ढाका (बांग्ला: ঢাকা) बांग्लादेश की राजधानी है। बूढ़ी गंगा नदी के तट पर स्थित यह देश का सबसे बड़ा शहर है। राजधानी होने के अलावा यह बांग्लादेश का औद्यौगिक और प्रशासनिक केन्द्र भी है। यहाँ पर धान, गन्ना और चाय का व्यापार होता है। ढाका की जनसंख्या लगभग 1.1 करोड़ है (२००१ की जनसंख्या: ९,०००,०२)) जो इसे दुनिया के ग्यारहवें सबसे बड़ी जनसंख्या वाले शहर का दर्जा भी दिलाता है। ढाका का अपना इतिहास रहा है और इसे दुनिया में मस्जिदों के शहर के नाम से जाना जाता है।
ढाका ঢাকা | |
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राजधानी | |
उपनाम: मस्जिदों का शहर, दुनिया की रिक्शों की राजधानी | |
बांग्लादेश में ढाका की अवस्थिति | |
देश | |
प्रशासनिक जिले | ढाका जिला |
Establishment | 1608 CE |
Granted city status | 1947 |
शासन | |
• प्रणाली | नगर पालिका |
• महापौर | सदीक़ होसैन खोका |
क्षेत्र | 304 किमी2 (117 वर्गमील) |
• जल | 48.56 किमी2 (18.75 वर्गमील) |
ऊँचाई | 4 मी (13.12 फीट) |
जनसंख्या (2008) | |
• राजधानी | 70,00,940 |
• घनत्व | 23029 किमी2 (59,640 वर्गमील) |
• महानगर | 1,27,97,394 |
• Demonym | ढाकायी या ढाकाई |
• साक्षरता दर | 62.3% |
समय मण्डल | BST (यूटीसी+6) |
• ग्रीष्मकालीन (दि॰ब॰स॰) | BDST (यूटीसी+7) |
डाक कूट | 1000 |
राष्ट्रीय कॉलिंग कोड | +880 |
वेबसाइट | Official Dhaka Website |
मुगल सल्तनत के दौरान इस शहर को १७ वीं सदी में जहांगीर नगर के नाम से भी जाना जाता था, यह न सिर्फ प्रादेशिक राजधानी हुआ करती थी बल्कि यहाँ पर निर्मित होने वाले मलमल के व्यापार में इस शहर का पूरी दुनिया में दबदबा था। आधुनिक ढाका का निर्माण एवं विकास ब्रिटिश शासन के दौरान उन्नीसवीं शताब्दी में हुआ और जल्द ही यह कोलकाता के बाद पूरे बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर बन गया।
भारत विभाजन के बाद १९४७ में ढाका पूर्वी पाकिस्तान की प्रशासनिक राजधानी बना तथा १९७२ में बांग्लादेश के स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आने पर यह राष्ट्रीय राजधानी घोषित हुआ। आधुनिक ढाका देश की राजनीति, अर्थव्यवस्था, एवं संस्कृति का मुख्य केन्द्र है। ढाका न सिर्फ देश का सबसे साक्षर (६३%) शहर है- - बल्कि बांग्लादेश के शहरों में सबसे ज्यादा विविधता वाला शहर भी है। हालांकि आधुनिक ढाका का शहरी आधारभूत ढांचा देश में सबसे ज्यादा विकसित है परंतु प्रदूषण, यातायात कुव्यवस्था, गरीबी, अपराध जैसी समस्यायें इस शहर के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। सारे देश से लोगों का ढाका की ओर पलायन भी सरकार के लिए एक बड़ी समस्या का रूप लेता जा रहा है।
मुगल शासन काल में ढाका को जहांगीर नगर के नाम से जाना जाता था। उस समय यह बंगाल प्रांत की राजधानी था। वर्तमान ढाका का निर्माण 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों के अधीन हुआ। जल्द ही कलकत्ता के बाद ढाका बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा नगर बन गया। बंटवारे के बाद ढाका पूर्वी पाकिस्तान की राजधानी बना। 1972 में यह बंगलादेश की राजधानी बना।
ढाका की जलवायु | |||||||||||||
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Month | जनवरी | फरवरी | मार्च | अप्रैल | मई | जून | जुलाई | अगस्त | सितंबर | अक्तूबर | नवंबर | दिसंबर | |
