बाहुबली: द बिगनिंग तेलुगू और तमिल भाषाओं में बनी एक भारतीय फ़िल्म है। यह हिन्दी, मलयालम व कुछ विदेशी भाषाओं में भी बनी है तथा इसे 10 जुलाई 2015 को सिनेमाघरों में दिखाया गया। इसे एस॰एस॰ राजामौली ने निर्देशित किया है। प्रभास, राणा डग्गुबती, अनुष्का शेट्टी और तमन्ना भाटिया ने मुख्य किरदार निभाए हैं। इसमे रम्या कृष्णन, सत्यराज, नासर, आदिवि सेश, तनिकेल्ल भरनी और सुदीप ने भी कार्य किया है। फ़िल्म की कुछ खास बातों में से एक रही इस फिल्म में चित्रित कालकेय कबीले द्वारा बोली जाने वाली किलिकिलि नामक एक कृत्रिम भाषा जिसका निर्माण मधन कर्की ने लगभग 750 शब्दों और 40 व्याकरण के नियमों द्वारा किया। भारतीय फ़िल्म के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब किसी फ़िल्म के लिए एक नई भाषा का निर्माण किया गया हो। यह फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर बहुत बड़ी ब्लॉकबस्टर साबित हुई , तथा वर्ष 2015 की सबसे अधिक कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बन गई।
बाहुबली : द बिगनिंग | |
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पोस्टर | |
निर्देशक | एस॰एस॰ राजामौली |
पटकथा |
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कहानी | वी॰ विजयेन्द्र कुमार |
निर्माता |
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अभिनेता | |
छायाकार | के॰के॰ सेंथिल कुमार |
वितरक | अर्का मीडिया वर्क्स |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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लम्बाई | 159 मिनट
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देश | भारत |
भाषायें | |
लागत | ₹180 करोड़ |
कुल कारोबार | ₹650 करोड़ |
भारत के प्राचीन साम्राज्यों में से एक माहिष्मती, की रानी शिवागामी, एक विशाल जलप्रपात के निकट की मांद से एक शिशु को गोद लिए बाहर आती है। वह बड़ी निडरता से अपने पीछा करते सिपाहियों को मार डालती है और शिशु की रक्षा खातिर स्वयं के प्राण बलिदान देती है। ऐन समय पर, स्थानीय ग्रामीण पानी में डूबी रानी की ऊपर उठी बांह में शिशु को देख लेते हैं और उस बच्चे को सुरक्षित बचा लेते हैं।
इस तरह रानी पर्वत की ऊँचाई से गिरते जलप्रपात में डूब कर विलीन होती है। सांगा एवं उसके पति उस शिशु का नाम शिवा रखते हैं और अपने बालक समान ही परवरिश करते हैं। गुजरते समय के साथ शिवा एक बलवान युवक के रूप में बड़ा होता है जिसकी आकांक्षा पर्वत चढ़ने की रहती है और कई बार की वह नाकाम प्रयत्न करता है। एक रोज उसे जलप्रपात में बहते हुए किसी युवती का मुखौटा मिलता है। उस युवती की पहचान ढूंढने की चाह में, वह पुनः पर्वत चढ़ाई का प्रयास करता है और आखिरकार वह सफल भी होता है।
