खत्री (کھتری, Khatri) भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तरी भाग में बसने वाली एक जाति है। मूल रूप से खत्री पंजाब (विशेषकर वो हिस्सा जो अब पाकिस्तानी पंजाब है) से हुआ करते थे लेकिन वह अब राजस्थान, जम्मू व कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरयाणा, बलोचिस्तान, सिंध और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के इलाक़ों में भी पाए जाते हैं। दिल्ली के पंजाबी लोगों में इनकी आबादी पर्याप्त हैं। खत्री शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के क्षत्रिय शब्द से होती है और पंजाब में खत्री जाति वर्णाश्रमधर्म के द्वितीय वर्ण के प्रतिनिधि हैं । इनका मुख्य पेशा व्यापार है और ऐतिहासिक तौर पर अफगानिस्तान और मध्य एशिया के रास्ते भारतीय उपमहाद्वीप पर होने वाला व्यापार इनके हाथ था । खत्री अन्य जाति अरोड़ा के साथ पंजाब की दो मुख्य जाति है जो हिन्दू हैं। कई ने सिख और इस्लाम को अपना लिया है। मुसलमान हो गए खत्री खोजा नाम से प्रसिद्ध है। ऐतिहासिक रूप से सभी सिख धर्म के गुरु खत्री थे।
खत्री के कई उपजाति या अल्ल हैं। इनमें भी एक विशेष प्रकार का पदानुक्रम है। सबसे ऊपर "ढाई घर" आते हैं, जो हैं:- कपूर, खन्ना और मल्होत्रा। फिर आते हैं "बारह घर" जिनमें गुजराल, टंडन, चोपड़ा और वाही जैसी उपजाति आती हैं। इसके बाद "बावन घर" आते हैं। इन सबसे अलग खुखरायन बिरादरी नामक समूह है जिसमें कोहली, सेठी, आनन्द, भसीन, साहनी, सूरी ,नारंग और चड्ढा आते हैं। इनका मूल निवास स्थान नमक कोह था।
खत्री लोग अपने गोत्र या उपजाति को उपनाम के रूप में प्रयोग करते हैं। उपर वर्णित नामों के अलावा अन्य गोत्र/उपजाति नाम हैं:- बेदी, सोधी, धवन, भल्ला और तलवार।
इसके अलावा गुजरात में जो खत्री रहते हैं उन में शनिश्चरा, सोनेजी, मच्छर, विंछी, सौदागर, मामतोरा आदि आते हैं।
1) ढाई घर के खत्री- ये खत्रीयो में सबसे छोटी ट्राइब है जिसमें मुख्यतः 3/4 उपनाम (surname) होते है। जैसे कपूर खन्ना मेहरोत्रा/मल्होत्रा मेहरा आदि।
2) बारह घर के खत्री- ये खत्रीयो की एक ओर ट्राइब है जिसमें मुख्यतः 12 उपनाम(surname) होते है। जैसे गुजराल चोपड़ा वाही विज टंडन आदि।
3) बावनजाही खत्री- ये खत्रीयो की एक अन्य ट्राइब है जिसमें मुख्यतः 52 उपनाम(surname) पाए जाते है। जैसे ओबेरोय वोहरा सहगल धवन भल्ला बेदी सरीन आदि। इन्हें बावन जात के खत्री भी कहा जाता है।
4) खुखरायन खत्री- ये भी खत्रीयो की एक ट्राइब है जिसकी उत्पत्ति खोखर नामक कबीले से हुई। मुहम्मद गोरी को मारने वाले राजा खोखार आनंद इसी ट्राइब से थे। इनमे भी कई उपनाम समलित है। जैसे पुरी आनंद सूरी सभरवाल साहनी कोहली काहडा आदि।
5) अरोडवंशी खत्री- ये खत्रीयो में सबसे बड़ा समूह है जिसकी उत्पति महाराजा अरुट जी से मानी गयी है। इनमे से बहुत से अरोडवंशी अपने नाम के आगे अरोड़ा लगाते है। इनके लगभग 1000 उपनाम है जैसे नारंग, बत्रा, छोकरा, बठला, आहूजा, तनेजा, खुराना, चुघ, चावला, छाबड़ा, सुनेजा ,जुनेजा, हिंदुजा, नागपल, कालरा आदि
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