औसत तापमान (°F) | 76° | 80° | 87° | 89° | 89° | 88° | 87° | 88° | 87° | 87° | 83° | 77° | |
औसत निम्न तापमान (°F) | 58° | 63° | 72° | 77° | 79° | 81° | 81° | 81° | 80° | 77° | 69° | 61° | |
Average Precipitation (inches) | 0.3" | 0.8" | 2.3" | 4.6" | 10.5" | 14.1" | 15.7" | 12.5" | 10.1" | 6.4" | 1.2" | 0.2" | |
Source: WeatherBase.Com |
राष्ट्रीय स्मारक: यह स्मारक साभर में स्थित है। यह स्थान ढाका शहर से 35 किलोमीटर की दूरी पर है। इस स्मारक का डिजाइन मोइनुल हुसैन ने तैयार किया था। यह स्मारक उन लाखो सैनिकों को समर्पित है जिन्होंने बंगलादेश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
लालबाग किला: इस किले का निर्माण बादशाह औरंगजेब के पुत्र शाहजादा मुहम्मद आजम ने करवाया था। यह किला भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) का मूक गवाह है। 1857 में जब स्थानीय जनता ने ब्रिटिश सैनिकों के विरुद्ध विद्रोह किया था तब 260 ब्रिटिश सैनिकों ने यहीं शरण लिया था।
इस किले में पारी बीबी का मकबरा, लालबाग मस्जिद, हॉल तथा नवाब शाइस्ता खान का हमाम भी देखने योग्य है। यह हमाम वर्तमान में एक संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है।
1857 का स्मारक (बहादुर शाह पार्क): 1857 के स्मारक स्थल को बहादुर शाह पार्क भी कहा जाता है। इस पार्क का निर्माण 1857 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में करवाया गया था। यहीं पर विद्रोही सैनिकों और उनके नागरिक सहयोगियों को ब्रिटिश सरकार ने सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका दिया था।
बंगबंधु स्मारक संग्रहालय: यह संग्रहालय धनमोनडी में स्थित है। पहले यह बंगलादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजिबुर रहमान का आवास था। इस संग्रहालय में बंगबंधु के जीवन तथा उनके समय से संबंधित कई दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह है। 1975 ई. में बंगबंधु की उनके परिवार सहित हत्या कर दी गई थी।
लिबरेशन बार म्युजियम: यह म्युजियम सेगुन बगीचा क्षेत्र में स्थित है। इस संग्रहालय में बंगलादेश के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित वस्तुओं को रखा गया है। बंगलादेश का यह स्वतंत्रता संग्राम नौ महीने चला था।
अहसान मंजिल संग्रहालय: यह संग्रहालय ढाका में बुढ़ी गंगा नदी के तट पर स्थित है। गुलाबी रंग का यह संग्रहालय पहले ढाका के नवाब का आवास था। अब इस इमारत का पुनर्निर्माण कर इसे संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है। यह संग्रहालय बंगलादेश की सांस्कृतिक समृद्धता का प्रतीक है। इस इमारत में 31 कमरें हैं। इसमें एक बड़ा सा गुम्बद भी है, जो दूर से ही दिख जाता है। इसमें 23 गैलरियां हैं। इन गैलरियों में चित्र, फर्नीचर तथा नवाब द्वारा उपयोग किए गए सामानों को प्रदर्शित किया गया है।
कर्जन हाल: स्थापत्य की दृष्िट से अदभूत इस इमारत का नामाकरण्ा लार्ड कर्जन के नाम पर किया गया है। वर्तमान में इसमें ढाका विश्वविद्यालय का विज्ञान विभाग चलता है।
ओल्ड हाई कोर्ट बिल्डिंग: ब्रिटिश काल में यह इमार ब्रिटिश गवर्नर का आवास हुआ करता था। इस इमारत में यूरोपिय और मुगल वास्तुशैली का सुंदर सम्मिश्रण है।
