लयनकाय झिल्ली-बद्ध पुटिका संरचना होती है जो संवेष्टन विधि द्वारा गॉल्जीकाय में बनते हैं। पृथक्कृत लयनकाय पुटिकाओं में सभी प्रकार की जलापघटनीय प्रकिण्व (हाइड्रोलेस: लाइपेस, प्रोटीएस व कार्बोडाइड्रेस) मिलतें हैं जो अम्लीय परिस्थितियों में सर्वाधिक सक्रिय होते हैं। ये प्रकिण्व कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड, नाभिकीयाम्ल आदि के पाचन में सक्षम हैं।
कोशिका विज्ञान | |
---|---|
प्राणि कोशिका चित्र | |
क्रिश्चियन डी डूवे ने सर्वप्रथम सन् 1958 में लाइसोसोम की खोज की। ये गोलाकार काय होते हैं, जिनके व्यास 0.4u-0.8u तक होता है। ये इकहरी युनिट मेम्ब्रेन से बने होते हैं तथा इनके अन्दर सघन मैट्रिक्स भरा रहता है, जिसमें ऐसिड फास्फेटेज एन्जाइम भरे रहते हैं।
लयनकाय के कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
This article uses material from the Wikipedia हिन्दी article लयनकाय, which is released under the Creative Commons Attribution-ShareAlike 3.0 license ("CC BY-SA 3.0"); additional terms may apply (view authors). उपलब्ध सामग्री CC BY-SA 4.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। Images, videos and audio are available under their respective licenses.
®Wikipedia is a registered trademark of the Wiki Foundation, Inc. Wiki हिन्दी (DUHOCTRUNGQUOC.VN) is an independent company and has no affiliation with Wiki Foundation.