सर्वनाम (Pronoun)उन शब्दों को कहा जाता है, जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा अर्थात किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि, के नाम के स्थान पर करते हैं। इसके अंतर्गत मैं, तुम, तुम्हारा, आप, आपका, इस, उस, यह, वह, हम, हमारा, आदि शब्द आते हैं।
कामताप्रसाद गुरू के मतानुसार- सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते हैं जो पूर्वापर संबंध से किसी भी संज्ञा के बदले में आता है, जैसे, मैं (बोलनेवाला), तू (सुननेवाला), यह (निकट-वर्ती वस्तु), वह (दूरवर्ती वस्तु) इत्यादि।
वाक्य में जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा के बदले में होता है, उसे सर्वनाम कहते हैं। सर्वनाम शब्द का अर्थ है- सब का नाम। संज्ञा जहाँ केवल उसी नाम का बोध कराती है, जिसका वह नाम है, वहाँ सर्वनाम से केवल एक के ही नाम का नहीं, सबके नाम का बोध होता है। जैसे – राधा कहने से केवल इस नामवाली लड़की का बोध होगा किन्तु सीता, गीता, राम, श्याम सभी अपने लिए मैं का प्रयोग करते हैं तो मैं इन सबका नाम होगा। इसी तरह बोलनेवाले अनेक नामों के बदले तुम या आप और सुननेवाले अनेक नामों के बदले वह या वे का प्रयोग होता है।
सर्वनाम की उपयोगिता - सर्वनाम भाषा को सहज, सुंदर, और सुविधाजनक बनाते हैं। उदाहरण के लिए, सर्वनाम के बिना भाषा की स्तिथि देखिए - मोहिनी स्कूल गई है। स्कूल से आते ही मोहिनी मोहिनी की सखी के साथ घर जायेगी। फिर मोहिनी मोहिनी का और सखी सखी का काम करेगी। फिर मोहिनी और सखी खेलेंगी। तब मोहिनी घर लौटेगी।
यहां वाक्य कितना अटपटा, अनगढ़ और अव्यवस्थित है। अब सर्वनाम से युक्त वाक्य देखिए - मोहिनी स्कूल गई है। वहां से आते ही वह अपनी सखी के साथ उसके घर जायेगी। फिर दोनों अपना अपना काम करेंगी। फिर दोनों खेलेंगी। तब मोहिनी घर लौटेगी।
प्रयोग की दृष्टि से सर्वनाम के छः भेद हैं-
पुरूषवाचक सर्वनाम, संज्ञा शब्दों के स्थान पर पुरुष (मानसिक या भौतिक) को सूचित करने के लिए प्रयुक्त सर्वनाम होते हैं। इनमें सबसे प्रमुख उदाहरण "वह" और "वे" होते हैं, जिनका उपयोग पुरूष के स्थान पर किया जाता है। इन सर्वनामों की मदद से हम किसी व्यक्ति की पहचान कर सकते हैं जब हम उनका नाम नहीं जाने होते हैं।
इसके अलावा, और भी पुरूष वाचक सर्वनाम होते हैं जैसे कि "मैं," "तुम," "आप," "उस," "हम," आदि। इन सर्वनामों का उपयोग विभिन्न संवादों और वाक्यों में किए जाते हैं जब हम व्यक्ति के संदेश को स्पष्ट करने के लिए उनकी ओर से देख रहे होते हैं।
इस तरह, पुरूष वाचक सर्वनाम वाक्यों को संवाद करने और समझने में मदद करते हैं, और व्यक्तियों के साथ संवाद में सुचारूप रूप से उपयोग होते हैं।
किसी भी प्रसंग में वक्ता के सामने तीन प्रकार के पुरुष (व्यक्ति) आते हैं। पहला - वह स्वयं, दूसरा - सुनने वाला, तीसरा - कोई अन्य व्यक्ति, जिनके बारे में बातचीत हो रही हो। अतः हिंदी में प्रचलित पुरुषवाचक सर्वनाम (Personal Pronouns) के तीन प्रमुख भेद होते हैं:
1. उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम (First Person) : इसमें सर्वनाम व्यक्ति की ओर से होते हैं, जो बात कर रहा है। इसमें उन्हें अपने आप को सूचित करने के लिए उपयोग किया जाता है। प्रथम भेद के उदाहरण सर्वनाम हैं: "मैं," "हम," "मेरा," "हमारा," आदि।
2. मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम (Second Person): इसमें सर्वनाम व्यक्ति के साथी या उन लोगों की ओर से होते हैं, जिनसे बात की जा रही है। द्वितीय भेद के उदाहरण सर्वनाम हैं: "तुम," "तुम्हारा," "आप," "आपhbbका," आदि।
3. अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम (Third Person): इसमें सर्वनाम व्यक्ति के बाहर किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु की ओर से होते हैं, जिनसे व्यक्ति या वस्तु का संदर्भ बनाया जा रहा है। तृतीय भेद के उदाहरण सर्वनाम हैं: "वह," "वे," "उसका," "उनके," आदि।
इन तीन प्रमुख भेदों के अलावा, और भी कई सर्वनाम होते हैं, जो विशेष संदर्भों में उपयोग होते हैं, लेकिन ये तीन प्रमुख भेद हमारे वाक्यों में सबसे आम रूप से प्रयुक्त होते हैं।
डॉ देवेंद्रनाथ शर्मा के अनुसार - “पुरुष के एकवचन रूप अपवर्जी और बहुवचन समावेशी होते हैं; जैसे - ‘मैं चला’, इस वाक्य में वक्ता के अतिरिक्त और किसी का बोध नहीं होता, किंतु 'हम चलें’ वक्ता श्रोता के अतिरिक्त वहां उपस्थित और लोग भी समाविष्ट हो जाते हैं। ‘तू चले’या ‘वह चले’से निर्दिष्ट व्यक्ति के अतिरिक्त और किसी का ग्रहण नहीं होता, किंतु ‘तुम चलो’ और ‘वे चलें’से श्रोता से अतिरिक्त और का भी ग्रहण होता है। इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि पुरुष का एकवचन अपवर्जी होता है और बहुवचन समावेशी।”
1. मैं आज स्कूल जा रहा हूँ। (I am going to school today.) 2. हमने अपना काम पूरा किया। (We have completed our work.) 3. मै कल दिल्ली जाऊंगा I (I will go to Delhi tomorrow.)
1. तुम क्या सोच रहे हो? (What are you thinking?)
2. आपका नाम क्या है? (What is your name?)
1. वह एक उच्च शिक्षा के बाद सीधे काम पर गया। (He went to work directly after higher education.)
2. उसने उस पुस्तक को पढ़ा। (She read that book.)
3. यह एक बड़ी गाड़ी है। (It is a big car.)
ये उदाहरण दिखाते हैं कि पुरुषवाचक सर्वनाम किस तरह से व्यक्ति को सूचित करने के लिए उपयोग होते हैं, और वे वाक्यों को स्पष्ट और संवादात्मक बनाते हैं।
टिप्पणी :- आप सर्वनाम का प्रयोग -
हिंदी में 'आप' का प्रयोग या तो निजवाचक के रूप में (स्वयं के लिए) होता है; या आदरार्थक मध्यम पुरुष के लिए होता है। जैसे - आइए, आप यहां बैठिए।
किंतु कहीं कहीं 'आप' का प्रयोग आदरार्थक अन्य पुरुष के लिए भी होता है। यथा - गांधीजी सच्चे स्वतंत्रता-सेनानी थे। आपका जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को हुआ।
यह 'आप' का विशिष्ट प्रयोग है।
