चीनी बौद्ध धम्म (हान चीनी बौद्ध धम्म) बौद्ध धम्म की चीनी शाखा है। बौद्ध धम्म की परम्पराओं ने तक़रीबन दो हज़ार वर्षों तक चीनी संस्कृति एवं सभ्यता पर एक गहरा प्रभाव छोड़ा, यह बौद्ध परम्पराएँ चीनी कला, राजनीति, साहित्य, दर्शन तथा चिकित्सा में देखी जा सकती हैं। दुनिया की 65% से अधिक बौद्ध आबादी चीन में रहती हैं।
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भारतीय बौद्ध धम्मग्रंथ का चीनी भाषा में अनुवाद ने पूर्वी एशिया व दक्षिण पूर्व एशिया में बौद्ध धम्म को बहुत बढ़ावा दिया, इतना कि बौद्ध धम्म कोरिया, जापान, रयुक्यु द्वीपसमूह और वियतनाम तक पहुँच पाया था।
चीनी बौद्ध धम्म में बहुत सारी ताओवादी और विभिन्न सांस्कृतिक चीनी परम्पराएँ मिश्रित हैं।
कुल जनसंख्या | |
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1.07 अरब – 1.22 अरब (2010) चीन की जनसंख्या में 80% – 91% | |
विशेष निवासक्षेत्र | |
शिंजियांग के अलावा चीन के सभी प्रशासनिक विभागों में बहुसंख्यक | |
भाषाएँ | |
चीनी, मन्दारिन, चीनी-तिब्बती एवं तिब्बती |
चीन की सभ्यता विश्व की पुरातनतम सभ्यताओं में से एक है। प्राचीन चीन में बौद्ध धम्म के पहले कई महान राजवंशों का धर्म प्रचलित था। उनमें से एक शा राजवंश था, जो 2070 ईसा पूर्व था। शा वंश से पहले चीन में तीन अधिपतियों और पांच सम्राटों का काल था। पांच सम्राटों में से अंतिम सम्राट शुन था। शुन ने अपनी गद्दी यु महान को सौंपी और उसी से शा राजवंश सत्ता में आया। इसे शिया राजवंश भी कहा जाता था जिसके बाद शांग राजवंश का दौर आया, जो 1600 ईसापूर्व से 1046 ईसापूर्व तक चला। शांग राजवंश के बाद चीन में झोऊ राजवंश सत्ता में आया।
यदि विश्वस्तर पर देखा जाए तो गौतम बुद्ध के समय में चीन में कन्फ्यूशियस विचार, भारत में पूर्व बुद्ध और बुद्ध के विचार तथा ईरान में जरथुस्त्र विचारधारा का बोलबाला था, बाकी दुनिया ग्रीस को छोड़कर लगभग विचारशून्य ही थी। न ईसाई धर्म था और न इस्लामऔर नाही ब्राम्हण धर्म था। ईसा मसीह के जन्म के पूर्व बौद्ध धम्म की गूंज येरुशलम तक पहुंच चुकी थी।
चीन में झोऊ राजवंश का काल लंबे समय तक चला। इनके ही काल में चीन में कन्फ्यूशियस के विचार और पूर्व बौद्ध धम्म (गौतम बुद्ध) का विकास हुआ। बाद में ताओ वाद (लाओत्से तुंग), मोहीवाद (मोजी) और न्यायवाद (हान फेईजी और ली सी) भी खूब फला-फूला। लेकिन इन सभी के बीच बौद्ध धम्म ने अपनी जड़ें जमाईं और इसने चीन की भिन्न-भिन्न विचारधाराओं को एक सूत्र में बांध दिया। बौद्ध धम्म के कारण चीन में एकता और शक्ति का विकास हुआ। इस विचारधारा के फैलने के कारण चीन में दासप्रथा के खात्मे के साथ ही छिन राजवंश का उदय हुआ। छिन के बाद हान ने 8वीं सदी तक राज्य किया।
