सहजन: पेड़ का एक प्रकार

सहजन (वानस्पतिक नाम : मोरिंगा ओलिफेरा, Moringa oleifera) एक बहु उपयोगी पेड़ है। इसे हिन्दी में सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा आदि नामों से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे, ड्रमस्टिक ट्री भी कहते हैं। यह तेजी से बढ़ने वाला, सूखा से प्रभावित न होने वाला, मैरिनोग्रेसी कुल का पादप है। यह भारतीय उपमहाद्वीप का देशज है तथा दक्षिण अशिया एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में इसका बहुतायत में उपयोग किया जाता है। इस पेड़ के विभिन्न भाग अनेकानेक पोषक तत्वों से भरपूर पाये गये हैं, इसलिये इसके विभिन्न भागों का विविध प्रकार से उपयोग किया जाता है। इसकी हरी फलियाँ तथा पत्तियाँ सब्जी एवं पारम्परिक औषधि के रूप में प्रयुक्त होतीं हैं। यद्यपि इस पादप अनेक देशों में को एक 'आक्रमणकारी जाति' के रूप में सूचीबद्ध किया गया है किन्तु इसे किसी देशज प्रजाति पर किसी तरह का 'आक्रमण' करते नहीं देखा गया है।

पुष्प एवं फली सहित सहजन की डाली
पुष्प एवं फली सहित सहजन की डाली

सहजन वृक्ष का पालन पोषण

सहजन: सहजन वृक्ष का पालन पोषण, पौधे का वर्णन, पोषक तत्व 
सहजन और इसकी फलियाँ
सहजन: सहजन वृक्ष का पालन पोषण, पौधे का वर्णन, पोषक तत्व 
बाजार में बेचने के लिये रखी गयीं सहजन की फलियाँ

इस वृक्ष के पालन पोषण के लिए आपको निम्नलिखित चरणों का पालन करना चाहिए:

    उपयुक्त भूमि का चयन करें

सहजन वृक्ष धार्मिक रूप से प्रतिस्पर्धी होता है और इसलिए आपको उसे उचित जल्दबाजी देने के लिए समुचित भूमि का चयन करना होगा। सहजन के लिए उपयुक्त भूमि में अच्छा संपादन, निराई, और अच्छी निष्पादन क्षमता होनी चाहिए।

    बीजों का चयन करें

अच्छे गुणवत्ता वाले और प्रमाणित बीजों का चयन करें। सहजन के लिए ज्यादातर ग्रेड A या प्रमाणित बीज उपलब्ध होते हैं। बीजों को जल्दी निकालने और उन्हें धूप में सुखाने के बाद उपयोग करें।

    सहजन की रोपण करें

सहजन की खेती के लिए वृक्षों को अंतरालों के साथ रोपण करें। आप छाछ या उर्वरक का उपयोग करके जल देने के पश्चात रोपण कर सकते हैं। आपको सहजन को प्रत्येक वृक्ष के बासे के चारों ओर 2-3 फुट गहराई में रोपण करना चाहिए।

    नियमित रूप से सिंचाई करें

सहजन की खेती के दौरान नियमित रूप से सिंचाई करें। यह विशेष रूप से सूखे मौसम में जरूरी होता है। यदि आपके प्रदेश में वर्षा पर्याप्त नहीं होती है, तो एक सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें जो वृक्षों को पानी पहुंचाती हो।

    खरपतवार संचालन करें

सहजन की खेती में खरपतवार संचालन करना महत्वपूर्ण होता है। नियमित रूप से वृक्षों के आसपास की जमीन को साफ और खरपतवार मुक्त रखें। इसके अलावा, विषाणुरोधी औषधि का उपयोग करके कीटों और रोगों के प्रभावों से बचाव करें।

    उचित फसल संयंत्रण करें

सहजन की खेती में उचित फसल संयंत्रण करना जरूरी होता है ताकि वृक्षों को ठीक से विकसित होने में मदद मिले। सहजन को पूरे संगठन में ठीक से स्थापित करने के लिए आपको नियमित तौर पर पोधों को प्रशिक्षित करना चाहिए।

    प्रकृति का संरक्षण करें

अपनी सहजन खेती में प्रकृति संरक्षण को महत्व दें। पेड़-पौधों को काटने या नष्ट करने के बजाय उन्हें संरक्षित रखें और पर्यावरण की देखभाल करें।

यदि आप सहजन की खेती करने से पहले अधिक विस्तृत जानकारी चाहते हैं, तो स्थानीय कृषि विभाग, कृषि विशेषज्ञ या किसानों से सलाह लेना उचित होगा।