तू सर्वनाम का प्रयोग या तो अत्यंत समीपता, आत्मीयता, प्यार और दुलार प्रकट करने के लिए होता है; या निरादर और हीनता दिखाने के लिए। जैसे -
★ हे भगवान ! तेरी माया भी निराली है। (समिप्ता)
★ मां ! तू जल्दी आ। (आत्मीयता)
★ अरे नालायक ! तू इधर क्या कर रहा है। (अपमान)
इसके अंतर्गत वे सर्वनाम आते हैं, जिनका प्रयोग वक्ता या लेखक स्वयं अपने लिए करते हैं। इस प्रकार – ”वक्ता या लेखक जिन सर्वनाम शब्दों का बोध कराता है और अपने लिए जिनका प्रयोग करता है, उन्हें ‘निजवाचक सर्वनाम’ कहते हैं; जैसे: आप, अपने – आप, खुद, निज, स्वतः, स्वयं।
1. आप कहाँ जा रहे है। इस वाक्य में आप वक्ता द्वारा श्रोता के लिए प्रयोग किया जा रहा है। अतः यह आदर सूचक मध्यम पुरुष माना जायेगा।
2. मैं ये काम अपने आप कर लूंगा। इस वाक्य में वक्ता आप शब्द को स्वयं के लिए कर रहा है। अतः यह निजवाचक सर्वनाम की श्रेणी में आएगा।
3. आप को कोई परेशानी तो नहीं है। ऊपर दिए वाक्य में ‘आप’ शब्द का प्रयोग वक्ता श्रोता के लिए कर रहा है अतः यह आदरसूचक मध्यमपुरुष माना जाएगा।
4. मैं बहुत समय से आप से मिलना चाहता था। दिए गए वाक्य में ‘आप’ शब्द वक्ता द्वारा श्रोता को संकेत देने के लिए किया गया है अतः यह शब्द आदरसूचक माध्यम पुरुष माना जाएगा।
(क) निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम के अवधारण (निश्चय) के लिए होता है। जैसे- मैं ‘आप’ वहीं से आया हूँ; मैं ‘आप’ वही कार्य कर रहा हूँ।
(ख) निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए भी होता है। जैसे- उन्होंने मुझे रहने को कहा और ‘आप’ चलते बने; वह औरों को नहीं, ‘अपने’ को सुधार रहा है।
(ग) सर्वसाधारण के अर्थ में भी ‘आप’ का प्रयोग होता है। जैसे- ‘आप’ भला तो जग भला; ‘अपने’ से बड़ों का आदर करना उचित है।
(घ) अवधारण के अर्थ में कभी-कभी ‘आप’ के साथ ‘ही’ जोड़ा जाता है। जैसे- मैं ‘आप ही’ चला आता था; यह काम ‘आप ही’; मैं यह काम ‘आप ही’ कर लूँगा।।
जिन सर्वनाम शब्दों से किसी निश्चित व्यक्ति अथवा वस्तु की ओर निकटवर्ती अथवा दूरवर्ती संकेत का बोध होता है उन्हें निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। निश्चयवाचक सर्वनाम के अंतर्गत यह, वह, इस, उस, ये, वे इत्यादि सर्वनाम शब्द आते हैं।
निश्चयवाचक सर्वनाम में ‘यह’ सर्वनाम का प्रयोग किसी निकटवर्ती व्यक्ति अथवा वस्तु की ओर निश्चित संकेत करने के लिए किया जाता है तथा ‘वह’ सर्वनाम का प्रयोग किसी दूरवर्ती व्यक्ति अथवा वस्तु की ओर निश्चित संकेत करने के लिए किया जाता है। जैसे:-
यह सर्वनाम का प्रयोग संज्ञा अथवा संज्ञा वाक्यांश के स्थान पर निश्चय का बोध करवाने के लिए भी किया जाता है। जैसे:- इस उम्र में शादी करना, यह आपको शोभा नहीं देता। इस वाक्य में संज्ञा वाक्यांश के स्थान पर यह का प्रयोग किया गया है।
1. यह किसका फ़ोन है?
उपरोक्त वाक्य में निकटवर्ती वस्तु की ओर संकेत करने के लिए ‘यह’ का प्रयोग किया गया है अतः यह वाक्य निश्चयवाचक सर्वनाम का उदाहरण होगा।
2. वह किसका सामान है?
