छपरा(कैथी: 𑂓𑂣𑂩𑂰) भारत के बिहार राज्य के एकदम पच्छिमी हिस्सा में बसल एगो महत्वपूर्ण सहर हऽ। ई सारन प्रमंडल आ सारन जिला के मुख्यालय भी हऽ। शहर के लोकेशन इलाका के दू गो बिसाल नदी गंगा आ सरजू के संगम के लगे, सरजू के उत्तरी (बायाँ) तीरे पर बाटे। वास्तव में ई शहर उत्तर प्रदेश से कुछ मिनट के दूरी पर मौजूद बा।
छपरा | |
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देश | भारत |
राज्य | बिहार |
जिला | सारन |
Area | |
• Urban | 38.26 किमी2 (14.77 बर्ग मील) |
Elevation | 36 m (118 ft) |
Population (2011) | |
• शहर | 201,598 |
• Urban | 249,556 |
Demonym | छपरहवी |
भाषा | |
• आधिकारिक | हिंदी |
• चलनसार | भोजपुरी, उर्दू, अंग्रेजी |
Time zone | UTC+5:30 (IST) |
पिन | 841301 |
टेलीफोन कोड | +91 6152 |
Website | saran |
गोरखपुर-गुवाहाटी रेलमार्ग पे छपरा रेलवे स्टेशन एगो महत्वपूर्ण जंक्शन हऽ जहवां से गोपालगंज आ बलिया खातिर रेललाइन जाला।
25 डिग्री 50 मिनट उत्तर अक्षांश तथा 84 डिग्री 45 मिनट पूरूबी देशान्तर। ई घाघरा नदी के उत्तरी घाट प बसल बा। इहाँ से कुछे दूर गइला प गंडक के गंगा के साथे विलय हो जाला, जवना के गंगा-गंडक के संगम कहल जाला। पुरनिया लोग बतावेला की पाहिले सोनपुर मेला संगम के भीरी लागत रहे लेकिन अब संगम दूर घूसुक गइल बा।
अईसन कहल जाला की इहाँ के दाहिआवाँ महल्ला में दधीचि ऋषि के आश्रम रहे । इहाँ से पाँच मील पछिम में रिविलगंज बा , जहाँ गौतम ऋषि के बसेरा बतावल जाला, ऊहाँ कार्तिक पूर्णिमा के दिने एगो बरिआर मेला लागेला। ईहो कहल जाला की छपरा से 2 कोस प चिरान छपरा बा जहाँ पौराणिक राजा मयूरध्वज के राजधानी अऊरी च्यवन ऋषि के आश्रम रहे। ऊहाँ भारतीय पुरातत्व बिभाग के ओर से कोड़ाई के काम चल रहल बा जहां से इहाँ के इतिहास के बारे में कुछ बडहन जानकारी मिले के उम्मेद बा|छपरा से लगभग 17 कोस दूर पूरब गंडक नदी के तट प सोनपुर बा जवन हरिहर क्षेत्र के नाम से विख्यात बा। अईसनो कहल जाला की इहें गज अऊरी ग्राह के जुध भइल रहे। इस्वी के शुरूआत से इ क्षेत्र के राजा बघोचिया भूमिहार रहलन, जिनकर साम्राज्य (बघोच साम्राज्य) पूर्वांचल समेत आज के छपरा, सिवान आउर गोपालगंज जिले पर कायम रहे। बघोच साम्राज्य का बाद कल्याण पुर राज भइल, ओकरा बाद हुस्सेपुर राज्य कायम भइल। ऐजा के लोग आपन लगान इहे राजा के देहत रहे। ओकरा बाद अंगरेजन के अइला का बाद एजा के 99 वीं पीढी के राजा फतेह बहादुर शाही सन 1767 इस्वी में अंग्रेजन से लड़ गऐलन आउर तत्कालीन हुस्सेपुर राज्य के पतन हो गइल। बाद में ऊहे राजपरिवार के लोग हथुआ आउर तमकुही नाम के दू गो अलग-अलग राज बनवले जवन अभी तक कायम बा।
18वीं शताब्दी में डच, फ़्रांसीसी, पुर्तग़ाली और अंग्रेजन के द्वारा इहाँ शोरा-परिष्करण इकाइअन के सूरू भइला के बाद गंगा नदी के किनारे छपरा बाज़ार के रूप में पनपल। 1864 में इहाँ नगरपालिका के गठन भइल रहे।
2011 की जनगणना के अनुसार छपरा सहर के कुल आबादी 3,248,701 बा।
ई सहर प्रमुख रेल व सड़क मार्ग से जुड़ल बा अऊर एगो कृषि व्यापार केंद्र ह।
शोरा और अलसी तेल प्रसंस्करण इहाँ के प्रमुख उद्योग बा।
एह सहर में कईएक गो पार्क, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, बिहार विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त महाविद्यालय अऊरी कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से संबद्ध एगो महाविद्यालय बा।
इहाँ शिव और विष्णु के मंदिर एके साथे बा। कार्तिक पूर्णिमा के दिने सोनपुर के बिख्यात मेला लागेला अऊरी महिनन चलेला। मौर्य कुल के राजा लोगीन इहें से हाथी, घोड़ा, ऊटन के खरीदत रहले, एह से एकर प्राचीनता के पता चलेला। आजु-काल्ह एह मेला में गेरुअन के बिक्री में कमी आइल बा। एकर मुख्या वजह केरल से आवे वाली हाथियन के बेचे प कचहरी के रोक लगवल कहल जात बा। अबहियो महिना भ खातिर ई मेला बरिआर जमघट बन जाला। सोनपुरे में रेलवे अस्टेसन भइला के चलते इहाँ चहूपल आसन बा। ई मेला जगजीवन पूल के नियरे लागेला। जाड़ के दिन में गंडक के पानी हाड़ कपावेलायक पाला हो जाला। मेला में हर तरह के पालतू जानवर बेचल जालें। छपरा में कईकगो अस्कूल-कवलेज बा अऊर पढाई के प्रसार हो रहल बा। जिला में चीनी के कईकगो कारखाना बा।
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