बौद्धिक अशक्तता (Intellectual disability) एक सामान्यीकृत मानसिक रोग है जिसमें व्यक्ति की संज्ञात्मक शक्ति (cognitive functioning) काफी हद तक न्यून होती है और दो या अधिक समायोजनात्मक व्यवहारों (adaptive behaviors) में कमी देखी जाती है। इसे पहले मानसिक मन्दता (Mental retardation) कहते थे।
मानसिक मंदता विकास संबंधित एक मानसिक अवस्था है, जो की 02% तक लोगों में पाई जाती है। मानसिक मंदता किसी भी वर्ग, धर्म, जाति, या लिंग के व्यक्ति को हो सकती है। सामान्यतः इसके लक्षण बाल्यावस्था या 18 साल के पहले ही नजर आने लगते हैं।
आज भी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक रूप से मंद बच्चों को ‘पागल' कहा जाना एवं माना जाना आम है। इसके अलावा भी, मानसिक मंदता के प्रति विभिन्न भ्रांतियाँ व्याप्त हैं, जैसे-
मानसिक मंदता बुरी आत्माओं के प्रभाव की वजह से होता है;
मानसिक मन्दता झाड़-फूंक से ठीक हो सकती है ;
विवाह कर दिये जाने पर मानसिक मन्दता ठीक हो सकती है;
मानसिक मन्दता एक छुआछूत का रोग है जो साथ, बैठने, साथ खेलने आदि से किसी को भी हो सकता है;
मानसिक मन्दता माँ-बाप के पिछले जन्म के कर्मों का फल है; आदि।
इस वैज्ञानिक युग में उपरोक्त मान्यताओं का कोई आधार नहीं है। मानसिक मन्दता न तो बुरी आत्माओं के प्रभाव से होती है और न ही झाड़-फूंक से उसे खत्म किया जा सकता है। वास्तव में मानसिक मन्दता एक मानसिक अवस्था है, कोई छुआछूत का रोग नहीं कि मानसिक मन्द व्यक्ति को छूने, साथ खेलने या बैठने से किसी को हो जाये। मानसिक मन्दता के बहुत सारे संभावित कारणों का पता लगाया जा चुका है।
चिकित्सा तथा उपचार
मानसिक मंदता एक आजीवन रहने वाली अवस्था है जिसके पूर्ण उपचार के लिए कोई दवा नहीं खोजी जा सकी है, अतः इसके इलाज के लिए,
यहाँ-वहाँ न भटकें व बिना समय गवांए इसके बारे में जानकारी प्राप्त करें,
मनोवैज्ञानिक तथा मनोचिकित्सक का परामर्श जरूर लें,
बच्चे का बुद्वि (IQ) परीक्षण जरूर करा लें,
बच्चे को उसकी जरूरत के अनुसार विशेष विद्यालय में प्रशिक्षण के लिए भेंजें,
माता-पिता के लिए
यदि किसी बच्चे को मानसिक मंदता हो तो उसके विकास में माता-पिता बहुत योगदान दे सकते हैं, जैसे ,
बच्चे की कमजोरियों तथा खूबियों को पहचानें, तथा उसके अच्छे व्यवहारों को जरूर प्रोत्साहित करें,
बच्चे को क्या अच्छा लगता है तथा किस चीज़ के लिए वह आपकी बात मान सकता है यह पहचानें तथा इसका प्रयोग बच्चे को नई कुशलातायें सिखाने में करें,
बच्चे के कौन से ऐसे व्यवहार हैं जिनसे उसे या औंरों को परेशानी होती है। ऐसे व्यवहारों को रोकने के लिए बच्चे को विपरीत व्यवहार के लिए प्रोत्साहित करें तथा गलत व्यवहार करने पर उससे सही व्यवहार को कई बार करायें,
किसी भी नई क्रिया को सिखाने के लिए उसे छोटे-छोटे भागों में बाँट कर धीरे-धीरे सिखायें,
बच्चे को मारें या पीटें नहीं क्योंकि बच्चे की असफलता का कारण लापरवाही नहीं उसकी असमर्थता है,
बच्चे को एक साथ बहुत से निर्देश न दें, बल्कि भाषा को सरल करते हुए, छोटे-छोटे निर्देश ही दें,
ध्यान दें, बच्चे की सीखने की क्षमता सीमित है इसलिए उसे वही कार्य सिखायें जो उसे भविष्य में आत्मनिर्भर होने में मदद करें,
जितना हो सके खेल-खेल में सीखाने की कोशिश करें,
बच्चे को समाज में मिलने-जुलने का मौका दें,
याद रखें बच्चे को जितना अधिक माता-पिता तथा घर के अन्य करीबी लोग सिखा सकते है उतना अधिक कोई भी और विशेषज्ञ नहीं कर सकता।
अन्य
मानसिक मंदता से ग्रसित बच्चों तथा उनके माता-पिता के लिए भारत सरकार ने कई कानून व संस्थाएं बनाई है, जिनके अंतर्गत बच्चे को जिले के सदर अस्पताल से इस अवस्था का प्रमाण पत्र मिलता है। इस प्रमाण पत्र को दिखाने पर रेल यात्रा में रियायत, प्रोत्साहन राशि, सरकारी नौकरियों में विषेश प्रावधान, अभिभावकों को आयकर में छूट जैसी कई सुविधाएँ प्राप्त करने का अधिकार मिलता है। राष्ट्रीय न्यास द्वारा इन बच्चों के लिए कई कल्याणकारी योजनायें चलाई जा रही हैं। मानसिक मंदता वाले बच्चों के प्रषिक्षण के लिए बहुत सी सरकारी तथा निजी संस्थाएं भी चलायी जाती हैं। सरकार के द्वारा इन बच्चों के लिए अंतर्राश्ट्रीय स्तर पर विषेश खेलों का आयोजन भी किया जाता है।
बौद्धिक अशक्तता एवं मानसिक रोग में अन्तर
मानसिक मन्दता (Mental Retardation), मानसिक रूग्णता (Mental illness) से बिलकुल अलग है। नीचे दोनों में अन्तर दिए गए हैं।
मानसिक मन्दता एक अवस्था (state) है, अतः इसे ठीक नहीं किया जा सकता है, हाँ नियमित प्रशिक्षण के द्वारा उनका सामान्य जीवन अनुकूलतम स्तर तक लाया जा सकता है। दूसरी तरफ 'मानसिक रोग' एक बीमारी है, जिसे पूर्णतया ठीक किया जा सकता है और व्यक्ति एक सामान्य जीवन यापन कर सकता है।
मानसिक मन्द व्यक्ति की बुद्धि-लब्धि (IQ) 70 से कम होती है, परन्तु मानसिक रोग के लिये ऐसा कोई मापदण्ड नहीं है। मानसिक रोग एक कम बुद्धि-लब्धि वाले को भी हो सकता है, और एक उच्च बुद्धि-लब्धि वाले व्यक्ति को भी।
मानसिक मन्द व्यक्तियों में अनुकूलनीय व्यवहार (Adaptive Behavior) में भी कमी पायी जाती है, परन्तु मानसिक रूग्णता में व्यक्ति का अनुकूलनीय व्यवहार पूर्णतया सामान्य हो सकता है।
मानसिक मन्दता विकासात्मक अवस्था अर्थात् 18 वर्ष से पूर्व ही हो सकती है, जबकि मानसिक रूग्णता किसी भी उम्र में हो सकती है।
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