वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली

वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली, (सामान्य वर्तनी:वेस्टमिंस्टर प्रणाली) शासन की एक लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली है, जो सैकड़ों वर्षों के काल में, संयुक्त अधिराज्य (UK) में विकसित हुई थी। इस व्यवस्था का नाम, लंदन के पैलेस ऑफ़ वेस्टमिन्स्टर से आता है, जो ब्रिटिश संसद का सभास्थल है। वर्तमान समय में, विश्व के अन्य कई देशों में इस प्रणाली पर आधारित या इससे प्रभावित शासन-व्यवस्थाएँ स्थापित हैं। ब्रिटेन और राष्ट्रमण्डल प्रजाभूमियों के अलावा, ऐसी व्यवस्थाओं को विशेषतः पूर्व ब्रिटिश उपनिवेशों के शासन-व्यवस्था में देखा जा सकता है।

वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली
लंदन में थेम्स नदी के किनारे स्थित, वेस्टमिंस्टर महल, ब्रिटिश संसद का सभास्थल

वेस्टमिंस्टर प्रणाली की सरकारें, विशेष तौर पर राष्ट्रमंडल देशों में देखीं जा सकती हैं। इसकी शुरुआत, सबसे पहले कनाडा प्रान्त में हुई थी, और उसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी अपनी सरकार को इसी प्रणाली के आधार पर स्थापित किया। आज के समय, विश्व भर में कुल ३३ देशों में इस प्रणाली पर आधारित या इससे प्रभावित शासन-व्यवस्थाएँ हैं। एक समय ऐसा भी था जब अधिकांश राष्ट्रमंडल या पूर्व-राष्ट्रमण्डल देशों में और उनकी उपराष्ट्रीय इकाइयों में वेस्टमिन्स्टर प्रणाली की सरकारें थीं। बाद में, अन्य कई देशों ने अपनी शासन प्रणाली को बदल लिया।

विशेषताएँ

वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली 
ऑस्ट्रेलियाई संसद, कैनबरा
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली 
संसद भवन, नई दिल्ली, भारत
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली 
कैनेडियाई संसद भवन
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली 
आयरिश संसद
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली 
मलेशियाई संसद, कुआलालम्पुर

वेस्टमिंस्टर प्रणाली की परिभाषी विशेषताएं हैं:

  • राष्ट्रप्रमुख: केवल एक औपचारिक और प्रतिनिधित्वात्मक पदाधिकारी होता है, और उसकी अधिकांश कार्यकारी शक्तियाँ अन्य संस्थानों और अधिकारियों के हाथों में होता है, जिनका उपयोग, वह अपने अधीनस्थ अधिकारियों के सलाह पर करता है;
  • कार्यपालिका, मंत्रिमंडल के सदस्यों(मंत्रीगण) द्वारा संचालित होती है, जिसका नेतृत्व सर्कार के मुखिया (प्रधानमंत्री) के हाथों में होता है। मंत्रियों की नियुक्ति भी अधिकांश तौर पर, प्रधानमंत्री के हाथों में होता है;
  • सरकार में अविश्वास व्यक्त करने की संसद की स्वतंत्रता;
  • संसद के सत्रावसान और सत्रांत करने तथा, संसद भंग कर, नवीन चुनावों की घोषणा करवाने की राष्ट्रप्रमुख की क्षमता;