उपरोक्त वाक्य में दूरवर्ती वस्तु की ओर संकेत करने के लिए ‘वह’ सर्वनाम का प्रयोग किया गया है। अतः यह वाक्य निश्चयवाचक सर्वनाम का उदाहरण होगा।
3. भीड़ ने एक बस में आग लगा दी; यह सब मैंने अपनी आंखों से देखा है।
उपरोक्त वाक्य में पहले कहे गए वाक्य के स्थान पर ‘यह’ का प्रयोग किया गया है। अतः यह सर्वनाम का प्रयोग पहले कहे गए वाक्य के स्थान पर भी किया जाता है। इसलिए यह वाक्य निश्चयवाचक सर्वनाम का उदाहरण होगा।
4. अरविंद अब यह चाहता है कि मैं उससे माफी मांगू।
उपरोक्त वाक्य में बाद में कहे जाने वाले वाक्य के स्थान पर यह का प्रयोग किया गया है। अतः यह का प्रयोग बाद में कहीं जाने वाली बात के स्थान पर भी किया जाता है।
5. वह कुत्ता है।
उपरोक्त वाक्य में वह सर्वनाम का प्रयोग गाय की ओर संकेत करने के लिए हुआ है। इस वाक्य में वह का प्रयोग होने से यह समझ में आता है कि गाय वक्ता से कुछ दूरी पर मौजूद है। अतः यह वाक्य निश्चयवाचक सर्वनाम का उदाहरण है।
1.यह मेरा बड़ा भाई है।
2.यह पेंट मेरी नहीं है।
3.ये गाय किशोर की है।
4.यह खाना मैंने बनाया है।
5.यह गंगाजल है।
उपरोक्त वाक्यों में किसी निकटवर्ती व्यक्ति अथवा वस्तु का बोध करवाने के लिए यह और ये का प्रयोग किया गया है। इन वाक्यों से पता लगता है कि यह का प्रयोग एकवचन में तथा ये का प्रयोग बहुवचन में किया जाता है। अतः उपरोक्त वाक्य निश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण हैं।
1.वह सुनील का सामान है।
2.वह कुर्सी है।
3.वे डॉक्टर हैं।
उपरोक्त वाक्यों में किसी दूरवर्ती व्यक्ति अथवा वस्तु का बोध करवाने के लिए वह और वे का प्रयोग किया गया है। इन वाक्यों से यह समझ में आता है कि वह का प्रयोग एकवचन में तथा वे का प्रयोग बहुवचन में किया जाता है। अतः उपरोक्त वाक्य निश्चयवाचक सर्वनाम के उदाहरण हैं।
1.लोगों ने चोर को वह मारा कि बेचारा अधमरा हो गया।
2.यह तो आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं।
उपरोक्त वाक्यों में ‘यह’ और ‘वह’ का प्रयोग क्रिया विशेषण के समान किया गया है। अतः यह और वह का प्रयोग क्रिया विशेषण के समान भी होता है।
ऐसे शब्द जिनमें स्थान, व्यक्ति, वस्तु आदि के द्वारा निश्चितता का बोध न होता हो अर्थात् वह शब्द जो वस्तु या पदार्थ के निश्चित होने का बोध नहीं करवाता हो, वे शब्द अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे कुछ, किसी, कोई आदि।
1. कोई आया था और आपके लिए कुछ लाया था।
2. हमारे घर कोई आया है।
उपर्युक्त वाक्य में हमें किसी के आने का बोध हो रहा है ना कि यह पता चल रहा है कि कौन आया है? अर्थात् हमें यह पूरी तरह से निश्चित नहीं है कि कौन आया है।
यहां पर “कोई” संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त हुआ है। लेकिन “कोई” शब्द से हमें किसी व्यक्ति या वस्तु के निश्चित नहीं होने का बोध हो रहा है। इसलिए “कोई” शब्द अनिश्चयवाचक सर्वनाम है।
3. तुम्हारे लिए कोई रिश्ता आया है।
इस वाक्य में हमें यह ज्ञात होता है कि किसी व्यक्ति के लिए रिश्ता आया है। लेकिन रिश्ता किसका आया है, यह निश्चत नहीं है?
