पण्डित (पंडित) का अर्थ है विद्वान या अध्यापक से है, विशेषकर वह जो संस्कृत और हिन्दू विधि, धर्म, संगीत या दर्शनशास्त्र में सक्षम हो। अपने मूल अर्थ में 'पण्डित' शब्द का तात्पर्य हमेशा उस हिन्दू से लिया जाता है जिसने वेदों का कोई एक मुख्य भाग उसके उच्चारण और गायन के लय व ताल सहित कण्ठस्थ कर लिया हो।
पण्डितों अथवा पुजारियों को निजी एवं सार्वजनिक यज्ञों व अन्य कर्मकाण्डों में वेद मन्त्रोच्चार के लिये बुलाया जाता है और इसके एवज़ में उन्हें दान-दक्षिणा देकर विदा किया जाता है। इस प्रकार के मन्त्रोच्चार का प्रयोजन शान्त मन से उसे सुनते हुए श्रोता की आध्यात्मिक उन्नति के साथ उस कार्य के वातावरण को जीवन्त करना होता है। अधिकतर पण्डित आध्यात्मिक कारणों से शाकाहारी ही होते हैं क्योंकि साधारणतया शरीर और मन से स्वयं को पवित्र रखना उनसे अपेक्षित होता है।पण्डित कोई जाति नहीं है
पण्डित उपनाम जो अधिकतर ब्राह्मणों में पाया जाता है। यद्यपि यह उपनाम अधिकतर (99%) हिन्दुओं में ही पाया जाता है तथापि इस उपनाम का प्रयोग होना कश्मीर, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और बिहार में भी होता है।हिन्दी में वे भट्ट, पुरोहित उप्रोहित और राजपुरोहित और रावल के नाम से भी जाने जाते हैं।
आज भारत में 'पण्डित' एक सम्मान सूचक शब्द है जो किसी क्षेत्र में विशेषज्ञता (विशेषतः शास्त्रीय संगीत) के लिए दिया जाता है। इसका प्रयोग हिन्दू पुरुष व्याख्याता तक सीमित है। मुस्लिम पुरुष संगीतकारों को 'उस्ताद' की उपाधि दी जाती है और 'विदुषी' और 'बेग़म' शब्दों का प्रयोग हिन्दू और मुस्लिम महिला व्याख्याता के लिए किया जाता है।
पण्डित शब्द का प्रयोग व्यक्ति के नाम से पूर्व किया जाता है ठीक उसी प्रकार जैसे शब्द 'मैस्ट्रो' का कभी किया जाता था। उदाहरणों में पण्डित रवि शंकर, पण्डित डी.वी. पलुस्कर, पण्डित भीमसेन जोशी, पण्डित जसराज और पण्डित मल्लिकार्जुन बी मंसूर शामिल हैं।
भारत के उच्चतम न्यायालय में उच्चतम न्यायालय के पण्डित की शैली का विधि अधिकारी होता था जो हिन्दू विधि के बिन्दुओं पर अंग्रेज़़ न्यायाधीशों को परामर्श देता था। इस प्रथा को १८६४ में बन्द कर दिया गया क्योंकि न्यायाधीशों ने हिन्दू विधि में कार्य हेतु कुछ अनुभव प्राप्त कर लिया था और विकसित हो चुके 'केस विधि भंडार' का उपयोग शुरू कर दिया था। इससे दो वर्ष पूर्व १८६२ में उच्च न्यायालय की संस्था ने भी उनका आधिकारिक प्रयोग कम कर दिया था।
पण्डित शब्द का प्रयोग उन भारतीय सर्वेक्षकों के लिये भी किया गया जिन्होंने १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश राज की आवश्यकता की पूर्ति हेतु उत्तर भारत के क्षेत्रों का अन्वेषण किया था।
पश्चिम में पण्डित शब्द का प्रयोग किसी विधा के एक दक्ष, विशेषज्ञ व्यक्ति के रूप में भी किया जाता है। उदाहरण के लिये प्रोग्रामिंग पण्डित, मार्केटिंग पण्डित आदि।
इस लेख की सामग्री सम्मिलित हुई है ब्रिटैनिका विश्वकोष एकादशवें संस्करण से, एक प्रकाशन, जो कि जन सामान्य हेतु प्रदर्शित है।.
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