इलाहाबाद भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में गंगा आ यमुना के संगम पर मौजूद इतिहासी, धार्मिक आ सांस्कृतिक रूप से एक ठो महत्वपूर्ण शहर बाटे जहाँ पर्यटक लोग काफ़ी संख्या में आवे ला। मुख्य आकर्षण गंगा आ यमुना के मिलन के जगह त्रिवेणी संगम बाटे जहाँ सालाना माघ मेला आ हर बारहवाँ बरिस कुंभ मेला के आयोजन होला। एकरे अलावा नेहरू-गाँधी परिवार के घर आनंद भवन देखे भी बहुत सारा लोग आवेला। अन्य इतिहासी, सांस्कृतिक महत्व के चीज सभ के लिस्ट नीचे दिहल जात बाटे:
प्रकार | फोटो | आकर्षण | काल | बिबरण |
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जल राशि | त्रिवेणी संगम | - | ई हिंदू धर्म में पबित्र मानल जाए वाली आ भूगोलीय रूप से भारत के दू गो महत्वपूर्ण नदिन के "संगम" बाटे। पुराण में बर्णित सरस्वती नदी भी इहाँ गंगा आ यमुना से मिले ले इहो मानल जाला। महत्व के मुख्य्कारण धार्मिक आ भूगोलीय बाटे। | |
पार्क | अल्फ़्रेड पार्क | 1931 | आम जनता में प्रचलित नाँव कंपनी बाग इलाहाबाद में मौजूद एक ठो पब्लिक पार्क बा जे 133 एकड़ इलाका में बिस्तार लिहले बाटे। चंद्रशेखर आज़ाद अहिजा 1931 में शहीद भइल रहलें, एही से एकर नाँव भारत के आजादी के बाद बदल के चंद्रशेखर आजाद पार्क रख दिहल गइल बा। | |
कैथेड्रल | पत्थर गिरजा | 1887 | इलाहाबाद में एगो उल्लेखनीय एंग्लिकन कैथड्रल। ई तेरहवीं सदी के गोथिक शैली में बनल बिल्डिंग हवे जे अंग्रेजी राज के दौरान बनावल गइल रहलल 1871 AD, विलियम इमर्सन एकर डिजाइन बनवलें आ 1887 में एकर निर्माण भइल। | |
किला | इलाहाबाद किला | 1583 | बादशाह अकबर द्वारा 1583 में बनवावल गइल। किला, गंगा आ यमुना के मिलन के जगह पर बा। | |
हाइकोर्ट | इलाहाबाद हाइकोर्ट | 1869 | जोर्जियन आर्किटेक्चर के सुघर उदाहरण के रूप में ई भवन भारत के सभसे पहिला हाईकोर्ट सभ में से एक, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य सीट हवे। | |
म्यूजियम | इलाहाबाद म्यूजियम | 1931 | 1931 में स्थापित, ई म्यूजियम अपना बिबिध प्रकार के चीजन के धनी संग्रह खातिर जानल जाला। ई भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन हवे। इहाँ चंद्रशेखर आजाद के ऊ पिस्टल रखल बा जे कंपनी बाग़ में भइल उनके अंतिम मुठभेड़ में उनके साथ रहल। कौशाम्बी से खनाई में मिलल बहुत सारा कला इहाँ के शोभा बाटे। | |
विश्वविद्यालय | इलाहाबाद विश्वविद्यालय | 1887 | भारतीय उपमहादीप के सभसे पुरान इन्वर्सिटी सभ में से एक, एह यूनिवर्सिटी के स्थापना विलियम म्योर के नाँव पर म्योर कॉलेज के रूप में 1876 भइल रहल जे इलाहाबाद में एक ठो सेंट्रल यूनिवर्सिटी के स्थापना के आइडिया दिहले रहलें। कौनों समय में एह यूनिवर्सिटी के "पूरब के ऑक्सफोर्ड", के नाँव से जानल जाय। | |
म्यूजियम | आनंद भवन | 1930 | इलाहबाद में मौजूद आनंद भवन एक ठो बंगला हऽ जेकरा के बाद में म्यूजियम बना दिहल गइल। 1930 में ई मोतीलाल नेहरू द्वारा परिवार के नया घर के रूप में बनवावल गइल रहल जब स्वराज भवन (पुरनका घर) कांग्रेस के लोकल मुख्यालय के रूप में बना दिहल गइल। | |
मोहल्ला | सिविल लाइंस, इलाहाबाद | 19वीं सदी | "कैनिंग टाउन" या कैनिंगटन (Cannington) के नाँव से रिहाइशी इलाका के रूप में बिकसित ई मोहल्ला अब इलाहाबाद के सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट बन चुकल बाटे ब्रिटिश राज के ज़माना के बंगला सभ के जगह अब इहाँ ऊँच-ऊँच बिल्डिंग, अपार्टमेंट आ दूकान आ मॉल खुल गइल बाने। | |
