मेहंदी जिसे हिना भी कहते हैं, दक्षिण एशिया में प्रयोग किया जाने वाला शरीर को सजाने का एक साधन होता है। इसे हाथों, पैरों, बाजुओं आदि पर लगाया जाता है। 1990 के दशक से ये पश्चिमी देशों में भी चलन में आया है।
मेहंदी का प्रचलन आज के इस नए युग में ही नहीं बल्कि काफी समय पहले से हो रहा है। आज भी सभी लड़कियां और औरतें इसे बड़े चाव से लगाती है, यहाँ तक की लड़कियां और औरतें ही नहीं कई पुरुष भी मेहंदी के बड़े शौकीन होते है हमारी भारतीय परंपरा में मेहंदी का प्रचलन काफी पुराने समय से होता आ रहा है, क्योंकि मेहंदी नारी श्रृंगार का एक अभिन्न अंग है जिसके बिना हर रीति-रिवाज अधुरा माना जाता है।
मेहंदी ओलगाने के लिये हिना नामक पौधे/झाड़ी की पत्तियों को सुखाकर पीसा जाता है। फिर उसका पेस्ट लगाया जाता है। कुछ घंटे लगने पर ये रच कर लाल-मैरून रंग देता है, जो लगभग सप्ताह भर चलता है।
2013 के एक अध्ययन के अनुसार, 4,000 से अधिक वर्षों से मेंहदी का उपयोग त्वचा (साथ ही बालों और नाखूनों) के लिए डाई के रूप में किया जाता रहा है।
भारतीय परंपरा में मेहंदी आमतौर पर हिंदू शादियों और त्योहारों जैसे करवा चौथ, वट पूर्णिमा, दिवाली, भाई दूज, नवरात्रि, दुर्गा पूजा और तीज के दौरान लगाई जाती है। दक्षिण एशिया में मुसलमान मुस्लिम शादियों, ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा जैसे त्योहारों के दौरान भी मेहंदी लगाते हैं।
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