जलप्रपात के शिखर पर, शिवा उस मुखौटे की मालिक अवनतिका को खोज निकालता है, एक विद्रोही योद्धा जिसका दल गुरिल्ला पद्धति के जरिए माहिष्मति साम्राज्य के राजा भल्लाल देव/पल्लवाथेवान के विरुद्ध युद्ध लड़ रहा है। दल का लक्ष्य है कि वे पूर्व महारानी देवसेना को छुड़ाए जिन्हें राजमहल में गत २५ वर्षों से ज़जीरों में जकड़ रखा है। और यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अवनतिका को सौंपी गई है। अवनतिका को शिवा की यह बात सुन प्रेम होता है कि वह इस जलप्रपात की तमाम मुश्किलों पर चढ़ाई करता हुआ सिर्फ उसके लिए आया है। शिवा अब इस अभियान को अपने जिम्मे लेने का वचन देता है और छिपते-छुपाते हुए माहिष्मति में प्रवेश कर देवसेना को कैद से मुक्त कराता है। शिवा उसे छुड़ा लाता है और साथ लेकर भाग निकलता है मगर जल्द ही राजा का शाही गुलाम कट्टप्पा, जिन्हें बेहतरीन युद्धकौशल के लिए जाना जाता है, उसके पीछे पड़ता है। मगर घात लगाए भद्रा, भल्लाल देव का पुत्र, अचानक ही शिवा के सर पर वार करता है, मगर कटप्पा अपने शस्त्र गिरा देता है जब उसे मालूम होता है कि शिवा असल में माहेन्द्र बाहुबली है, दिवंगत राजा अमरेंद्र बाहुबली का पुत्र।
फिर यहां भूतकाल में हुए राजा अमरेंद्र बाहुबली की विगत घटनाओं का उल्लेख होता है। अमरेंद्र की माता की मृत्यु उसके जन्म पश्चात होती है, जबकि पिता उससे काफी पूर्व ही गुजर चुके होते हैं। शिवागामी अपने अंगरक्षक कटप्पा के सहयोग से नए राजा चुने जाने तक साम्राज्य के शासन की बागडोर संभालती है। वह अमरेंद्र बाहुबली तथा भल्लाल देव को समान रूप से परवरिश देती है, उन्हें कला, विज्ञान, छल-विद्या, राजनीति और युद्ध कला जैसे कई विद्याओं एवं प्रशिक्षण में पारंगत किया जाता है, मगर दोनों में ही साम्राज्य के शासन की अभिलाषा भिन्न रहती है। जहाँ अमरेंद्र बाहुबली का लोगों के प्रति उदारवादी व्यवहार है तो भल्लाल देव बेहद कठोर हैं और अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए हर संभव निष्ठुरता बरतते हैं, यहां तक कि वह बाहुबली की हत्या भी करा देते हैं।
जब माहिष्मति को शत्रु कालाकेयास द्वारा युद्ध की चुनौती मिलती है, शिवागामी वचन देती है कि जो कोई भी कालाकेयास के राजा का सिर काटकर लाएगा उसे नया राजा बना दिया जाएगा और इस तरह दोनों नातिनों के बीच बराबरी से युद्ध साधनों के बंटवारे का आदेश दिया जाता है। लेकिन भल्लाल देव के अपाहिज पिता, बिज्जाला देव, छल-प्रपंच द्वारा भल्लाल को अधिक से अधिक युद्ध साधन मुहैया कराता है। युद्ध में जब माहिष्मति एक दफा असफल होकर अपना अंत समझ लेती है, अमरेंद्र अपने सैनिकों को उसके साथ मृत्यु से ही लड़ने को पुनः प्रेरित करता है और शत्रुओं को कुचलकर युद्ध समाप्त करता है। मगर भल्लाल देव पहले ही कालाकेया के राजा का वध कर देता है, शिवागामी बतौर नये शासक के रूप में अमरेंद्र बाहुबली का चयन उसके युद्ध में श्रेष्ठता और नेतृत्वता के फैसले पर घोषणा करती है तो भल्लाल देव को उसके साहस और पराक्रम के लिए सेनानायक बनाती है।
