करणी माता का मन्दिर एक प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर है जो राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है। इसमें देवी करणी माता की मूर्ति स्थापित है। यह बीकानेर से ३० किलोमीटर दक्षिण दिशा में देशनोक में स्थित है। करणी माता का जन्म चारण क्षत्रिय कुल में हुआ यह मन्दिर चूहों का मन्दिर भी कहलाया जाता है। मन्दिर में सफेद चूहे का दर्शन मंगलकारी माना जाता है। इस पवित्र मन्दिर में लगभग 25000 चूहे रहते हैं।
करणी माता मन्दिर | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | देशनोक |
ज़िला | बीकानेर |
राज्य | राजस्थान |
देश | भारत |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | राजपूती वास्तुकला |
निर्माता | महाराजा गंगा सिंह |
करणी मां की कथा एक सामान्य ग्रामीण कन्या की कथा है, लेकिन उनके संबंध में अनेक चमत्कारी घटनाएं भी जुड़ी बताई जाती हैं, जो उनकी उम्र के अलग-अलग पड़ाव से संबंध रखती हैं। बताते हैं कि संवत 1595 की चैत्र शुक्ल नवमी गुरुवार को श्री करणी ज्योर्तिलीन हुईं। संवत 1595 की चैत्र शुक्ला 14 से यहां श्री करणी माता जी की सेवा पूजा होती चली आ रही है।
करणी जी का अवतरण वि. सं. १४४४ अश्विनी शुक्ल सप्तमी शुक्रवार तदनुसार २० सितम्बर, १३८७ ई. को सुआप (जोधपुर) में मेहाजी किनिया के घर में हुआ था। करणीजी ने जनहितार्थ अवतार लेकर तत्कालीन जांगल प्रदेश को अपनी कार्यस्थली बनाया। करणीजी ने ही राव बीका को जांगल प्रदेश में राज्य स्थापित करने का आशीर्वाद दिया था। करणी माता ने मानव मात्र एवं पशु-पक्षियों के संवर्द्धन के लिए देशनोक में दस हजार बीघा 'ओरण' (पशुओं की चराई का स्थान) की स्थापना की थी। करणी माता ने पूगल के राव शेखा को मुल्तान (वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित) के कारागृह से मुक्त करवा कर उसकी पुत्री रंगकंवर का विवाह राव बीका से संपन्न करवाया था। करणीजी की गायों का चरवाहा दशरथ मेघवाल था। डाकू पेंथड़ और पूजा महला से गायों की रक्षार्थ जूझ कर दशरथ मेघवाल ने अपने प्राण गवां दिए थे। करणी माता ने डाकू पेंथड़ व पूजा महला का अंत कर दशरथ मेघवाल को पूज्य बनाया जो सामाजिक समरसता का प्रतीक है ।
इस मन्दिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने राजपूत शैली में लगभग १५-२०वीं सदी में करवाया था। मन्दिर के सामने महाराजा गंगा सिंह ने चांदी के दरवाजे भी बनाए थे। देवी की छवि अंदरूनी गर्भगृह में निहित है। मन्दिर में १९९९ में हैदराबाद के कुंदन लाल वर्मा ने भी कुछ मन्दिर का विस्तार किया था।
मां करणी मंदिर तक पहुंचने के लिए बीकानेर से बस, जीप व टैक्सियां आसानी से मिल जाती हैं। बीकानेर-जोधपुर रेल मार्ग पर स्थित देशनोक रेलवे स्टेशन के पास ही है यह मंदिर। वर्ष में दो बार नवरात्रों पर चैत्र व आश्विन माह में इस मंदिर पर विशाल मेला भी लगता है। तब भारी संख्या में लोग यहां पहुंचकर मनौतियां मनाते हैं। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए मंदिर के पास धर्मशालाएं भी है।[उद्धरण चाहिए]
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