मगध बृहद्रथ राजवंश

बृहद्रथ वंश मगध पर शासन करने वाला प्राचीनतम ज्ञात राजवंश है। इसी राजवंश का ही परिवर्तित नाम रवानी राजवंश हुआ। महाभारत व पुराणों से ज्ञात होता है कि प्राग्-ऐतिहासिक काल में चेदिराज वसु के पुत्र बृहद्रथ ने गिरिव्रज को राजधानी बनाकर मगध में अपना स्वतन्त्र राज्य स्थापित किया था। बृहद्रथ के द्वारा स्थापित राजवंश को बृहद्रथ-वंश कहा गया। इस वंश का सबसे प्रतापी शासक जरासंध था, जो बृहद्रथ का पुत्र था। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार 24 बृहद्रथ राजा थे जिन्होंने 1000 से अधिक वर्षों तक शासन किया।

बृहद्रथ राजवंश

रवानी राजवंश
मध्य वैदिक काल से पूर्व महाजनपद काल तक
पूर्वी आर्यावर्त में मगध राज्य के बृहद्रथ राजवंश द्वारा शासन (ल. 1100 ई.पू)
पूर्वी आर्यावर्त में मगध राज्य के बृहद्रथ राजवंश द्वारा शासन (ल. 1100 ई.पू)
राजधानीराजगीर (गिरिव्रज)
प्रचलित भाषाएँसंस्कृत (मुख्य)
मागधी
धर्म
हिंदू धर्म
सरकारराजतन्त्र
महाराजा 
• मध्य वैदिक काल मे
महाराजा बृहद्रथ
• मध्य वैदिक काल मे
महाराजा जरासंध
• उत्तर वैदिक काल मे
महाराजा सहदेव
• ल. 732–682 ई.पू
महाराजा रिपुंजय
ऐतिहासिक युगप्राचीन भारत
मुद्रापण
पूर्ववर्ती
परवर्ती
मगध बृहद्रथ राजवंश ताम्र संचय संस्कृति
मगध बृहद्रथ राजवंश वैदिक सभ्यता
प्रद्योत वंश मगध बृहद्रथ राजवंश
अब जिस देश का हिस्सा हैभारत

स्थिति और विस्तार

प्राचीन मगध दक्षिणी बिहार के गया और पटना जनपदों के स्थान पर तत्कालीन मगध राज्य था। इसके उत्तर में गंगानदी, पश्चिम में सोननदी, पूर्व में चम्पा नदी तथा दक्षिण में विन्ध्याचल पर्वतमाला थी।

इतिहास

महाराजा बृहद्रथ

बृहद्रथ नाम ऋग्वेद (I.36.18, X.49.6) में मिलता है। रामायण और पौराणिक सूत्रों के अनुसार, उपरिचार वसु ने राजवंश की राजधानी वसुमती और गिरिव्रज की स्थापना की थी। महाभारत और पुराणों के अनुसार बृहद्रथ उपरीचर वसु के पांच पुत्रों में सबसे बड़े थे और उनकी रानी गिरिका थी।

महाराजा जरासंध

जरासंध अत्यन्त पराक्रमी एवं साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का शासक था। जरासंध के नाम का जन्मसूत्र भी 'जरा' में छुपा हुआ है। वह जन्म के समय दो टुकड़ों में विभक्त था। जरा माता ने उन्हे जोड़ा था। जरासंध का नाम पुराणों में कई बार आता है। जरासंध यादवों का शत्रु था और इसीलिए महाभारत में उसका उल्लेख खलनायक के रूप में किया गया है।

हरिवंश पुराण से ज्ञात होता है कि उसने काशी, कोशल, चेदि, मालवा, विदेह, अंग, वंग, कलिंग, पांडय, सौबिर, मद्र, कश्मीर और गंधार के राजाओं को परास्त किया। इसी कारण पुराणों में जरासंध को महाबाहु, महाबली और देवेन्द्र के समान तेज वाला कहा गया है।