इस पूर्व घटनाओं के बाद, जब राजा अमरेंद्र के बारे में प्रश्न किया गया, तो भावुक कटप्पा राजा के देहांत होने की बात कहता है, और कटप्पा स्वयं को ही उनकी मृत्यु का जिम्मेदार बताता है।
मैं तब ७ वर्ष का रहा था जब भारत में प्राकशित अमर चित्र कथा पढ़ा करता था। इनमें किसी महानायक या सुपरहीरो के विषय नहीं होता था, लेकिन भारत से जुड़ी लोककथाओं, दंतकथाओं और ऐसे ही कई कहानियों का इसमें चित्रण किया जाता था। पर उनमें से अधिकतर कहानियाँ भारतीय इतिहास को रेखांकित करती थी। मैं महज उन राजमहलों, युद्धों, राजाओं-महाराजाओं की कहानियों को पढ़ता ही नहीं था बल्कि उन्हीं कहानियों को अपने तरीके से मेरे दोस्तों को सुनाया करता था।"
प्रभास, राणा और अनुष्का ने इस फिल्म के लिए घर में भी काम किया और कड़ी मेहनत से प्रभास और राणा ने घुड़सवारी सीखी और तलवार से लड़ने का भी अभ्यास किया। इस कारण यह फिल्म के निर्माण और प्रदर्शन में अधिक समय लगा और यह फिल्म जुलाई २०१५ में प्रदर्शित हो सकी।। तमिल संस्करण के संवाद लिखने के लिए तमिल गीतकार मदन कर्की को चुना गया था। उन्होंने पुराने महाकाव्यों व ऐतिहासिक फिल्मों की तर्ज पर इस फिल्म के संवादों को लिखा है। फिल्म में लड़ाई के दृश्यों के प्रत्येक दृश्य को ध्यान से बनाया गया था और यह इस फिल्म के मुख्य आकर्षण हैं। एक विशेष दृश्य के लिए, पीटर हेन ने 2000 लोगो और हाथियों को आसपास दिखाया है। के.के. सेंथिल कुमार को फिल्म का छायांकन करने के लिए चुना गया था। एस॰एस॰ राजामौली ने इस फिल्म में कालकेय कबीले द्वारा बोली जाने वाली "किलिकिलि" नामक एक भाषा बनवाई। भारतीय फ़िल्म के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब किसी ने सिर्फ फ़िल्म में इस्तेमाल के लिए एक नई भाषा का निर्माण किया हो। इसमें कथित तौर पर 750 शब्द और 40 व्याकरण के नियम हैं।
अनुष्का शेट्टी जो पहले भी मिर्ची (2013) में काम कर चुकीं हैं को राजमौली ने पुनः इस फिल्म के लिए चुन लिया। इस फिल्म से जुडने के कारण अनुष्का के 2013 और 2014 का पूरा समय पूरी तरह से व्यस्त हो गया।. इससे वे किसी अन्य फिल्म में काम नहीं कर पाई। राणा दग्गुबती को एक मुख्य नकारात्मक किरदार के रूप में चुना गया, जो संयोग से रुध्रमादेवी में भी कार्य कर चुके हैं। इसके बाद सत्यराज जो तमिल फिल्मों में कार्य करते हैं, उन्हें लिया गया। एक अफवाह के अनुसार श्री देवी और सुष्मिता सेन को इस फिल्म में प्रभास की माँ के रूप में लिया जाने वाला था। लेकिन राजमौली ने इस बात का खण्डन किया। इसके बाद मई 2013 में राजमौली ने सोनाक्षी सिन्हा को अनुष्का शेट्टी के स्थान पर हिन्दी संस्करण के लिए रखने से मना कर दिया। एक समाचार के अनुसार श्रुति हासन भी इस फिल्म में मुख्य किरदार निभाने वाली थीं। लेकिन राजमौली ने इस बात को भी एक अफवाह कहा और कहा की मैंने उनसे किसी भी किरदार के लिए नहीं पूछा था।