सहजन: सहजन वृक्ष का पालन पोषण, पौधे का वर्णन, पोषक तत्व 
सहजन की कच्ची पत्तियों

इसकी पत्तियों और फली की सब्जी बनती है। इसका उपयोग जल को स्वच्छ करने के लिये तथा हाथ की सफाई के लिये भी उपयोग किया जा सकता है। इसका कभी-कभी जड़ी-बूटियों में भी उपयोग होता है।

पौधे का वर्णन

इसका पौधा लगभग १० मीटर उँचाई वाला होता है किन्तु लोग इसे डेढ़-दो मीटर की ऊँचाई से प्रतिवर्ष काट देते हैं ताकि इसके फल-फूल-पत्तियों तक हाथ सरलता से पहुँच सके। इसके कच्ची-हरी फलियाँ सर्वाधिक उपयोग में लायी जातीं हैं।

पोषक तत्व

सहजन की कच्ची पत्तियों में
पोषक मूल्य प्रति 100 ग्रा.(3.5 ओंस)
उर्जा 0 किलो कैलोरी   0 kJ
कार्बोहाइड्रेट     8.28 g
- आहारीय रेशा  2.0 g  
वसा 1.40 g
प्रोटीन 9.40 g
पानी 78.66 g
विटामिन A equiv.  378 μg  42%
थायमीन (विट. B1)  0.257 mg   20%
राइबोफ्लेविन (विट. B2)  0.660 mg   44%
नायसिन (विट. B3)  2.220 mg   15%
पैंटोथैनिक अम्ल (B5)  0.125 mg  3%
विटामिन B6  1.200 mg 92%
फोलेट (Vit. B9)  40 μg  10%
विटामिन C  51.7 mg 86%
कैल्शियम  185 mg 19%
लोहतत्व  4.00 mg 32%
मैगनीशियम  147 mg 40% 
मैगनीज़  0.36 mg 18% 
फॉस्फोरस  112 mg 16%
पोटेशियम  337 mg   7%
सोडियम  9 mg 0%
जस्ता  0.6 mg 6%
प्रतिशत एक वयस्क हेतु अमेरिकी
सिफारिशों के सापेक्ष हैं.
स्रोत: USDA Nutrient database
सहजन के फलियों में
पोषक मूल्य प्रति 100 ग्रा.(3.5 ओंस)
उर्जा 0 किलो कैलोरी   0 kJ
कार्बोहाइड्रेट     8.53 g
- आहारीय रेशा  3.2 g  
वसा 0.20 g
प्रोटीन 2.10 g
पानी 88.20 g
विटामिन A equiv.  4 μg  0%
थायमीन (विट. B1)  0.0530 mg   4%
राइबोफ्लेविन (विट. B2)  0.074 mg   5%
नायसिन (विट. B3)  0.620 mg   4%
पैंटोथैनिक अम्ल (B5)  0.794 mg  16%
विटामिन B6  0.120 mg 9%
फोलेट (Vit. B9)  44 μg  11%
विटामिन C  141.0 mg 235%
कैल्शियम  30 mg 3%
लोहतत्व  0.36 mg 3%
मैगनीशियम  45 mg 12% 
मैगनीज़  0.259 mg 13% 
फॉस्फोरस  50 mg 7%
पोटेशियम  461 mg   10%
सोडियम  42 mg 2%
जस्ता  0.45 mg 5%
प्रतिशत एक वयस्क हेतु अमेरिकी
सिफारिशों के सापेक्ष हैं.
स्रोत: USDA Nutrient database

सहजन के लगभग सभी अंग (पत्ती, फूल, फल, बीज, डाली, छाल, जड़ें, बीज से प्राप्त तेल आदि) खाये जाते हैं।

विश्व के कुछ भागों में नयी फलियाँ खाने की परम्परा है जबकि दूसरे भागों में पत्तियाँ अधिक पसन्द की जातीं हैं। इसके फूलों को पकाकर खाया जायता है और इनका स्वाद खुम्भी (मशरूम) जैसा बताया जाता है। अनेक देशों में इसकी छाल, रस, पत्तियों, बीजों, तेल, और फूलों से पारम्परिक दवाएँ बनायी जाती है। जमैका में इसके रस से नीली डाई (रंजक) के रूप में उपयोग किया जाता है। दक्षिण भारतीय व्यंजनों में इसका प्रयोग बहुत किया जाता है। मोरिंगा ,drumstick या सहजन[मृत कड़ियाँ] आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है।

इस में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं। इसमें 90 तरह के मल्टीविटामिन्स, 45 तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, 35 तरह के दर्द निवारक गुण और 17 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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