लघु फ़िल्म विश्वभर में बनते तथा प्रदर्शित होते हैं मजे की बात यह है कि इन्हें प्रदर्शित करने के लिए सेंसर बोर्ड की अनुमति की भी कोई आवश्यकता नहीं होती फिर भी कई लघु फ़िल्म सेंसर बोर्ड के द्वारा पास करवाए गये हैं। कई देशों में लघु फ़िल्मों की अवधि अलग अलग भी तय की गई है भारत में एक घंटे से कम अवधि का फ़िल्म लघु फ़िल्म माना जाता है।
फ़िल्मों के इतिहास में सबसे पुराना इतिहास लघु फ़िल्मों का है विश्व में सर्वप्रथम बनने एवं प्रदर्शित होने वाले फ़िल्म लघु फ़िल्म ही थे। पूर्ण अवधि के फ़िल्म बनने बाद में आरम्भ हुए। भारत में भी सर्वप्रथम लघु फ़िल्म ही बने एवं लघु फ़िल्म ही प्रदर्शित हुए।
वर्तमान में लघु फ़िल्मों का अच्छा प्रदर्शन है उन्हें कम लागत में बनाया जा सकता है तथा प्रदर्शित करने के लिए यूट्यूब एवं डीवीडी जैसे विकल्प उपलब्ध हैं जो कलाकार फ़िल्मों से पहचान बनाना चाहते हैं और उन्हें फीचर फ़िल्मों में कार्य करने का अवसर नहीं मिल रहा वे लघु फ़िल्म बना सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों से लघु फ़िल्मों में कलाकारों की संख्या बढ रही है।
आधुनिक युग में तो लघु फ़िल्म उत्सव पुरुष्कारों का भी आयोजन होता है जहां अच्छा प्रदर्शन करने वाले लघु फ़िल्म बनाने वाले निर्माता, निर्देशकों को सम्मानित एवं पुरुष्कृत भी किया जाता है।
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