कन्नड़ भाषा के एक अभिनेता सुदीप को एक छोटे लेकिन महत्वपूर्ण किरदार के लिए चुना गया। लेकिन जुलाई 2013 में चार दिन के इस काम में उनके और सत्यराज के मध्य विवाद और लड़ाई हो गई। इसके बाद पीटर हिन के साथ भी लड़ाई हो गई। अप्रैल 2013 में अदिवि शेष को उनके पंजा (2011) फिल्म में एक महत्वपूर्ण किरदार के लिए लिया गया। इसके बाद रम्या कृष्णन को अगस्त 2013 में राजमाता के किरदार के लिए लिया गया। इसके बाद नस्सर को एक सहायक किरदार के लिए लिया गया। 11 दिसम्बर 2013 को चरणदीप एक नकारात्मक किरदार के लिए चुने गए। उसके बाद 20 दिसम्बर 2013 में तमन्ना भाटिया को दूसरे महत्वपूर्ण किरदार के लिए लिया गया। इसके बाद राजमौली ने पवन कल्याण, एन टी रामा राव और सुनील के इस फिल्म में कार्य करने की खबर को एक आधारहीन अफवाह कहा।
फिल्म को करनूल में 6 जुलाई 2013 से फिल्माया जाना शुरू हुआ। यह राजमौली की एक और फ़िल्म, एगा (2012) के लगभग एक वर्ष के पश्चात बननी शुरू हुई। यहाँ इसे अगस्त 2013 तक पूरा किया गया। इसके बाद बाकी के हिस्से हैदराबाद में रामोजी फिल्म सिटी में बने। 29 अगस्त तक का कार्य पूरा हो गया और 17 अक्टूबर को अगले हिस्से को बनाना शुरू किया गया, जो अक्टूबर के अंत तक समाप्त हो गया। लेकिन उसके लिए जो स्थान और सेट बनाया गया था वह बारिश के कारण नष्ट हो गया। उस जगह पर लगभग एक सप्ताह का काम था। इसके बाद प्रभास और राणा ने एक और जगह तलाश की। इसके लिए राजमौली ने सभी से इस बारे में बात की। इस घटना को भी फिल्म के अंत में जोड़ा गया। इसके बाद वह लोग केरल में अगले हिस्से के निर्माण के लिए चले गए। जो 14 नवम्बर 2013 में शुरू हुआ।
नवम्बर 2013 के अंत तक फिल्म का बाहर में होने वाला हिस्सा बारिश के कारण नहीं फिल्माया जा सका था। इसके लिए केरल में इसका निर्माण शुरू हुआ। यह 4 दिसम्बर 2013 तक समाप्त हुआ। इसमें केरल के प्रसिद्ध जलप्रपात अथिरप्पिल्ली को भी दिखाया गया है। रमौजी ने मीडिया को बताया की इस फिल्म का सबसे बड़ा हिस्सा हैदराबाद में बना है। इस फिल्म में शहर के लगभग 2000 छोटे कलाकार शामिल हुए थे जिन्होंने 23 दिसम्बर 2013 में एक मैदान में काम किया। इसके लिए वह सभी अक्टूबर 2013 से तैयारी कर रहे थे। एक सूचना में पता चला की अनाजपुर गाँव के किसान इस फिल्म को बनने से रोक रहे हैं। वह कह रहे हैं की इस फिल्म को बनाने के लिए अनिवार्य आज्ञा नहीं ली गई है। इस बात को राजमौली ने नहीं माना। नए वर्ष के समय इस फिल्म के निर्माण को 2 दिनों के लिए रोक दिया गया। इसे 3 जनवरी 2014 से शुरू किया गया। मकर संक्रांति के दौरान इस फिल्म में पुनः रुकावट आई और फिल्मांकन पुनः 16 जनवरी 2014 से शुरू हो सका। इस फिल्म ने 18 जनवरी 2014 को अपने फिल्म के निर्माण के 100 दिन पूरे किए।