इन सभी राजवंशों और धर्म व दर्शन के विकास के पूर्व काल में चीन का नाम हरिवर्ष था। चीनी धर्मग्रंथों के अनुसार उसे हरिवर्ष कहा जाता था। जम्बूदीप के राजा अग्नीघ्र के 9 पुत्र हुए- नाभि, किम्पुरुष, हरिवर्ष, इलावृत, रम्य, हिरण्यमय, कुरु, भद्राश्व और केतुमाल। राजा अग्नीघ्र ने उन सब पुत्रों को उनके नाम से प्रसिद्ध भूखंड दिया। हरिवर्ष को मिला आज के चीन का भाग, जो प्राचीन भूगोल के अनुसार जंबूद्वीप का एक भाग या वर्ष था।
साँचा:बौद्ध धम्म
बौद्ध धम्म चीन में सबसे प्रचलित धम्म है। बौद्ध धम्म वैसे तो भिक्षुओं के माध्यम से 200 ईसा पूर्व ही चीन में प्रवेश कर गया था। संभवत: उससे पूर्व, लेकिन राजाओं के माध्यम से यह व्यापक पैमाने पर पहली शताब्दी के आसपास चीन का राजधम्म बनने की स्थिति में आ गया था। धीरे-धीरे बौद्ध धम्म के कारण चीन में राष्ट्रीय एकता स्थापित होने लगी। राजवंशों के झगड़े कम होने लगे। आज बौद्ध धम्म चीन का प्रमुख धम्म है। एक सर्वेक्षण के अनुसार चीन की ८० से ९० प्र.श. आबादी या ११० करोड़ से १.३ अरब तक लोग बौद्ध है। एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार चीन की जनसंख्या में ९१% या १२२ करोड़ (१.२ अरब) बौद्ध अनुयायि है।
चीन में भाषा की दृष्टि से बौद्ध धम्म की 3 शाखाएं हैं यानी हान भाषा में प्रचलित बौद्ध धम्म, तिब्बती भाषी बौद्ध धम्म तथा पाली भाषी बौद्ध धम्म। इन तीन भाषी बौद्ध धम्म के भिक्षुओं की कुल संख्या 2 लाख 40 हजार से अधिक है। तिब्बती बौद्ध धम्म चीनी बौद्ध धम्म की एक शाखा है, जो चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश, भीतरी मंगोलिया स्वायत्त प्रदेश तथा छिंग हाई प्रांत आदि क्षेत्रों में प्रचलित है।
तिब्बती , मंगोल , य्युकू , मन बा , लोबा और थू तिब्बती बौद्ध धम्म में विश्वास करती हैं जिनकी जनसंख्या लगभग 7 करोड़ है। पाली भाषी बौद्ध धम्म मुख्य तौर पर दक्षिण-पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत के शिश्वांगपानना ताई स्वायत्त प्रिफैक्चर, तेहोंग ताई व चिंगपो स्वायत्त प्रिफैक्चर और सी माओ आदि क्षेत्रों में प्रचलित है। ताई , बुलांग , आछांग और वा ज्यादातर लोग भी पाली भाषा में चले बौद्ध धम्म के अनुयायी हैं जिसकी संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है। हान भाषी बौद्ध धम्म के अनुयायी हान (हुण) जाति के लोग हैं और पूरे देश में फैले हुए हैं। वर्तमान में मूल चीन में 28 हजार बौद्ध स्तूप , विहार और 16 हजार से ज्यादा बौद्ध विहार हैं और बौद्ध धम्म के स्कूलों व कॉलेजों की संख्या 33 और धम्म पत्र-पत्रिकाओं की संख्या करीब 50 है।
ईसा की दूसरी शताब्दी में ताओ धर्म की शुरुआत हुई। ताओ धर्म में प्राकृतिक आराधना होती है और इतिहास में उसकी बहुत-सी शाखाएं थीं। अपने विकास के कालांतर में ताओ धर्म धीरे-धीरे दो प्रमुख संप्रदायों में बंट गया। एक है- आनचनताओ पंथ और दूसरा है- चड यीताओ पंथ। जिन का चीन की हान जाति में बड़ा प्रभाव होता है। चीन में कुल 1,500 से ज्यादा ताओ विहार हैं जिनमें धार्मिक व्यक्तियों की संख्या 25 हजार है। हालांकि ताओवादियों की संख्या कितनी है, यह कह पाना मुश्किल है।
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