गुलमोहर: Gulmohar is a flower

गुलमोहर लाल फूलों वाला पेड़ है। इसकी जन्मभूमि मेडागास्कर को माना जाता है। कहते है कि सोलहवीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने मेडागास्कर में इसे देखा था। अठारहवीं शताब्दी में फ्रेंच किटीस के गवर्नर काउंटी डी प़ोएंशी ने इसका नाम बदल कर अपने नाम से मिलता-जुलता नाम पोइंशियाना रख दिया। बाद में यह सेंट किटीस व नेवीस का राष्ट्रीय फूल भी स्वीकृत किया गया। इसको रॉयल पोइंशियाना के अतिरिक्त फ्लेम ट्री के नाम से भी जाना जाता है। फ्रांसीसियों ने संभवत: गुलमोहर का सबसे अधिक आकर्षक नाम दिया है, उनकी भाषा में इसे स्वर्ग का फूल कहते हैं। वास्तव में गुलमोहर का सही नाम 'स्वर्ग का फूल' ही है। भरी गर्मियों में गुलमोहर के पेड़ पर पत्तियाँ तो नाममात्र होती हैं, परंतु फूल इतने अधिक होते हैं कि गिनना कठिन। यह भारत के गरम तथा नमी वाले स्थानों में सब जगह पाया जाता है। गुलमोहर के फूल मकरंद के अच्छे स्रोत हैं। शहद की मक्खियाँ फूलों पर खूब मँडराती हैं। मकरंद के साथ पराग भी इन्हें इन फूलों से प्राप्त होता है। फूलों से परागीकरण मुख्यतया पक्षियों द्वारा होता है। सूखी कठोर भूमि पर खड़े पसरी हुई शाखाओं वाले गुलमोहर पर पहला फूल निकलने के एक सप्ताह के भीतर ही पूरा वृक्ष गाढ़े लाल रंग के अंगारों जैसे फूलों से भर जाता है। ये फूल लाल के अलावा नारंगी, पीले रंग के भी होते हैं।

गुलमोहर: Gulmohar is a flower
नयी दिल्ली मे फूलों से लदा गुलमोहर

भारत में इसका इतिहास करीब दो सौ वर्ष पुराना है। संस्कृत में इसका नाम 'राज-आभरण' है, जिसका अर्थ राजसी आभूषणों से सजा हुआ वृक्ष है। गुलमोहर के फूलों से श्रीकृष्ण भगवान की प्रतिमा के मुकुट का श्रृंगार किया जाता है। इसलिए संस्कृत में इस वृक्ष को 'कृष्ण चूड' भी कहते हैं। भारत के अलावा यह पेड़ युगांडा, नाइजीरिया, श्री लंका, मेक्सिको, आस्ट्रेलिया तथा अमेरिका में फ्लोरिडाब्राजील में खूब पाया जाता है। आजकल इसके वृक्ष यूरोप में भी देखे जा सकते हैं। मेडागास्कर से इस पेड़ का विकास हुआ पर अब वहां यह लुप्त होने की दशा में है; इसलिए इसकी मूल प्रजाति को अब संरक्षित वृक्षों की सूची में शामिल कर लिया गया है। गुलमोहर के फूल मकरंद के अच्छे स्रोत हैं। शहद की मक्खियाँ फूलों पर खूब मँडराती हैं। मकरंद के साथ पराग भी इन्हें इन फूलों से प्राप्त होता है। सूखी कठोर भूमि पर खड़े फैली हुई शाखाओं वाले गुलमोहर पर पहला फूल निकलने के एक सप्ताह के भीतर ही पूरा वृक्ष गाढ़े लाल रंग के अंगारों जैसे फूलों से भर जाता है। वसंत से गर्मी तक यानी मार्च अप्रैल से लेकर जून जुलाई तक गुलमोहर अपने ऊपर लाल-नारंगी रंग के फूलों की चादर ओढ़े भीषण गर्मी को सहता देखने वालों की आँखों में ठंडक का अहसास देता है। इसके बाद फूल कम होने लगते हैं, पर नवंबर तक पेड़ पर फूल देखे जा सकते हैं। इसकी इसी विशेषता के कारण पार्क, बगीचे और सड़क के किनारे इसे लगाया जाता है।

गुलमोहर के फूलों के खिलने का मौसम अलग अलग देशों में अलग-अलग होता है। दक्षिणी फ्लोरिडा में यह जून के मौसम में खिलता है तो कैरेबियन देशों में मई से सितम्बर के बीच। भारत और मध्यपूर्व में यह अप्रैल-जून के मध्य फूल देता है। आस्ट्रेलिया में इसके खिलने का मौसम दिसम्बर से फरवरी है, जब इसको पर्याप्त मात्रा में गरमी मिलती है। उत्तरी मेरीयाना द्वीप पर यह मार्च से जून के बीच खिलता है।

चित्रदीर्घा

सन्दर्भ

Tags:

पुर्तगालभारतमेडागास्करलाल

🔥 Trending searches on Wiki हिन्दी:

किन्नरतमन्ना भाटियास्वस्तिवाचनअटल बिहारी वाजपेयीछत्तीसगढ़ के जिलेलोक सभाममता बनर्जीब्रह्मचर्यएशियानरेन्द्र मोदीआर्थिक विकासभारतीय संसदनवदुर्गानिबन्धफ्लिपकार्टभारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानप्रयागराजकोठारी आयोगपंचायती राजभारतेन्दु युगकुंडली भाग्यसाक्षात्कारहिन्दी साहित्य का आधुनिक कालभारतीय थलसेनागुर्जरकीसंस्कृत भाषाबवासीरशिक्षावाराणसीभीमराव आम्बेडकरभुवनेश्वर कुमारजन गण मनबौद्ध धर्ममहिपाल लोमरोरराष्ट्रीय जनता दलविधान परिषदहरित क्रांतिचंद्रशेखर आज़ाद रावणबाघहम साथ साथ हैंविश्व व्यापार संगठनभारत की जलवायुचैटजीपीटीरविन्द्र सिंह भाटीवर्णमालाशिव पुराणकरहरिवंश राय बच्चननीति आयोगआदर्शवादसनराइजर्स हैदराबादअरस्तु का अनुकरण सिद्धांतआशिकीप्राथमिक चिकित्सामानव का पाचक तंत्रपरिवारसामाजीकरणआंबेडकर जयंतीचन्द्रमाउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की सूचीनिर्वाचन आयोगरामचन्द्र शुक्लमानचित्रशाह जहाँतुलनात्मक राजनीतिबारामती लोक सभा निर्वाचन क्षेत्रकाव्यशास्त्रछत्तीसगढ़दिगम्बरस्वच्छ भारत अभियानबिहारी (साहित्यकार)नेहरू–गांधी परिवारघनानन्दभारत में पुलिस पद और प्रतीक चिन्हप्रतिदर्शआयुष्मान भारत योजनापृथ्वीहरियाणा के मुख्यमंत्रियों की सूची🡆 More