राहुल सांकृत्यायन, जिनके महापंडित क उपाधि दिहल जाले, हिंदीके एगो प्रमुख साहित्यकार अउर प्रतिष्ठित बहुभाषाविद् रहने। उ हिंदी यात्रासहित्य क पितामह कहल जालें। बौद्ध धर्म पर उनकर शोध हिंदी साहित्य में युगान्तरकारी मानल जाला, जेकरे खातिन उ तिब्बत से श्रीलंका तक भ्रमण करले रहने। एकरे अलावा उ मध्य-एशिया तथा कॉकेशस भ्रमण पे यात्रा वृतांत लिखने जेके साहित्यिक दृष्टि से बहुते महत्वपूर्ण मानल जाला।
राहुल सांकृत्यायन | |
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जनम | केदारनाथ पाण्डेय 9 अप्रैल 1893 पंदहा गाँव, आजमगढ़ जिला, उत्तर प्रदेश, ब्रिटिश भारत |
निधन | 14 अप्रैल 1963 दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल, भारत | (उमिर 70)
उपनाँव | राहुल बाबा |
पेशा | लेखक, निबंधकार, बिद्वान, भारतीय राष्ट्रवादी, इतिहासकार, भारतबिद, दर्शनशास्त्री, बहुबिद्यावान |
राष्ट्रियता | भारतीय |
प्रमुख सम्मान | 1958: साहित्य अकादमी पुरस्कार 1963: पद्म भूषण |
राहुल जी की तिब्बत यात्रा की वर्णन के महत्व आ ओकर जिनगी की हर पहलू पर बिस्तार से परभावित हो के कुछ लोग 1933-52 की समय के यात्रा साहित्य में राहुल युग ले कहि दिहल।
राहुल सांकृत्यायन के जनम आजमगढ़ जिला के पंदहा गाँव में भइल रहल जवन उनुके ननिअउरा रहल।
राहुल जी क सभसे महत्व वाला साहित्य हवे उनकर यात्रा साहित्य:
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