चूँकि यहां पर इस वाक्य में “कोई” शब्द का प्रयोग संज्ञा के स्थान पर हुआ है, जो व्यक्तिवाचक संज्ञा का एक उदाहरण है। इसलिए यह अनिश्चयवाचक सर्वनाम के अंतर्गत आता है।
4. कुछ लोगों से मिल लिए और कुछ से मिलना है।
यहां पर “कुछ” शब्द से सिर्फ अनुमान लगाया जा रहा है कि कुछ लोगों से मिल लिए है और कुछ से मिलना अभी बाकि है। हमें यह निश्चित नहीं पता है कि कितने लोगों से मिल लिए है और कितने लोगों से अभी मिलना बाकि है। बचे हुए लोग ज्यादा भी हो सकते हैं और कम भी।
यहां पर “कुछ” संज्ञा के स्थान पर प्रयोग में लाया गया है, लेकिन इससे कोई निश्चित होने का बोध नहीं हो रहा है। इसलिए “कुछ” शब्द अनिश्चित सर्वनाम अंतर्गत आता है।
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी वस्तु या व्यक्ति का सम्बन्ध बताने के लिए किया जाए, वे शब्द “सम्बन्धवाचक सर्वनाम” कहलाते हैं।
सम्बन्धवाचक सर्वनाम का प्रयोग वाक्य में दो शब्दों को जोड़ने के लिए भी किया जाता है। जैसे- जैसे-जिसका, जो कि, जो-सो, जितना -उतना आदि।
1. मेरा वह गिफ्ट कही खो गया जो मुझे जन्मदिन पर मिला था।
ऊपर वाक्य में “गिफ्ट और जन्मदिन” में सम्बन्ध बताया गया है।
2.जो पढाई करेगा, वह पास हो जायेगा।
ऊपर वाक्य में “पढाई और पास” होने में सम्बन्ध बताया गया है।
3.जितना कर्म करोगे, उतना जल्दी लक्ष्य मिलेगा।
इस वाक्य में हम देख पा रहे हैं कि जितना-उतना शब्दों का प्रयोग करके कर्म और लक्ष्य में सम्बन्ध बताने का प्रयास किया जा रहा है कि जितना कर्म करोगे, उतना लक्ष्य जल्दी मिलेगा। अतः जितना-उतना सम्बन्धवाचक सर्वनाम के अंतर्गत में आते हैं।
4.जैसा काम करोगे, वैसा फल मिलेगा।
ऊपर दिए गए वाक्य में जैसा आप देख सकते हैं कि जैसा-वैसा का प्रयोग करके काम और फल में सम्बन्ध बताया जा रहा है कि जो जैसा काम करेगा, वैसा ही उसे फल मिलेगा। अतः जैसा-वैसा भी सम्बन्धवाचक सर्वनाम की श्रेणी में आयेंगे।
जिस सर्वनाम का उपयोग करके किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु इत्यादि के बारे में प्रश्न पूछा जाता है उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं।
कौन, किसका, क्या, किसने, कैसे, कब, क्यों, कहां, किस लिए आदि।
नोट:- जिस वाक्य में प्रश्नवाचक सर्वनाम का उपयोग प्रश्न पूछने के अर्थ में किया जाता है उस वाक्य के अंत में प्रश्नवाचक चिन्ह (?) का उपयोग किया जाता है।
1.कौन जा रहा है?
ऊपर दिए गए वाक्य में किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में प्रश्न पूछा जा रहा है जिसमें प्रश्नवाचक सर्वनाम शब्द का उपयोग किया गया है।
2.क्या हुआ?
ऊपर वाक्य में भी प्रश्न ही पूछा जा रहा है अर्थात उसमें भी प्रश्नवाचक सर्वनाम शब्द का उपयोग किया गया है।
हिंदी भाषा में सर्वनाम के छः प्रकार है, परंतु अंग्रेजी भाषा में सर्वनाम के दस प्रकार हैं। अंग्रेजी भाषा के दस सर्वनाम -
अतः हिंदी भाषा के छः सर्वनाम के अलावा अंग्रेजी भाषा में चार और सर्वनाम है। इन सर्वनाम का वर्गीकरण वचन और लिंग के आधार पर भी किया गया है।
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