोजनाओं से पहुंचाये गये पीने का पानी उपलब्ध होगा। खारी नदी उदयपुर और अजमेर मेरवाङा की सीमा रेखा थी। पश्चिमी राजस्थान यानी मारवाड़ को मरूकान्इतर भी कहा जाता है। इस प्रकार राजस्थान के रेगिस्तान का एक बड़ा भाग अन्तत: शस्य श्यामला भूमि में बदल जायेगा। सूरतगढ़ जैसे कई इलाको में यह नजारा देखा जा सकता है।
गंगा बेसिन की नदियों पर बनाई जाने वाली जल-विद्युत योजनाओं में भी राजस्थान भी भागीदार है। इसे इस समय भाखरा-नांगल और अन्य योजनाओं के कृषि एवं औद्योगिक विकास में भरपूर सहायता मिलती है। राजस्थान नहर परियोजना के अलावा इस भाग में जवाई नदी पर निर्मित एक बांध है, जिससे न केवल विस्तृत क्षेत्र में सिंचाई होती है, वरन् जोधपुर नगर को पेयजल भी प्राप्त होता है। यह सम्भाग अभी तक औद्योगिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। पर उम्मीद है, इस क्षेत्र में ज्यो-ज्यों बिजली और पानी की सुविधाएं बढ़ती जायेंगी औद्योगिक विकास भी गति पकड़ लेगा। इस बाग में लिग्नाइट, फुलर्सअर्थ, टंगस्टन, बैण्टोनाइट, जिप्सम, संगमरमर आदि खनिज प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। बाड़मेर क्षेत्र में सिलिसियस अर्थ और कच्चा तेल के भंडार प्रचुर मात्रा में हैं। हाल ही की खुदाई से पता चला है कि इस क्षेत्र में उच्च किस्म की प्राकृतिक गैस भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। अब वह दिन दूर नहीं, जबकि राजस्थान का यह भाग भी समृद्धिशाली बन जाएगा।
राज्य का क्षेत्रफल ३.४२ लाख वर्ग कि.मी है जो भारत के कुल क्षेत्रफल का १०.४० प्रतिशत है। यह भारत का सबसे बड़ा राज्य है। वर्ष १९९६-९७ में राज्य में गांवों की संख्या ३७८८९ और नगरों तथा कस्बों की संख्या २२२ थी। राज्य में ३३ जिला परिषदें, २३५ पंचायत समितियां और ९१२५ ग्राम पंचायतें हैं। नगर निगम ४ और सभी श्रेणी की नगरपालिकाएं १८० हैं।
सन् १९९१ की जनगणना के अनुसार राज्य की जनसंख्या ४.३९ करोड़ थी। जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग कि॰मी॰ १२६ है। इसमें पुरुषों की संख्या २.३० करोड़ और महिलाओं की संख्या २.०९ करोड़ थी। राज्य में दशक वृद्धि दर २८.४४ प्रतिशत थी, जबकि भारत में यह औसत दर २३.५६ प्रतिशत थी। राज्य में साक्षरता ३८.८१ प्रतिशत थी। जबकि भारत की साक्षरता तो केवल २०.८ प्रतिशत थी जो देश के अन्य राज्यों में सबसे कम थी। राज्य में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति राज्य की कुल जनसंख्या का क्रमश: १७.२९ प्रतिशत और १२.४४ प्रतिशत है।
राजस्थान की जलवायु शुष्क से उप-आर्द्र मानसूनी जलवायु है। अरावली के पश्चिम में न्यून वर्षा, उच्च दैनिक एवं वार्षिक तापान्तर, निम्न आर्द्रता तथा तीव्र हवाओं युक्त शुष्क जलवायु है। दूसरी ओर अरावली के पूर्व में अर्धशुष्क एवं उप-आर्द्र जलवायु है। अक्षांशीय स्थिति, समुद्र से दूरी, समुद्र तल से ऊंचाई, अरावली पर्वत श्रेणियों की स्थिति एवं दिशा, वनस्पति आवरण आदि सभी यहाँ की जलवायु को प्रभावित करते हैं।
राजस्थान के प्रथम व्यक्तित्व:-
मुख्य लेख : राजस्थान की महत्वपूर्ण कला-संस्कृति इकाइयां
आरटीडीसी - राजस्थान पर्यटन विकास निगम लिमिटेड राजस्थान की सभी पर्यटन सम्बंधित जानकारी एवं सेवा उपलब्धि कराती है | पूरे भारत वर्ष में सबसे ज्यादा पह्माणे में विदेशी पर्यटन सिर्फ राजस्थान आते है जो की भारत देश की संस्कृति, कला , वेश भूषा , आस्था का रूप है | राजस्थान पर्यटन विभाग राजस्थान के सभी प्रसिद्द राज महल, मंदिर, लोक कला, टाइगर रिसॉर्ट्स , होटल्स जैसी सभी सेवाएं पर्यटकों को उपलब्ध कराती है । चन्द्रशेखर के सुर्जनचरित्र से चौहान वंश के इतिहास पर प्रकाश डाला गया है। ब्रह्मगुप्त ने ध्यान गृह की रचना थी। अलउतबी के तारीखएयामिनी,मिनहाज उस सिराज के तबकात ए नासिरी मे यमन -राजपूत संघर्ष का वर्णन है।
1. इस शहर की स्थापना महाराजा बूंदा मीणा द्वारा की गई थी।
2. जैत सागर झील : बूंदी के शासक जैता मीणा द्वारा बनवाई गई थी।
बनवाई गई झील
