अलसी

अलसी या तीसी समशीतोष्ण प्रदेशों का पौधा है। रेशेदार फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इसके रेशे से मोटे कपड़े, डोरी, रस्सी और टाट बनाए जाते हैं। इसके बीज से तेल निकाला जाता है और तेल का प्रयोग वार्निश, रंग, साबुन, रोगन, पेन्ट तैयार करने में किया जाता है। चीन सन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। रेशे के लिए सन को उपजाने वाले देशों में रूस, पोलैण्ड, नीदरलैण्ड, फ्रांस, चीन तथा बेल्जियम प्रमुख हैं और बीज निकालने वाले देशों में भारत, संयुक्त राज्य अमरीका तथा अर्जेण्टाइना के नाम उल्लेखनीय हैं। सन के प्रमुख निर्यातक रूस, बेल्जियम तथा अर्जेण्टाइना हैं।

अलसी
अलसी
अलसी का पौधा
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: पादप
अश्रेणीत: पुष्पीय पौधे
अश्रेणीत: एकबीजपत्री
अश्रेणीत: रोज़िड्स
गण: मैल्पिजिएल्स
कुल: लिनेसी
वंश: लाइनम
जाति: L. usitatissimum
द्विपद नाम
Linum usitatissimum
लीनियस.

तीसी भारतवर्ष में भी पैदा होती है। लाल, श्वेत तथा धूसर रंग के भेद से इसकी तीन उपजातियाँ हैं इसके पौधे दो या ढाई फुट ऊँचे, डालियां बंधती हैं, जिनमें बीज रहता है। इन बीजों से तेल निकलता है, जिसमें यह गुण होता है कि वायु के संपर्क में रहने के कुछ समय में यह ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है। विशेषकर जब इसे विशेष रासायनिक पदार्थो के साथ उबला दिया जाता है। तब यह क्रिया बहुत शीघ्र पूरी होती है। इसी कारण अलसी का तेल रंग, वारनिश और छापने की स्याही बनाने के काम आता है। इस पौधे के एँठलों से एक प्रकार का रेशा प्राप्त होता है जिसको निरंगकर लिनेन (एक प्रकार का कपड़ा) बनाया जाता है। तेल निकालने के बाद बची हुई सीठी को खली कहते हैं जो गाय तथा भैंस को बड़ी प्रिय होती है। इससे बहुधा पुल्टिस बनाई जाती है।

आयुर्वेद में अलसी को मंदगंधयुक्त, मधुर, बलकारक, किंचित कफवात-कारक, पित्तनाशक, स्निग्ध, पचने में भारी, गरम, पौष्टिक, कामोद्दीपक, पीठ के दर्द ओर सूजन को मिटानेवाली कहा गया है। गरम पानी में डालकर केवल बीजों का या इसके साथ एक तिहाई भाग मुलेठी का चूर्ण मिलाकर, क्वाथ (काढ़ा) बनाया जाता है, जो रक्तातिसार और मूत्र संबंधी रोगों में उपयोगी कहा गया है। युनानी में वैद्य अंतर्गत जखमो पर बीजों का सेवन करने के लिए कहा जाता है। तो इन बीजों का गजकर्णादी उपयोग त्वचारोगो पर बाह्योपचार से करते हैं। चुना में मिलाकर तेल लगाने से त्वचा जली तो यह फायदेमंद उपाय है। अलसी में 'ओमेगा-३' इस मेदाम्ल का अनुपात लगभग ५८% है। इस कारण हृदय को रक्त पहुंचानेवाली वाहिन्या अाकु़चित होती नहीं अलसी यह रक्त के कॉलेस्टेरॉल का प्रमाण ९ से १८ प्रतिशत कम करती है। गठिया कम करती है। इस कारण 'ग्लिसराईड' का प्रमाण कम होता है। इसके सेवन से कर्करोग नहीं होता है।अकाली वृध्द्त्व टलता है।

संदर्भ

विश्व में अलसी उत्पादन

2011 में अलसी के प्रमुख उत्पादक देश
देश उत्पादन (मैट्रिक टन)
अलसी  कनाडा 368 300
अलसी  चीन 350 000
अलसी  रूस 230 000
अलसी  भारत 147 000
अलसी  यूनाइटेड किंगडम 71 000
अलसी  संयुक्त राज्य अमेरिका 70 890
अलसी  इथियोपिया 65 420
अलसी  कज़ाकिस्तान 64 000
अलसी  यूक्रेन 51 100
अलसी  अर्जेंटीना 32 170
कुल 1 602 047

चित्र दीर्घा

अलसी के बीज
पोषक मूल्य प्रति 100 ग्रा.(3.5 ओंस)
उर्जा 530 किलो कैलोरी   2230 kJ
कार्बोहाइड्रेट     28.88 g
- शर्करा 1.55 g
- आहारीय रेशा  27.3 g  
वसा 42.16 g
- संतृप्त  3.663
- एकल असंतृप्त  7.527  
- बहुअसंतृप्त  28.730  
प्रोटीन 18.29 g
थायमीन (विट. B1)  1.644 mg   126%
राइबोफ्लेविन (विट. B2)  0.161 mg   11%
नायसिन (विट. B3)  3.08 mg   21%
पैंटोथैनिक अम्ल (B5)  0.985 mg  20%
विटामिन B6  0.473 mg 36%
फोलेट (Vit. B9)  0 μg  0%
विटामिन C  0.6 mg 1%
कैल्शियम  255 mg 26%
लोहतत्व  5.73 mg 46%
मैगनीशियम  392 mg 106% 
फॉस्फोरस  642 mg 92%
पोटेशियम  813 mg   17%
जस्ता  4.34 mg 43%
प्रतिशत एक वयस्क हेतु अमेरिकी
सिफारिशों के सापेक्ष हैं.
स्रोत: USDA Nutrient database

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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