विधायिक प्रक्रिया

संसदीय प्रक्रिया उन समस्त नियमों का समूह है जो विधायन प्रणाली को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए सामान्य रूप से आवश्यक माने जाते हैं। यद्यपि देश-काल के अनुरूप ऐसे नियम कुछ विषयों में अलग-अलग हो सकते हैं किंतु संसदीय विधि का मूल स्रोत इंग्लैड की संसद् के वे नियम है जिनके अनुसार विधिनिर्माण, कार्यपालिका पर नियंत्रण तथा आर्थिक विषयों के नियमन हेतु ऐसी प्रक्रियाएँ बनाई जाती है जिनसे इन विषयों पर सदन का मत ज्ञात होता है। वेस्टमिंस्टर प्रक्रिया में सर्वप्रथम संसद् के सत्र को संप्रभु, राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल आहूत करता है। सत्र आरंभण के पश्चात्‌ सदन का कार्यसंचालन सदन का अध्यक्ष (जिसे सभापति भी कहते हैं) करता है। अध्यक्ष विभिन्न विषयों पर सदन का मत विभिन्न प्रकार के प्रश्नों, प्रस्तावों तथा उनपर मतगणना के परिणामों से ज्ञात करता है। अत: प्रस्तावों तथा संबंधित प्रश्नों और समुचित रूप से विचार करने के लिए एक कार्यसूची बनाई जाती है जिसके अनुसार प्रस्तावक अथवा प्रश्नकर्ता के लिए समय नियत किया जाता है।

16 वीं और 17 वीं शताब्दी में, इंग्लैंड के प्रारंभिक संसदों में अनुशासन के नियम थे। 1560 के दशक में सर थॉमस स्मिथ ने स्वीकृत प्रक्रियाओं को लिखने की प्रक्रिया आरम्भ की और 1583 में हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए उनके बारे में एक पुस्तक प्रकाशित की। वेस्टमिंस्टर प्रणाली का पालन करने वाले देशों सामन्यतः इस परंपरा से निकली प्रक्रिया के अनुरूप नियमों का पालन होता है। मसलन, भारत, कनाडा इत्यादि देशों की संसदीय प्रक्रिया संहिता ब्रिटेन में इस्तेमाल किये जाने वाली प्रक्रिया के आधार पर निर्मित की गयी है।

प्रश्नों का मुख्य उद्देश्य कार्यपालिका (सरकार) पर नियंत्रण रखना होता है। कार्यपालिका के अनुचित कृत्यों अथवा अन्य त्रुटियों पर प्रश्नोत्तर के समय अध्यक्ष अपनी व्यवस्थाएँ देता है। ऐसे समय केवल संसदीय भाषा का प्रयोग अपेक्षित होता है। कोई ऐसा प्रश्न नहीं उठाया जा सकता जो न्यायालय के विचाराधीन हो अथवा किसी कारण से अध्यक्ष उसको आवश्यक नहीं समझता। सामान्य रूप से प्रश्न तीन प्रकार के होते हैं। प्रथम, अल्पसूचित प्रश्न जिनके सार्वजनिक महत्त्व के होने के कारण उनका उत्तर अध्यक्ष की व्यवस्थानुसार तुरंत ही संबंधित मंत्री को देना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो तो अध्यक्ष मंत्री को कुछ और समय देने की व्यवस्था दे सकता है। द्वितीय, तारांकित प्रश्न जिनका उत्तर शासन की ओर से मौखिक दिया जाता है। तृतीय, अतारांकित प्रश्नों का लिखित उत्तर दिया जाता है। उत्तर अपर्याप्त होने की दशा में अध्यक्ष अनुपूरक प्रश्नों की अनुमति भी दे सकता है।

