कल्कि (IAST: Kalkī ) को हिन्दू भगवान विष्णु के दसवें अवतार और विष्णु का भावी या अंतिम अवतार माना गया है।
कल्कि | |
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विष्णु का दसवां अवतार, पापियों का नाश करने वाला और धर्म का रक्षक | |
Member of दसावतार | |
कल्कि अवतार का अनुमानित चित्र। | |
देवनागरी | कल्कि |
संस्कृत लिप्यंतरण | kalkiḥ |
तमिल लिपि | கல்கி (அவதாரம்) |
कन्नड़ लिपि | ಕಲ್ಕಿ |
संबंध | विष्णु, निष्कलंक, कलिनाशक, धर्मरक्षक |
निवासस्थान | वैकुंठ |
अस्त्र | सुदर्शन चक्र,तलवार |
युद्ध | काली राक्षस का वध |
जीवनसाथी | पद्मा (लक्ष्मी अवतार) रमा (वैष्णो देवी अवतार) |
माता-पिता | सुमति (माँ) और विष्णुयश (पिता) |
सवारी | सफेद घोड़ा |
शास्त्र | भागवत पुराण , हरिवंश , विष्णु पुराण, महाभारत ('भगवद् गीता' ), गीत गोविंद |
त्यौहार | कल्कि जयंती |
वैष्णव ब्रह्माण्ड विज्ञान के अनुसार अन्तहीन चक्र वाले चार कालों में से अन्तिम कलियुग के अन्त में हिन्दू भगवान विष्णु के दसवें अवतार माने जाते हैं।जब भगवान कल्कि देवदत्त नाम के घोड़े पर आरूढ़ होकर तलवार से दुष्टों का संहार करेंगे तब सतयुग का प्रारंभ होगा।
धर्म ग्रंथों के अनुसार कलयुग में भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतार लेंगे। कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा।
पुराणकथाओं के अनुसार कलियुग में पाप की सीमा पार होने पर विश्व में दुष्टों के संहार के लिये कल्कि अवतार प्रकट होगा।
धार्मिक एवं पौराणिक मान्यता के अनुसार जब पृथ्वी पर पाप बहुत अधिक बढ़ जाएगा। तब दुष्टों के संहार के लिए विष्णु का यह अवतार यानी ‘कल्कि अवतार’ प्रकट होगा। कल्कि को विष्णु का भावी और अंतिम अवतार माना गया है। भगवान का यह अवतार " निष्कलंक भगवान " के नाम से भी जाना जायेगा। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा की भगवान श्री कल्कि ६४ कलाओं के पूर्ण निष्कलंक अवतार होंगे
शास्त्रों के अनुसार यह अवतार भविष्य में होने वाला है। कलियुग के अन्त में जब शासकों का अन्याय बढ़ जायेगा। चारों तरफ पाप बढ़ जायेंगे तथा अत्याचार का बोलबाला होगा तब इस जगत का कल्याण करने के लिए भगवान विष्णु कल्कि के रूप में अवतार लेंगे।
श्रीमद्भागवत पुराण और भविष्यपुराण में कलियुग के अंत का वर्णन मिलता है. कलियुग में भगवान कल्कि का अवतार होगा, जो पापियों का संहार करके फिर से सतयुग की स्थापना करेंगे. कलियुग के अंत और कल्कि अवतार के संबंध में अन्य पुराणों में भी इसका वर्णन मिलता है.
