मृत्तिका तथा अन्य सिरैमिक पदार्थों का उपयोग करके 'बर्तन एवं अन्य वस्तुए बनाना कुंभकारी कहलाता है। इन बर्तनों को कठोर और टिकाऊ बनाने के लिए उच्च ताप पर पकाया जाता है। कुंभकारी एक व्यापक शब्द है और इसके अन्तर्गत मिट्टी के बर्तन, पत्थर के बर्तन तथा चीनी मिट्टी के बर्तन एवं वस्तुएँ बनाने का कार्य सभी आ जाते हैं। इन वस्तुओं को 'मृद्भाण्ड' (शाब्दिक अर्थ - मिट्टी के बर्तन) कहते हैं। इस कार्य को करने वाले को कुम्हार कहा जाता है और जिस स्थान पर इन्हें बनाया जाता है उसे चाक (पॉटर) कहते हैं। अमेरिकन सोसाइटी फॉर टेस्टिंग एंड मैटेरियल्स की परिभाषा के अनुसार पॉटरी का अर्थ तकनीकी, संरचनात्मक और दुर्दम्य उत्पादों के अतिरिक्त आग में पकने वाले मृत्तिकाशिल्प वाले वो सभी बर्तन शामिल होते हैं जिन्में मृदा का उपयोग हुआ है। पुरातत्वशास्त्र में, मुख्यतः प्राचीन और प्रागैतिहासिक काल में पॉटरी शब्द जलपात्रों के लिए काम में लिया जाता है और समान पदार्थ से निर्मित मूर्तियों इत्यादि को टेराकोटा कहा जाता है। कुछ परिभाषायें चिकनी मिट्टी के बने बर्तनों को भी पॉटरी मानते हैं लेकिन यह अभी अनिश्चित है।
कुम्भकारी मानव इतिहास के सबसे पूराने आविष्कारों में से एक हैं, जिनकी शुरुआत नवपाषाण युग से आरम्भ हुआ। चेक गणराज्य में ग्रेवित्तियन संस्कृति की वीनस ऑफ़ डोलनी वॉनस्टाइन की छोटी मूर्तियाँ लगभग 29000 से 25000 ई॰पू॰ की हैं। चीन के यांग्शी में 18000 ई॰पू॰ के बर्तन मिले हैं। इनके अतिरिक्त जापान में नवपाषाण काल के शुरुआती दिनों (10500 ई॰पू॰) की कलाकृतियों की खोज की गयी है। रूस में (14,000 ई॰पू॰), उपसहारा अफ़्रीका (9,400 ई॰पू॰), दक्षिण अमेरिका (लगभग 9,000-7,000 ई॰पू॰), और मध्य पूर्व में (लगभग 7,000-6,000 ई॰पू॰) में भी पूरानी कलाकृतियाँ मिली हैं।
यह सम्भव है कि कुम्भकारी की खोज विभिन्न स्थानों पर स्वतंत्र रूप से हुई हो। सम्भवतः यह अक्समात चिकनी मिट्टी के बर्तन में आग जलाने से हुआ। सभी शुरूआती पात्रों का निर्माण वक्राकार रूप में बनाया हुआ और गड्ढ़े में आग जलाकर पकाये हुये मिलते हैं। शुरूआती निर्माणों की तकनीकी सिखना बहुत सरल है। चीनी मिट्टी से बने शुरूआती कलाकृतियों में ग्रेवित्तियन की मूर्तियाँ जैसे डोलनी वॉनस्टाइन की खोज के रूप में मिलती है जो वर्तमान चेक गणराज्य में स्थित है। वीनस ऑफ़ डोलनी वॉनस्टाइन, वीनस की मूर्ति है जो 29000 से 25000 ई॰पू॰ काल की नग्न महिला की मूर्ति है।
चीन और जापान में 12000 से 18000 वर्ष पूराने बर्तनों के टूकड़े मिले हैं। वर्ष 2012 में, विश्व के सबसे पूराने पॉटरी चीन के जियांग्शी प्रांत की जियानेन गुफाओं में पाये गये जो 20000 से 19000 वर्ष पूराने हैं।
अन्य शुरूआती पॉटरी पात्रों में दक्षिणी चीन की युचान्यान गुफ़ाओं की खुदाई में मिले हैं जो लगभग 16000 ई॰पू॰ के हैं और रूस के सुदूर पूर्व में अमुर नदी की घाटी में मिले अवशेष जो 14000 ई॰पू॰ के हैं.
पॉटरी से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
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