28 मार्च 2014 से रात के समय सारे भाग रामोजी फिल्म सिटी में ही बनाए गए। 5 अप्रैल 2014 को राजमौली ने बताया की लड़ाई का आखिरी हिस्से का निर्माण ही बचा हुआ है। इसके लिए एक नई तिथि तय हुई। कुछ समय के आराम के पश्चात 20 अप्रैल 2014 को पुनः कार्य शुरू हुआ। पहले भाग के दल को मई 2014 के रामोजी फ़िल्म सिटी में कार्य करने के पश्चात उन्हें कुछ समय की आराम करने के लिए छुट्टी दी गई। उसके पश्चात राणा भी आराम के लिए छुट्टी में चले गए। इसके पश्चात ही तमन्ना जून 2014 से दिसम्बर 2014 तक दल से जुड़ गई। साथ ही सुदीप भी 7 जून 2014 को वापस दल में शामिल हो गए। उनके साथ सत्यराज भी शामिल हो गए। वह सभी गोलकोण्डा किले से एक नए हिस्से के निर्माण में लग गए। यह हिस्सा 10 जून 2014 को समाप्त हुआ। राजमौली ने इसके कुछ हिस्सों को पुनः बनाते हैं, जो पिछले वर्ष भारी वर्षा के कारण रुक गया था। 23 जून 2014 को हैदराबाद में दल के साथ तमन्ना भी शामिल हो गई। इस फ़िल्म का निर्माण हैदराबाद के अन्नपूर्णा स्टूडियो में शुरू हुआ। जिसमें प्रभास, तमन्ना, अनुष्का और राणा ने काम किया। यहाँ फ़िल्म के कुछ महत्वपूर्ण भाग बनाए गए। इसे बनाने में 4 दिन का समय लग गया। इसी दौरान यह दल बुल्गारिया तक यात्रा करता है। यहाँ उस भाग का निर्माण किया गया, जो अक्टूबर 2013 में भारी बारिश के कारण तबाह हो गया था।
एक गीत के निर्माण में प्रभास और तमन्ना दोनों रामोजी फ़िल्म सिटी में जुलाई 2014 के तीसरे सप्ताह में शिवशंकर के द्वारा नृत्य सीखते हैं। यह नृत्य रस्सी आदि के सहारे किए गए, जो सामान्यतः किसी लड़ाई के दौरान उपयोग होती हैं। इसके गाने में के के सेंथिल कुमार द्वारा लड़ाई के कई हिस्से लिए गए। इसके अलावा इसमें कई उन्नत प्रभाव भी डाले गए हैं। इसके पूर्ण होने के पश्चात इसका अगला भाग रामोजी फ़िल्म सिटी में पीटर हेन की देख रेख में बनाए गया। 10 अगस्त 2014 में यह बताया गया कि यह पहली तेलुगू फ़िल्म है, जिसे बनाने में 200 दिन लगे। इसके पश्चात एक नया भाग महाबलेश्वर में बनाने का निर्णय लिया गया। यह कार्य 26 अगस्त 2014 को शुरू हुआ। सभी कलाकार और दल इस जगह के बेकार मौसम में भी जिसमें धुंध, बारिश और ठण्ड भी शामिल हैं। इस हिस्से को पूर्ण कर लिया। इसके पश्चात दल अगले हिस्से के लिए रामोजी फ़िल्म सिटी लौट गया। जहाँ 12 सितम्बर 2014 से निर्माण शुरू हुआ। साबू क्यरिल ने 100 फीट की एक मूर्ति का निर्माण किया।. तेलुगू फ़िल्म संस्थान के कार्यकर्ताओं द्वारा हड़ताल के कारण इसके निर्माण में और समय लग गया।
इसके कुछ हिस्से रामोजी फिल्म सिटी में 30 नवम्बर तक प्रभास और राणा के साथ बनाए गए। इसके निर्माण के दौरान तमन्ना को एक कृत्रिम पेड़ पर दिखाया गया। जिसे साबू क्यरिल ने बनाया था। इसमें इस बात को ध्यान में रखा गया था, की तेज हवा में वह कहीं दूर न उड़ जाए। दिसम्बर 2014 में उन्हें 25वें दिन हैदराबाद से बुल्गारिया में स्थानांतरित करना पड़ा। क्योंकि तेलुगू फिल्म के कर्मचारियों ने हड़ताल कर रखा था। वह तीन सप्ताह बाद 23 दिसम्बर 2014 को वापस हैदराबाद लौट आए। इसके बाद निर्माण कार्य चलता गया। इसके बाद निर्माण के लिए राजस्थान से हजारों घोड़ों को खरीदा गया। इसके बाद मार्च 2015 में मनोहरी नामक एक गाना फिल्माया गया।