युग परिवर्तनकारी भगवान श्री कल्कि के अवतार का प्रयोजन विश्वकल्याण बताया गया है। श्रीमद्भागवतमहापुराण में विष्णु के अवतारों की कथाएं विस्तार से वर्णित है। इसके बारहवें स्कन्ध के द्वितीय अध्याय में भगवान के कल्कि अवतार की कथा विस्तार से दी गई है जिसमें यह कहा गया है कि "सम्भल ग्राम (नगरी) में विष्णुयश नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के रूप में भगवान कल्कि का जन्म होगा। वह देवदत्त नामक घोड़े पर आरूढ़ होकर अपनी कराल करवाल (तलवार) से दुष्टों ,पापियों , म्लेच्छों का संहार करेंगे तभी सतयुग का प्रारम्भ होगा।"
श्रीमद्भागवत-महापुराण के 12वे स्कंद के अनुसार-
सम्भलग्राममुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः।
भवने विष्णुयशसः कल्किः प्रादुर्भविष्यति।।
अर्थ- शम्भल ग्राम में विष्णुयश नाम के एक ब्राह्मण होंगे। उनका ह्रदय बड़ा उदार और भगवतभक्ति पूर्ण होगा। उन्हीं के घर कल्कि भगवान अवतार ग्रहण करेंगे।
कल्कि पुराण के अनुसार परशुराम, भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के गुरु होंगे और उन्हें युद्ध की शिक्षा देंगे। वे ही कल्कि को भगवान शिव की तपस्या करके उनके दिव्यास्त्र को प्राप्त करने के लिये कहेंगे।
कल्कि पुराण में ”कल्कि“ अवतार के जन्म व परिवार की कथा इस प्रकार कल्पित है- ”शम्भल नामक ग्राम में विष्णुयश नाम के एक ब्राह्मण निवास करेंगे, जो सुमति नामक स्त्री के साथ विवाह करेंगें दोनों ही धर्म-कर्म में दिन बिताएँगे। कल्कि उनके घर में पुत्र होकर जन्म लेंगे और अल्पायु में ही वेदादि शास्त्रों का पाठ करके महापण्डित हो जाएँगे। बाद में वे जीवों के दुःख से कातर हो महादेव की उपासना करके अस्त्रविद्या प्राप्त करेंगे जिनका विवाह बृहद्रथ की पुत्री पद्मादेवी के साथ होगा।“
म्लेच्छ निवह निधने कलयसि करवालम् | धूम केतुम् इव किम् अपि करालम् ||
केशव धृत कल्कि शरीर जय जगदीश हरे || १० ||
अनुवाद - हे जगदीश्वर श्रीहरे ! हे केशिनिसूदन ! आपने कल्किरूप धारणकर म्लेच्छोंका विनाश करते हुए धूमकेतुके समान भयंकर कृपाणको धारण किया है । आपकी जय हो || १० ||
मत्स्यः कूर्मो वराहश्च नारसिंहोऽथ वामनः । रामो रामश्च रामश्च कृष्णः कल्किश्च ते दशः ॥
भगवान श्री कल्कि का प्राचीन कल्कि विष्णु मंदिर उत्तर प्रदेश के संभल जिले में है। पुराणों में संभल जिले को शंभल के नाम से भी पुकारा गया है।
उनकी पौराणिक कथाओं की तुलना अन्य धर्मों में मसीहा, कयामत, फ्रैशोकरेटी और मैत्रेय की अवधारणाओं से की गई है।
कल्कि, तिब्बती बौद्ध धर्म में बौद्ध ग्रंथों में भी पाया जाता है।
कल्कि अवतार के इस पद पर अनेक स्वघोषित दावेदार हैं जो समय-समय पर भविष्यवाणियों के अनुसार स्वयं को सिद्ध करने की कोशिश और कल्कि अवतार के सम्बन्ध में अनेक भविष्यवाणी करते रहते हैं जिन्हें सोसल मीडिया पर ”कल्कि अवतार सर्च कर देखा जा सकता है परन्तु यह जानना चाहिए कि काल और युग परिवर्तन से परिचय कराने के लिए युगानुसार आत्मतत्व को व्यक्त करना पड़ता है। उसी सार्वभौम सत्य को युगानुसार योग कराया जाता है केवल भीड़ इकट्ठा हो जाने से कुछ भी नहीं होता। अवतारों को पहचानने के लिए सबसे मूल विषय यह होता है कि वह नया क्या दे रहा है जो उस समय के समाज के बहुमत मानव के शान्ति, एकता, स्थिरता व विकास को प्रभावित करता हो। सार्वभौम सत्य को व्यक्त करने वाला प्रत्येक मानव शरीरधारी अवतार ही है परन्तु युग के सर्वोच्च स्तर के सार्वभौम सत्य को व्यक्त करने वाला युगावतार कहलाता है।
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