सदन का मत प्रस्ताव तथा उसपर मतगणना से भी ज्ञात किया जाता है। मुख्य रूप से प्रस्ताव दो प्रकार के होते हैं। प्रथम मुख्य प्रस्ताव, द्वितीय गौण प्रस्ताव। गौण प्रस्ताव उचित रूप से सूचित एवं अध्यक्ष की अनुज्ञा से उपस्थित किए गए मुख्य प्रस्ताव पर विवाद के समय रखे जाते हैं, जैसे कार्य स्थगित करने के लिए प्रस्ताव। यह प्रस्ताव मुख्य प्रस्ताव को छोड़कर किसी अन्य महत्वपूर्ण विषय पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है। विवादांत प्रस्ताव का उद्देश्य किसी प्रश्न पर अनावश्यक विवाद को समाप्त करना होता है। इस प्रस्ताव के पारित हो जाने पर प्रश्न तुरंत सदन के समक्ष मतगणना के लिए रख दिया जाता है। मुख्य प्रस्ताव के संशोधन अथवा उसपर विचार करने हेतु निर्धारित समय को बढ़ाने हेतु भी गौण प्रस्ताव प्रस्तुत किए जा सकते हैं। एक महत्वपूर्ण प्रकार का प्रस्ताव सदन के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अथवा किसी मंत्री या मंत्रिमंडल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव भी होता है। इस प्रस्ताव के उचित रूप से सूचित करने के पश्चात्‌ उसपर विचार किकया जाता है। प्रस्तावों पर नियमानुसार विचार के उपरांत मतगणना की जाती है। मतदान का कोई रूप प्रयुक्त किया जा सकता है, जैसे हाथ उठवाकर, प्रस्ताव के पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों को अलग अलग खड़ा करके, एक एक से बात करके अथवा गुप्त मतदान पेटी में मतदान करवा कर। यदि आवश्यक समझा जाए तो प्रथम तथा द्वितीय वाचन के बाद किंतु तृतीय वाचन के पूर्व विधेयक पर पूर्ण विचार करने के लिए प्रवर अथवा अन्य समितियों को विषय सौंप दिया जा सकता है।

संसदीय विशेषाधिकार

सदन का कार्य सुचारु रूप से चलाने के लिए वेस्टमिंस्टर व्यवस्था में, सदन को संयुक्त रूप से तथा प्रत्येक सदस्य को व्यक्तिगत रूप से परंपरातर्गत कुछ विशेषाधिकार प्राप्त होते है, जिन्हें संसदीय विशेषाधिकार कहा जाता है। उदाहरणार्थ सदन में भाषण का अप्रतिबंधित अधिकार, सदन की कार्यवाही का विवरण प्रकाशित अथवा न प्रकाशित करने, अजनबियों को हटाने, सदन को अपनी संरचना करने एवं प्रक्रिया स्थापित करने का पूर्ण अधिकार होता है। इसके अतिरिक्त कोई भी सदस्य सत्र आरंभण के चालीस दिन पहले एवं सत्रांत के चालीस दिन पश्चात्‌ तक बंदी नहीं बनाया जा सकता, यदि उसके ऊपर कोई अपराध करने, निवारक नजरबंदी या न्यायालय अथवा सदन के अवमान का आरोप न हो। यदि किसी सदस्य ने अथवा अन्य किसी ने उपर्युक्त विशेषाधिकारों की अवहेलना की है तो यह सदन के अवमान (कंटेप्ट) का प्रश्न बन जाता है और इसके बदले सदन को स्वयं अथवा विशेषाधिकार समिति के निर्णय पर दोषित व्यक्ति को दंड देने का पूर्ण अधिकार प्राप्त रहता है।

