शक

शक प्राचीन मध्य एशिया में रहने वाली स्किथी लोगों की एक जनजाति या जनजातियों का समूह था। शक मूलतः आर्य थे। इनकी सही नस्ल की पहचान करना कठिन रहा है क्योंकि प्राचीन भारतीय, ईरानी, यूनानी और चीनी स्रोत इनका अलग-अलग विवरण देते हैं। फिर भी अधिकतर इतिहासकार मानते हैं कि 'सभी शक स्किथी थे, लेकिन सभी स्किथी शक नहीं थे', यानि 'शक' स्किथी समुदाय के अन्दर के कुछ हिस्सों का जाति नाम था। स्किथी विश्व के भाग होने के नाते शक एक प्राचीन ईरानी भाषा-परिवार की बोली बोलते थे और इनका अन्य स्किथी-सरमती लोगों से सम्बन्ध था। शकों का भारत के इतिहास पर गहरा असर रहा है क्योंकि यह युएझ़ी लोगों के दबाव से भारतीय उपमहाद्वीप में घुस आये और उन्होंने यहाँ एक बड़ा साम्राज्य बनाया। आधुनिक भारतीय राष्ट्रीय कैलंडर 'शक संवत' कहलाता है। बहुत से इतिहासकार इनके दक्षिण एशियाई साम्राज्य को 'शकास्तान' कहने लगे हैं, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, सिंध, ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा और अफ़्ग़ानिस्तान शामिल थे।

    विश्वास और अविश्वास के बीच स्थिति के लिए संदेह देखें।

शक
पहली शताब्दी ईसापूर्व में स्किथिया और सरमतिया
शक
मध्य एशिया का भौतिक मानचित्र, पश्चिमोत्तर में कॉकस से लेकर पूर्वोत्तर में मंगोलिया तक
शक
स्किथियों के सोने के अवशेष, बैक्ट्रिया की तिलिया तेपे पुरातन-स्थल से
शक
३०० ईसापूर्व में मध्य एशिया के पज़ियरिक क्षेत्र से शक (स्किथी) घुड़सवार

विवरण

शक प्राचीन आर्यों के वैदिक कालीन सम्बन्धी रहे हैं जो शाकल द्वीप पर बसने के कारण शाक अथवा शक कहलाये. भारतीय पुराण इतिहास के अनुसार शक्तिशाली राजा सगर (Sargon-I) द्वारा देश निकाले गए थे व लम्बे समय तक निराश्रय रहने के कारण अपना सही इतिहास सुरक्षित नहीं रख पाए। हूणों द्वारा शकों को शाकल द्वीप क्षेत्र से भी खदेड़ दिया गया था। जिसके परिणाम स्वरुप शकों का कई क्षेत्रों में बिखराव हुआ। शक राजा नरिष्ठनत की औलाद है और ये करनाल में रहने वाली रोड़ जाति है


आधुनिक विद्वनों का मत है कि मध्य एशिया पहले शकद्वीप के नाम से प्रसिद्ध था। यूनानी इस देश को 'सीरिया' कहते थे। उसी मध्य एशिया के रहनेवाला शक कहे जाते है। एक समय यह जाति बड़ी प्रतापशालिनी हो गई थी। ईसा से दो सौ वर्ष पहले इसने मथुरा और महाराष्ट्र पर अपना अधिकार कर लिया था। ये लोग अपने को देवपुत्र कहते थे। इन्होंने १९० वर्ष तक भारत पर राज्य किया था। इनमें कनिष्क और हविष्क आदि बड़े बड़े प्रतापशाली राजा हुए हैं।

