क्षार

क्षार एक ऐसा पदार्थ है, जिसको जल में मिलाने से जल का pHमान 7.0 से अधिक हो जाता है। ब्रंस्टेड और लोरी के अनुसार, क्षार एक ऐसा पदार्थ है जो अम्लीय पदार्थों को OH- दान करते हैं।

क्षारक वास्तव में वे पदार्थ हैं जो अम्ल के साथ मिलकर लवण और जल बनाते हैं। उदाहरणत:, जिंक ऑक्साइड सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ मिलकर ज़िंक सल्फेट और जल बनाता है। दाहक सोडा (कॉस्टिक सोडा), सल्फ़्यूरिक अम्ल के साथ मिलकर सोडियम सल्फेट और जल बनाता है। धातुओं के ऑक्साइड सामान्यत: क्षारक हैं। पर इसके अपवाद भी हैं।

क्षारकों में धातुओं के ऑक्साइड और हाइड्राॅक्साइड हैं, पर सुविधा के लिए तत्वों के कुछ ऐसे समूह भी रखे गए हैं जो अम्लों के साथ मिलकर बिना जल बने ही लवण बनाते हैं। ऐसे क्षारकों में अमोनिया, हाइड्राॅक्सिलएमीन और फाॅस्फीन हैं। द्रव अमोनिया में घुल जाता है पर फिनोल्फथैलीन से कोई रंग नहीं देता। अत: कहाँ तक यह क्षारक कहा जा सकता है, यह बात संदिग्ध है।

यद्यपि ऊपर की क्षारक की परिभाषा बड़ी असंतोषप्रद है, तथापि इससे अच्छी परिभाषा नहीं दी जा सकी है। क्षारक (बेस) और क्षार (ऐल्कैली) पर्यायवाची शब्द नहीं हैं। सब क्षार क्षारक हैं पर सब क्षारक क्षार नहीं हैं। क्षार-धातुओं के ऑक्साइड, जैसे सोडियम ऑक्साइड, जल में घुलकर हाइड्राॅक्साइड बनाते हैं। ये प्रबल क्षारकीय होते हैं। क्षारीय मृदाधातुओं के आक्साइड, जैसे कैल्सियम ऑक्साइड, जल में अल्प विलेय और अल्प क्षारीय होते हैं। अन्य धातुओं के ऑक्साइड जल में नहीं घुलते और उनके हाइड्राॅक्साइड परोक्ष रीतियों से ही बनाए जाते हैं।

धातुओं के ऑक्साइड और हाइड्राॅक्साइड क्षारक होते हैं। क्षार धातुओं के ऑक्साइड जल में शीघ्र घुल जाते हैं। कुछ धातुओं के ऑक्साइड जल में कम विलेय होते हैं और कुछ धातुओं के ऑक्साइड जल में ज़रा भी विलेय नहीं हैं। कुछ अधातुओं के हाइड्राइड, जैसे नाइट्रोजन और फाॅस्फोरस के हाइड्राइड (क्रमश: अमोनिया और फाॅस्फीन) भी भस्म होते हैं।

क्षारों के गुण

  1. बहुत से क्षार जल में विलेय हैं। (जैसे- सोडियम हाइडॉक्साइड, अमोनिया आदि) किन्तु कुछ विलेय नहीं हैं (जैसे- एल्युमिनियम हाइडॉक्साइड)।
  2. सांद्र क्षार जैविक चींजों के लिये दाहक (कॉस्टिक) होते हैं तथा अम्लीय पदार्थों के साथ तेजी से क्रिया करते हैं।
  3. क्षारों के जलीय बिलयन तथा पिघले हुए क्षार विद्युत के सुचालक होते हैं एवं इन रूपों में ये आयनों में बिलगित हो जाते हैं।
  4. क्षार, लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं तथा फेनॉफ्थलीन को गुलाबी बना देते हैं।
  5. तेलों एवं वसाओं से वे साबुन एवं ग्लीसरीन बनाने के काम आते हैं।
  6. कुछ क्षार प्रबल (strong) होते हैं और कुछ क्षार कमजोर (weak)।
  7. क्षारों में जल मिलाने से इनकी सांद्रता (कन्सेन्ट्रेशन) कम होता है (तनुता बढ़ती है) तनुतबढ़ने के साथ-साथ क्षारों का प्रभाव भी कम होता है।

इन्हें भी देखें

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PHब्रान्स्टेड तथा लॉरी का अम्ल-क्षार सिद्धान्त

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