तारामंडल | जवाहर तारामंडल | 1979 | तारामंडल के निर्माण 1979 आ ई आनंद भवन के बगल में ओही कैम्पस में मौजूद बाटे। एकर मैनेजमेंट 'जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड' (स्था. 1964) द्वारा होला, जेकर मुख्यालय तीनमूर्ति भवन नई दिल्ली में बा। | |
बाग | खुसरो बाग | 18वीं सदी | ऊँच देवाल से घेर के बनावल, मुगल काल के बाग हवे जेह में जहाँगीर के सभसे बड़का लड़िका खुसरू मिर्जा (निधन 1622), खुसरू के महतारी शाह बेगम (निधन1604), आ एक ठो राजपूत राजकुमारी आ जहाँगीर के मेहरी से जनमल "सुलतान निसार बेगम" (निधन c.1624) नाँव के खुसरू के बहिन के मकबरा बाने। ई मुगलिया भवन शैली के सुघर उदाहरण बाटे। वर्तमान में इहाँ एक ठो इको नॉलेज पार्क स्थापित बा। | |
मेला | कुंभ मेला | - | ई हिंदू लोग के धार्मिक मेला हवे, हर बारहवाँ बरिस माघ के महीना में (दिसंबर-जनवरी) इहाँ नहान करे खातिर लोग इकट्टा होला आ ई दुनिया के सभसे बड़ अइसन शांतिपूर्ण सम्मलेन बन जाला; अनुमान के मोताबिक साल 2013 के मेला में लगभग 100 मिलियन लोग एकट्ठा भइल रहे। | |
बिल्डिंग | मेयो हाल | 1879 | पब्लिक मीटिंग आ अन्य इस्तेमाल खातिर बनावल गइल ई एक ठो बिसाल हाल हवे जे सिविल लाइंस के उत्तरी हिस्सा में मौजूद बा। वर्तमान में एकरा कैंपस में अमिताभ बच्चन स्पोर्ट्स क्लब चले ला। मेयो मेमोरियल हाल के डिजाइन रिचर्ड रोस्केल बायेन बनवले रहलें आ ई सन् 1879 में बन के पूरा भइल। | |
पार्क | मिंटो पार्क | 19वीं सदी | किला आ नवका नैनी पुल के बीच में मौजूद ई पार्क एक ठो इतिहासी जगह हऽ जहाँ सन् 1858 में चार्ल्स कैनिंग एक ठो सभा में महारानी के घोषणापत्र पढ़लें आ एकरा बाद भारत के सत्ता ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथ से सीधे ब्रिटिश सरकार (मुकुट के अधीन) द्वारा ले लिहल गइल। वर्तमान में एकर नाँव मदन मोहन मालवीय पार्क हवे आ इहाँ सरकारी नर्सरी बाटे। | |
पुल | नया यमुना पुल | 2004 | इलाहाबाद के दक्खिन में मौजूद, जमुना नदी पर बनल ई पुल जब बनल रहे तब भारत के सभसे लंबा 'केबिल-पर-टिकल पुल' रहल। ई पुल सन् 2004 में बन के पूरा भइल आ इलाहाबाद के नैनी से जोड़े ला। | |
टीला | उल्टा किला | 1855 | इलाहाबाद के पूरुब ओर, गंगा नदी के पार, एक ठो टीला बाटे जहाँ प्राचीन इनार (कुआँ) बा। मान्यता अनुसार ई मत्स्य पुराण आ पद्म पुराण में बर्णित इनार हवे। पुरातत्व के बिद्वान लोग एकरा के समुद्रगुप्त के जमाना के बातावे ला। एही ढूह के बारे में इहो कथा हवे कि पुराना जमाना में लोकल राजा, हड़बोंग से नाराज हो के बाबा शेख़ तौक़ी ओकर किला के उलट जाए के सराप दे दिहलें आ पूरा जर के सब नास हो गइल जेवना के आज झूसी (झुलसी से) कहल जाला। कुछ अन्य लोग एकरा के गोरखनाथ के सराप से उलटल बतावे ला। | |
मैन्शन | स्वराज भवन | 19वीं सदी | 19वीं सदी के बड़हन बंगला (मैंशन), मोतीलाल नेहरू एकरा के खरीदले रहलें, बाद में एही के दक्खिन में नया आनंद भवन बनवा के एह भवन के कांग्रेस के स्थानीय मुख्यालय बनावे खातिर दे दिहलें। वर्तमान में ई स्वराज भवन संग्रहालय (म्यूजियम) के रूप में बा। मोतीलाल के परिवार इहाँ जवाहरलाल के पैदा होखे के बाद आ के रहे सुरू कइल। | |
लाइब्रेरी | थार्नहिल मायने मेमोरियल | 1878 | वर्तमान पब्लिक लाइब्रेरी के भवन, जे कंपनी बाग में मौजूद बा। शानदार गोथिक इस्टाइल में, रिचार्ड रोक्सेल बाएन के डिजाइन कइल ई भवन इतिहासी महत्व वाला बा, लार्ड मेयो (इलाहाबाद के कमिश्नर) आ मायेन (कलेक्टर) के दोस्ती के यादगार के रूप में बनावल गइल आ 1878 में पूरा भइल। ब्रिटिश जमाना में ई भवन संजुक्त प्रांत के बिधानसभा के रूप में इस्तेमाल होखे, जब इलाहाबाद संजुक्त प्रांत के राजधानी रहल। |
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