अमेरीगो वेस्पुच्ची (इतालवी: Amerigo Vespucci, १४५४ - १५१२ ई.) फ्लोरेंस गणराज्य के एक इतालीय व्यापारी, खोजकर्ता और नाविक थे, जिनके नाम से अमेरिका शब्द निकला है।
अमेरीगो वेस्पुच्ची | |
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Posthumous portrait in the Giovio Series at the Uffizi in Florence, attributed to Cristofano dell'Altissimo, ल. 1568 | |
जन्म | 9 March 1451 फ़्लोरेंस, फ़्लोरेंस गणराज्य |
मौत | 22 February 1512 (aged 60) सविल, कैस्टिले का ताज |
उपनाम | Américo Vespucio (Spanish) Americus Vespucius (Latin) Américo Vespúcio (Portuguese) |
पेशा | व्यापारी, खोजकर्ता, मानचित्रकार |
प्रसिद्धि का कारण | यूरोपीय लोगों को यह प्रदर्शित करना कि नयी दुनिया एशिया नहीं बल्कि पहले से अज्ञात चौथा महाद्वीप है, जिसके नाम पर अमेरिका का नाम रखा गया है। |
हस्ताक्षर |
अमेरीगो वेस्पूचि का जन्म फ्लारेंस में हुआ था। इन्होंने ज्योतिष शास्त्र का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। अपने जमाने में ये अक्षांश देशांतर की गणना में सबसे कुशल व्यक्ति थे। फ्लारेंस में मेडिसी (Mecdici) के व्यापारिक कार्यालय में लिपिक का कार्य करने के काल में इनकी अभिरुचि भूगोल के अध्ययन तथा ग्लोब, रेखाचित्र एवं मानचित्रों के संग्रह में लगी और क्रमश: ये कुशल मानचित्रकार भी बन गए। १४८९ ई. तथा १४९१ ई. के बीच ये मेडिसी के प्रतिनिधि स्वरूप किसी महत्वपूर्ण कार्यवश बारसेलोना भेजे गए। १४९३ ई. में इनका संबंध जानतो वेरार्डी (Giannetto Berardi) के सेविल स्थित व्यापारगृह से हो गया। वेरार्डी स्पेन के राजा के अधीन था। सेविल स्थित व्यापारगृह ऐटलान्टिक महासागर के आरपार अभियान करनेवाले पोतों के निर्मण का ठेका लेता था। जानोतो की मृत्यु के पश्चात् उसके काम को वेस्पूचि ने सँभाला और इस प्रकार संभवत: कोलम्वस की दूसरी समुद्री यात्रा के लिए पोतनिर्माण में सेस्पूचि ने हाथ बटाया।
वेस्पूचि, की समुद्रयात्राएँ १४९७-१५०५ ई. की अवधि में हुईं। मई, १४९९ ई. तथा जून, १५०० ई. के बीच स्पेन के अभियान में विस्पूचि ने नाविक की हेसियत से भाग लिया। इस यात्रा में एमाज़ान का मुहाना, ओरिनीको का मुहाना आदि का पता लगा। वेस्पूचि ने समझा कि वे सुदूर पूर्व एशिया प्रायद्वीप का चक्कर लगा रहे हैं तथा इसके आगे एशिया के समुद्र मिलेंगे। १३ मई, १५०१ ई. को सिलोन (श्रीलंका) तथा हिंदमहासागर में पहुँचने के विचार से पुर्तगाल सरकार के तत्वावधान में इनका दूसरा अभियान हुआ। इसमें ये ब्राजील तट से होकर पैटागोनिय तट के आगे सान सूलिना (San Sulina) की खाड़ी के आसपास तक गए।
भौगोलिक अन्वेषणों के इतिहास में इस यात्रा का बड़ा महत्त्व है। इसके बाद वेस्पूचि तथा अन्य विद्वानों को इस बात का विश्वास हो गया कि उपर्युक्त भाग एशिया के नहीं वरन् नई दुनिया के हिस्से थे। १५०८ ई. में वेस्पूचि स्पेन के प्रमुख नाविक नियुक्त हुए। साथ ही साथ नए खोजे गए देशों एवं उन तक पहुँचने के रास्तों के नक्शे बनाने एवं विभिन्न पोत कप्तानों द्वारा प्रेषित आँकड़ों की तुलना एवं व्याख्या करने का काम भी इन्होंने सँभाला। यह कार्य ये अपने मृत्यु काल तक करते रहे।
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