बाड़मेर १. गुर्जर शैली किराडू मंदिर २.जूना ३.विरात्रा माता मंदिर
यह राजस्थान का सबसे प्राचीन एवं सुसंगठित उद्योग है। राजस्थान में सबसे पहले १८८९ में द कृष्णा मिल्स लिमिटेड की स्थापना देशभक्त सेठ दामोदर दास ने ब्यावर नगर में की थी। यह राजस्थान की पहली सूती वस्त्र मिल थी।
सार्वजनिक क्षेत्र में तीन मिल है-
राजस्थान में सहकारी सूती मिल है -
प्रमुख निजी सूती मिल
राजस्थान में सर्वप्रथम चित्तौड़गढ़ ज़िले में भोपालसागर नगर में चीनी मिल द मेवाड़ सुगर मिल्स के नाम से सन् १९३२ में प्रारम्भ की गई। दूसरा कारखाना सन् १९३७ में श्रीगंगानगर में द श्रीगंगानगर सुगर मिल्स के नाम से स्थापित हुआ। इसमें मिल में शक्कर बनाने का कार्य १९४६ में प्रारम्भ हुआ। १९५६ में इस चीनी मिल को राज्य सरकार ने अधिगृहीत कर लिया तथा यह सार्वजनिक क्षेत्र में आ गई।
१९६५ में बूंदी ज़िले के केशोराय पाटन में चीनी मिल सहकारी क्षेत्र में स्थापित की गई। वर्तमान में बंद है
सन् १९७६ में उदयपुर में चीनी मिल निजी क्षेत्र में स्थापित की गई।
चुकन्दर से चीनी बनाने के लिए श्रीगंगानगर सुगर मिल्स लिमिटेड में एक योजना १९६८ में आरम्भ की गई थी।
चीनी उद्योग
सीमेन्ट उद्योग की दृष्टि से 'राजस्थान का पूरे भारत में प्रथम स्थान है। यहां पर सर्वप्रथम १९०४ में समुद्री सीपियों से सीमेन्ट बनाने का प्रयास किया गया था। १९१५ ई. राजस्थान में लाखेरी, बूंदी में क्लिक निक्सन कम्पनी द्वारा सर्वप्रथम एक सीमेन्ट संयंत्र स्थापित किया गया। १९१७ में इस कारखाने में सीमेन्ट बनाने का कार्य प्रारम्भ किया गया।
राजस्थान में काँच प्राप्ति के मुख्य स्थल जयपुर, बीकानेर, बूंदी तथा धौलपुर ज़िले है जहां उपयुक्त रूप से काँच की प्राप्ति होती है। द हाई टेक्निकल प्रीसीजन ग्लास वर्क्स सार्वजनिक क्षेत्र में धौलपुर में राजस्थान सरकार का उपक्रम है जो श्रीगंगानगर सुगर मिल्स के अधीन है। काँच उद्योग के मामले में राजस्थान उत्तर प्रदेश के बाद दुसरे स्थान पर है।
संपूर्ण भारतवर्ष में 42% ऊन राजस्थान से उत्पादित होती है। इस कारण राजस्थान भर में कई ऊन उद्योग की मिलें विद्यमान है जिसमें स्टेट वूलन मिल्स (बीकानेर ), जोधपुर ऊन फैक्ट्री, विदेशी आयात - निर्यात संस्था, कोटा इत्यादि है।
नामकरण :
- राजस्थान शब्द का प्राचीनतम प्रयोग ‘राजस्थानीयादित्य‘ वि.सं. 682 में उत्कीर्ण बसंतगढ़ (सिरोही) के शिलालेख में मिलता है।
- ‘मुहणोत नैणसी की ख्यात‘ व वीरभान के ‘राजरूपक‘ में राजस्थान शब्द का प्रयोग हुआ। यह शब्द भौगोलिक प्रदेश राजस्थान के लिए प्रयुक्त हुआ नहीं लगता। अर्थात् राजस्थान शब्द के प्रयोग के रूप में कर्नल जेम्स टॉड को ही श्रेय दिया जाता है।
स्थिति :
विस्तार - उ. से द. तक लम्बाई 826 कि.मी. तथा विस्तार उतर में कोणा गाँव (गंगानगर) से दक्षिण में बोरकुंड गाँव (बांवाङ़ा) तक है।
राजस्थान (जिला) राजस्थान के नए जिलों की सूची
अनूपगढ़, बालोतरा, ब्यावर, डीग, डीडवाना-कुचामन सिटी, दूदू, गंगापुर सिटी, जयपुर शहरी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर शहरी, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, कोटपुतली- बहरोड़, खैरथल, नीमकाथाना, फलौदी, सलूम्बर, सांचौर, शाहपुरा (भीलवाड़ा)। बांसवाड़ा, पाली, सीकर नए संभाग बनाए गए हैं ।
For secondary data and photo contact [Mob.9414498867]
This article uses material from the Wikipedia हिन्दी article राजस्थान, which is released under the Creative Commons Attribution-ShareAlike 3.0 license ("CC BY-SA 3.0"); additional terms may apply (view authors). उपलब्ध सामग्री CC BY-SA 4.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। Images, videos and audio are available under their respective licenses.
®Wikipedia is a registered trademark of the Wiki Foundation, Inc. Wiki हिन्दी (DUHOCTRUNGQUOC.VN) is an independent company and has no affiliation with Wiki Foundation.