इस पद्धति के अनुयायी देश

देश संसद शासन प्रणाली टिप्पणियाँ
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  अण्टीगुआ और बारबूडा संसद: सेनेट
प्रतिनिधि सभा
राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  ऑस्ट्रेलिया संसद: सेनेट
प्रतिनिधि सभा
राजतंत्र ऑस्ट्रेलिया तथाकथित "वॉशमिंस्टर" व्यवस्था का पालन करता है: हालाँकि ऑस्ट्रेलिया की विधायिक व्यवस्था को शुरुआत में वेस्टमिंस्टर शैली के आधार पर ही बनाया गया था, परंतु समय के साथ ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिकी व्यवस्था के भी अनेक अंश अपना लिए, अतः इस मिश्रित व्यवस्था को "वेस्टमिंस्टर" और "वॉशिंगटन" को मिला कर "वॉशमिंस्टर" व्यवस्था कहा जाता है।
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  बहामाज़ संसद: सेनेट
विधानसभा
राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  बरमूडा संसद: सेनेट
विधानसभा
राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  बांग्लादेश जातीय संसद गणतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  बारबाडोस संसद: सेनेट
विधानसभा
राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  बेलीज नेशनल असेंबली: सेनेट
विधानसभा
राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  कनाडा कनाडा की संसद: सेनेट
हाउस ऑफ कॉमन्स
राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  डोमिनिका विधानसभा गणतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  ग्रेनाडा संसद: सेनेट
प्रतिनिधियों सभा
राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  भारत संसद: राज्यसभा
लोकसभा
गणतंत्र भारत की द्विसदनीय संसद में गणतांत्रिक राष्ट्रपति राष्ट्रप्रमुख होते हैं, तथा प्रत्येक चुनाव के बाद राष्ट्रपति संसद को संबोधित कर संसद का उद्घाटन करते हैं।
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  आयरलैंड Oireachtas: सिनेट
Dáil Éireann
गणतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  इसराइल कनेसेट गणतंत्र परवर्तित वेस्टमिंस्टर प्रणाली: शक्तियों होता है जिसके द्वारा प्रधानमंत्री कैबिनेट, और विधायिका के अध्यक्ष के बीच विभाजित कर रहे हैं इसराइल की राष्ट्रपति का प्रयोग किया गया है।
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  जापान राष्ट्रीय डायट: पार्षद सभा
प्रतिनिधि सभा
राजतंत्र परिवर्तित वेस्टमिंस्टर प्रणाली: कई गैर - आरक्षित अधिकार होगा जो की सलाह पर से जापान के सम्राट का प्रयोग किया गया है कैबिनेट एक असंशोधित सिस्टम में सीधे से प्रयोग कर रहे हैं प्रधानमंत्री, और इंपीरियल आरक्षित अधिकार मौजूद नहीं है।
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  जमैका संसद: सेनेट
प्रतिनिधि सभा
राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  कुवैत नेशनल असेंबली राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  मलेशिया संसद: दीवान नगारा
दीवान राक्यात
मिश्रित मलेशिया में एक मिश्रित व्यवस्था हैं, जिनमे कुछ राज्य राजतांत्रिक हैं, तथा कुछ गणतांत्रिक हैं। देश में एक साँझा राजतांत्रिक व्यवस्था है, जिसमें विभिन्न राज्यों के शासक, घूर्णी आधार पर, बारी बारी से यांग-दी-पर्तुआन अगोंग चुने जाते हैं, जो देश के राष्ट्रप्रमुख का पद है का पद है। यांग दी परतुआन आगोंग साँझा-राजतंत्र और गणराज्यों, दोनों के प्रमुख हैं। राजतांत्रिक शासकों के पास केवल नाममात्र अधिकार है, जबकि वास्तविक अधिकार लोकतान्त्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री और उनकी सर्कार के हाथ में होता है।
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  माल्टा संसद गणतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  मॉरीशस नेशनल असेंबली गणतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  नाउरु संसद गणतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  नेपाल संघीय संसद:राष्ट्रीय सभा
प्रतिनिधि सभा
गणतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  न्यूजीलैंड संसद राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  पाकिस्तान संसद: सेनेट
नेशनल असेंबली
गणतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  पापुआ न्यू गिनी संसद राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  सेंट किट्स और नेविस नेशनल असेंबली राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  सेंट लूसिया संसद:सेनेट
विधानसभा
राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  सिंगापुर संसद गणतंत्र सिंगापुर की संसद एक्सदनीय है जिसके पास विधान बनाने का पूर्ण अधिकार है।
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस विधानसभा राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  सोलोमन द्वीप सोलोमन द्वीप की संसद राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  त्रिनिदाद और टोबैगो संसद: सेनेट
प्रतिनिधि सभा
गणतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  तुवालू संसद राजतंत्र
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  यूनाइटेड किंगडम संसद: हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स
हाउस ऑफ कॉमन्स
राजतंत्र शासन की लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली सैकड़ों वर्षों के काल में, संयुक्त अधिराज्य में विकसित हुई थी। जो आज वेस्टमिंस्टर प्रणाली के नाम से जाना जाता है।
वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली  वानूआतू संसद गणतंत्र