बाहुबली के गाने हिन्दी, तेलुगू और तमिल तीनों भाषाओं में बने हैं। हिन्दी में गानों के बोलों को मनोज मुंतशिर ने और तमिल के सभी गानों के बोल को मधन कर्की ने लिखा है। वहीं इस फ़िल्म में संगीत इसके निर्देशक राजामौलि के भतीजे एम॰ एम॰ कीरवानी ने दिया है।
इस फिल्म का प्रदर्शन 10 जुलाई 2015 को 4 हज़ार से अधिक सिनेमाघरों में किया गया। तेलुगू और हिन्दी के ट्रेलर को 10 लाख से अधिक लोगों ने देखा। इस ट्रेलर को 24 घंटों में फ़ेसबुक पर 1.50 लाख लोगों ने देखा और 3 लाख ने पसंद किया व 2 लाख लोगों ने इसे साझा किया। लेकिन इसे केरल के कुछ ही सिनेमाघरों में दिखाया गया था।
इसके प्रचार के लिए निर्माण के कुछ छोटे दृश्यों को भी प्रदर्शित किया गया था। यह सभी दृश्य अर्का मीडिया वर्क्स के आधिकारिक यूट्यूब खाते में डाले गए थे। इसका प्रचार मुख्य रूप से हैदराबाद में किया गया। इसके लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया था जिसमें जीतने वाले को फिल्म के निर्माण स्थल में जाने का मौका मिलता। फिल्म के निर्माण की जानकारी व्हाट्सएप पर लगातार उपलब्ध कराई जा रही थी। इसके प्रचार में इस बात से भी काफ़ी मदद मिली कि यह बीबीसी की एक डाक्यूमेंट्री (भारतीय सिनेमा के 100 वर्ष) में भी उद्धृत हुई जिसका निर्देशन संजीव भास्कर द्वारा किया गया है।
इसके प्रदर्शन के पश्चात इसे इसके दृश्य प्रभाव, कथन और पृष्ठभूमि के लिए कई सकारात्मक समीक्षा मिल चुकी है। दैनिक भास्कर ने इसे 5 में से 3.5 सितारे ही दिये। इसने राजमौली के निर्देशन की प्रशंसा की और इसके गानों में 2-3 को छोड़ कर सभी गानों को अच्छा और दर्शकों को आकर्षित करने वाला बताया। हरिभूमि ने भी निर्देशन की प्रशंसा की। इसके साथ-साथ प्रभास और राणा दग्गुबती के अभिनय और किरदार की भी प्रशंसा की।
बाहुबली ने पहले ही दिन देश विदेश मे 60-70 करोड़ कमाने वाली भारत की पहली फिल्म का दर्जा प्राप्त किया। बाहुबली ने पहले सप्ताह के अंत तक में ₹250 करोड़ (US$36.5 मिलियन) की कमाई की। यह चौथी सबसे बड़ी फिल्म है, जिसने तीन दिन में ही 162 करोड़ की कमाई की है। इस फिल्म ने विदेशों में पहले ही दिन ₹20 करोड़ (US$2.92 मिलियन) की कमाई की। अमेरिका और कनाडा में इसने 1.2 मिलियन डालर (7.2 करोड़ रुपये) की कमाई की। फ़िल्म के हिन्दी संस्करण ने पहले दिन ₹4.25 करोड़ (US$6,20,500) की कमाई की जो किसी भी डब हिन्दी फ़िल्म के लिये दूसरी सबसे बड़ी कमाई के रूप में दर्ज़ हो गयी। इस तरह बाहुबली देश विदेश में 9 दिन मे 303 करोड़ की कमाई करने वाली पहली दक्षिण भारतीय फिल्म गयी। हिन्दी संस्करण की कुल कमाई पहले सप्ताह में ₹19.50 करोड़ (US$2.85 मिलियन) पहुँच गई। बाहुबली: द बिगनिंग की भारत में ₹418 करोड़ (US$61.03 मिलियन) नेट की कमाई हुई।
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