ढाका जू: इसे मीरपुर जू के नाम से भी जाना जाता है। इस चिडियाघर में विभिन्न प्रकार के पशु और पक्षियों को रखा गया है। यहां विदेशी पशु-पक्षियों को भी देखा जा सकता है। इस जू में रॉयल बंगाल टाईगर भी है।
राष्ट्रीय संग्रहालय: यह संग्रहालय शहर के शाहबंग क्षेत्र में स्थित है। इस संग्रहालय में हिंदू, मुस्लिम और बौद्ध धर्म से संबंधित चित्रों तथा हस्तशिल्पों को रखा गया है। इस संग्रहालय के बगल में पब्लिक लाइब्रेरी है।
बोटेनिकल गार्डन: यह गार्डन ढाका जू के नजदीक मीरपुर में स्थित है। यह 205 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है।
नेशनल पार्क: यह पार्क ढाका शहर से 40 किलोमीटर उत्तर में राजेंद्रपुर में है। यह पार्क 1600 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इस पार्क में पिकनिक मनाने और नौकायन करने की सुविधा है।
केंद्रीय शहीद मीनार: यह मीनार बंगाली राष्ट्रीयता का प्रतीक है। केंद्रीय शहीद मीनार 1952 में हुए भाषाई आंदोलन को समर्पित है। प्रत्येक वर्ष 21 फ़रवरी को हजारों लोग फूल लेकर यहां एकत्र होते हैं। इस दिन यहां उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव मध्य रात्रि तक चलता है।
नेशनल पोएटस ग्रेभयार्ड: बंगलादेश के राष्ट्रकवि काजी नजरुल इस्लाम की मृत्यु 29 अगस्त 1976 ई. को हुई थी। उनको इसी कब्रिस्तान में दफनाया गया था। यह कब्रिस्तान ढाका विश्वविद्यालय मस्जिद के निकट स्थित है।
सुहरावर्दी उद्यान: यह एक एतिहासिक पार्क है। 7 मार्च 1971 को इसी पार्क में बंगलादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजिबुर रहमान ने आजादी का बिगुल फुका था। इस हरे-भरे पार्क में शहीद हुए सैनिकों की याद में अखण्ड ज्योति जल रही है।
राष्ट्रीय नेताओं का समाधिस्थल: यह समाधिस्थल सुहरावर्दी पार्क के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में है। इसी जगह पर बंगलादेश के महान नेताओं शेर-ए-बंगाल ए. के. फजलुल हक, हुसैन शहीद सुहरावर्दी तथा काजी नजीमुद्दीन को दफनाया गया है।
बंग भवन: बंगलादेश के राष्ट्रपति का यह आवास है। पर्यटक इसे बाहर से देख सकते हैं।
बलधा बागीचा: यह बागीचा बलधा के जमींदार नरेंद्र नारायण राय का था। उन्होंने 1903 ई. में इस पार्क की स्थापना की थी। इस पार्क में पौधों की कई लुप्तप्राय प्रजातियां विद्यमान है। इस कारण यह पार्क प्रकृति प्रेमियो, वनस्पतिशास्त्रियों तथा पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र में रहता है।
संसद भवन: बंगलादेश में संसद को जातीय संसद कहा जाता है। इस कारण इस इमारत को जातीय भवन भी कहा जाता है। यह इमारत शेर-ए-बंगाल नगर में स्थित है। इस भवन की वास्तुशैली अदभूत है। इस भवन का डिजाइन प्रसिद्ध वास्तुशास्त्री लुईस आई. खान ने तैयार किया था।
विज्ञान संग्रहालय: यह संग्रहालय विज्ञान क्षेत्र में हो रहे नए आविष्कारों को सीखने का प्रमुख केंद्र है। यह संग्रहालय अगरगांव में स्थित है।
इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट एंड क्रार्फ्ट: यह इंस्टीट्यूट शाहबाग में स्थित है। इसमें लोक कलाओं से संबंधित वस्तुओं का अच्छा संग्रह है।
सोनारगांव: यह ढाका से 29 किलोमीटर की दूरी पर है। यह बंगाल की प्राचीनतम राजधानी है।
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