मगध बृहद्रथ राजवंश 
भीम द्वारा जरासंध का वध

मथुरा शासक कंस से अपनी बहन की शादी जरासंध ने की तथा ब्रहद्रथ वंश की राजधानी वशुमति या गिरिव्रज या राजगृह को बनाई। भगवान श्रीकृष्ण की सहायता से पाण्डव पुत्र भीम ने जरासंध को द्वन्द युद्ध में मार दिया। उसके बाद उसके पुत्र सहदेव को शासक बनाया गया।

महाराजा सहदेव

सहदेव जरासंध का पुत्र था, जिसे जरासंध की हत्या के बाद पांडवों ने मगध के सिंहासन पर बिठाया था। सहदेव ने पांडवों की ओर से कुरुक्षेत्र युद्ध लड़ा था । पुराणों के अनुसार, वह अपने चचेरे भाई जयदेव के साथ कुरुक्षेत्र युद्ध में शकुनि द्वारा मारा गया था।

सहदेव का उत्तराधिकारी सोमधि (या सोम्फी) जो की सहदेव का पुत्र था। पांडवों द्वारा उसे अधीनस्थ बनने के लिए सहमत होने के बाद उन्हें मगध के सिंहासन पर बिठाया गया था। इसके बाद मगध राज्य कुरु राज्य के अधिन शासन करने लगा।

राजवंश का अंत

बृहद्रथ वंश का अंतिम राजा रिपुंजय था, जिसे पुनिक (पुलिक) नामक मंत्री ने मार डाला था। रिपुंजय की मृत्यु के बाद, पुनिक ने अपने ही पुत्र प्रद्योत को सिंहासन पर बैठाया और 682 ईसा पूर्व में प्रद्योत राजवंश की स्थापना की।

वंशावली

    शासकों की सूची-
मगध के बृहद्रथ राजवंश के शासकों की सूची
क्रम-संख्या शासक शासन अवधि (ई.पू में) टिप्पणी
1 महाराजा बृहद्रथ ल. 1700–1680 राजा बृहद्रथ ने मगध साम्राज्य की स्थापना की।
2 महाराजा जरासंध ल. 1680–1665 राजा बृहद्रथ का पुत्र और राजवंश के सबसे शक्तिशाली शासक, भीम द्वारा वध कर दिया गया।
3 महाराजा सहदेव ल. 1665–1661 राजा जरासंध का पुत्र, पांडवों के अधीन शासन किया।
4 महाराजा सोमधि ल. 1661–1603 राजा सहदेव का पुत्र
5 महाराजा श्रुतसरवास ल. 1603–1539
6 महाराजा अयुतायुस ल. 1539–1503
7 महाराजा निरामित्र ल. 1503–1463
8 महाराजा सुक्षत्र ल. 1463–1405
9 महाराजा बृहतकर्मन ल. 1405–1382
10 महाराजा सेनाजीत ल. 1382–1332
11 महाराजा श्रुतंजय ल. 1332–1292
12 महाराजा विप्र ल. 1292–1257
13 महाराजा सुची ल. 1257–1199
14 महाराजा क्षेम्य ल. 1199–1171
15 महाराजा सुब्रत ल. 1171–1107
16 महाराजा धर्म ल. 1107–1043
17 महाराजा सुसुम ल. 1043–970
18 महाराजा द्रिधसेन ल. 970–912
19 महाराजा सुमति ल. 912–879
20 महाराजा सुबाला ल. 879–857
21 महाराजा सुनीता ल. 857–817
22 महाराजा सत्यजीत ल. 817–767
23 महाराजा विश्वजीत ल. 767–732 राजा रिपुंजय के पिता
24 महाराजा रिपुंजय ल. 732–682 राजा रिपुंजय राजवंश के अंतिम राजा थे उनकी हत्या उनके प्रधानमंत्री पुलिक द्वारा कर दी गई और अपने पुत्र प्रद्योत को मगध का नया राजा बना दिया और प्रद्योत वंश की नीव रखी।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

सन्दर्भ ग्रन्थ

बाहरी कड़ियाँ

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