भारत के पश्चिमोत्तर भाग [[कापीसा प्रान्त|कापीसा] और गांधार में यवनों के कारण ठहर न सके और बोलन घाटी पार कर भारत में प्रविष्ट हुए। तत्पश्चात् उन्होंने पुष्कलावती एवं तक्षशिला पर अधिकार कर लिया और वहाँ से यवन हट गए। 72 ई. पू. शकों का प्रतापी नेता मोअस उत्तर पश्चिमांत के प्रदेशों का शासक था। उसने महाराजाधिराज महाराज की उपाधि धारण की जो उसकी मुद्राओं पर अंकित है। उसी ने अपने अधीन क्षत्रपों की नियुक्ति की जो तक्षशिला, मथुरा, महाराष्ट्र और उज्जैन में शासन करते थे। कालांतर में ये स्वतंत्र हो गए। शक विदेशी समझे जाते थे यद्यपि उन्होंने शैव मत को स्वीकार कर किया था। मालव जन ने विक्रमादित्य के नेतृत्व में मालवा से शकों का राज्य समाप्त कर दिया और इस विजय के स्मारक रूप में विक्रम संवत् का प्रचलन किया जो आज भी हिंदुओं के धार्मिक कार्यों में व्यवहृत है। शकों के अन्य राज्यों का शकारि विक्रमादित्य गुप्तवंश के चंद्रगुप्त द्वितीय ने समाप्त करके एकच्छत्र राज्य स्थापित किया। शकों को भी अन्य विदेशी जातियों की भाँति भारतीय समाज ने आत्मसात् कर लिया। शकों की प्रारंभिक विजयों का स्मारक शक संवत् आज तक प्रचलित है।

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

Tags:

शक विवरणशक इन्हें भी देखेंशक बाहरी कड़ियाँशक सन्दर्भशकअफ़ग़ानिस्तानआर्यईरानी भाषा परिवारख़ैबर पख़्तूनख़्वागुजरातपंजाब क्षेत्रभारतीय उपमहाद्वीपमध्य एशियायुएझ़ी लोगराजस्थानशक संवतसरमती लोगसिंधस्किथी लोगहरियाणा

🔥 Trending searches on Wiki हिन्दी:

श्रीरामरक्षास्तोत्रम्ऋतुराज गायकवाड़आदर्श चुनाव आचार संहिताकृष्णभारतीय अर्थव्यवस्थापंजाब (भारत)महाभारतसुनील नारायणप्रेमचंदविशेषणपूनम पांडेयदिल तो पागल हैपत्रकारिताप्रफुल्ल पटेलउपसर्गनारीवादजैन धर्मP (अक्षर)लोक प्रशासनपरिवारनील नदीवैभव अरोड़ासंचारभारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेशबाल गंगाधर तिलककेराजनीतिक दलप्लासी का पहला युद्धभारत निर्वाचन आयोगनर्मदा बचाओ आंदोलनभारतीय संविधान सभाभारतीय थलसेनाअम्लीय वर्षाइन्दिरा गांधीशारीरिक भाषाअंजीरनोटा (भारत)चम्पारण सत्याग्रहमानवाधिकारराजा हिन्दुस्तानीकालभैरवाष्टकमहाराष्ट्रशारीरिक शिक्षाकोई मिल गयाभारत की राजभाषा के रूप में हिन्दीप्रधानमंत्री किसान सम्मान निधिमुंबई इंडियंसये जवानी है दीवानीभारत के राष्ट्रपतिगुर्दादूधसत्रहवीं लोक सभाभारतेन्दु हरिश्चंद्रअष्टांग योगबवासीरबिहार के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रदर्शनशास्त्रए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलामअंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवसअलंकारहिंगलाज माता मन्दिरअन्य पिछड़ा वर्गसूर्य देवताअरिजीत सिंहचन्द्रमानेहरू–गांधी परिवारभारतीय राष्ट्रवादफणीश्वर नाथ रेणुगायत्री मन्त्रचन्द्रगुप्त मौर्यपाकिस्तानरघुराज प्रताप सिंहनमस्ते सदा वत्सलेलोकसभा अध्यक्षशास्त्रीय नृत्यअन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धहिन्दू पंचांगनई दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रविधान सभा🡆 More