सभी सांसदों की जननी

पूर्व ब्रिटिश साम्राज्य के कई देशों द्वारा संसदीय लोकतंत्र के वेस्टमिंस्टर प्रणाली को अपनाये जाने के कारण अक्सर यह कहावत यूनाइटेड किंगडम की संसद पर लागू होती है। यह वाक्यांश: संसदों की जननी ब्रिटिश राजनेता और सुधारक जॉन ब्राइट द्वारा गढ़ा गया था, जिन्होंने इसका इस्तेमाल सर्वप्रथम 18 जनवरी 1865 को बर्मिंघम में एक भाषण में किया। ऐसा इंग्लैंड के संदर्भ में कहा गया था: अगले दिन द टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार उनके वास्तविक शब्द थे: "इंग्लैंड संसदों की जननी है" (इंग्लैंड इज़ द मदर ऑफ़ परलियामेंट्स)।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

Tags:

वेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली विशेषताएँवेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली विधायिक प्रक्रियावेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली इस पद्धति के अनुयायी देशवेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली सभी सांसदों की जननीवेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली इन्हें भी देखेंवेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली सन्दर्भवेस्ट्मिन्स्टर प्रणाली बाहरी कड़ियाँवेस्ट्मिन्स्टर प्रणालीपैलेस ऑफ़ वेस्ट्मिन्स्टरब्रिटिश साम्राज्यब्रिटेनयूके की संसदयूनाइटेड किंगडमराष्ट्रमण्डल प्रजाभूमिलंदनलोकतंत्रशासनसंसदीय प्रणाली

🔥 Trending searches on Wiki हिन्दी:

छायावादगुर्जरचन्द्रशेखर आज़ादमैं हूँ नाव्यंजन वर्णभारतीय शिक्षा का इतिहासभाषामौसमभारत की भाषाएँवाल्मीकिभारत निर्वाचन आयोगयोद्धा जातियाँशाह जहाँमहाजनपदझारखण्डप्राचीन भारतीय शिक्षाराजेन्द्र प्रसादजन गण मननैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेशतिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिरशक्ति पीठमुंबई इंडियंसईमेलऋषभ पंतयशस्वी जायसवाललोक प्रशासनअर्शदीप सिंह (क्रिकेटर)शनि (ग्रह)राष्ट्रभाषाआदि शंकराचार्यइस्लाममुग़ल साम्राज्यधर्मो रक्षति रक्षितःभारत की संस्कृतिकोई मिल गयाभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनसंगम कालआतंकवादभारत का संविधानअखिलेश यादवप्राचीन भारतपृथ्वीभारतीय वायुसेनाचिपको आन्दोलनदिव्या भारतीबंगाली साहित्यअटल बिहारी वाजपेयीजयप्रकाश नारायणहिन्दी साहित्य का इतिहासकामसूत्ररिले रोसौवसुनील नारायणधन-निष्कासन सिद्धान्तकेंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बलतमन्ना भाटियाजीव विज्ञानयौन संबंधप्लेट विवर्तनिकीऔरंगज़ेबविष्णुमध्य प्रदेश के ज़िलेअधिगमरबीन्द्रनाथ ठाकुरसम्भोगरामचन्द्र शुक्लदेवनागरीशिव ताण्डव स्तोत्रभारतीय आम चुनाव, 2014उपनिवेशवादसाईबर अपराधअमर सिंह चमकीलाखजुराहोनीति आयोगभारतीय क्रिकेट टीमकोशिकाअष्टांग योग🡆 More