हम यह भी कह सकते हैं:
- शब्दों के सार्थक मेल से बनने वाली इकाई वाक्य कहलाती है।
- वाक्य के द्वारा आप किसी से वार्तालाप कर सकते हैं ।
वाक्य के अनिवार्य तत्व
व्याकरण की दृष्टि से एक शुद्ध वाक्य में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है:
- आकांक्षा: आकांक्षा अर्थात इच्छा। वाक्य पदों के मेल से बनता है। किसी वाक्य में आने वाले पदों को जानने की इच्छा आकांक्षा कहलाती है।
- योग्यता: पदों में निहित अर्थ का ज्ञान कराने की क्षमता को योग्यता कहते हैं।
- निकटता: वाक्य का उचित व पूर्ण अर्थ प्रकट करने के लिए पदों की एक दूसरे से निकटता आवश्यक है। यदि वाक्य में आए एक पद का उच्चारण दूसरे पद से काफी समय बाद किया जाए तो अर्थ प्रकट होने में रुकावट आती है।
- पदक्रम: वाक्य मे प्रयोग किए जाने वाले सभी शब्दों (पदों) का क्रम निश्चित होता है। यदि वाक्य में पदों का क्रम सही नहीं है, तो अर्थ स्पष्ट नहीं होता।
- अन्वय: अन्वय का अर्थ है मेल या एकरूपता। व्याकरण के नियमों के अनुसार वाक्य में पदों प्रयोग अन्वय कहलाता है।
वाक्यांश
शब्दों के ऐसे समूह को जिसका अर्थ तो निकलता है किन्तु पूरा पूरा अर्थ नहीं निकलता, वाक्यांश कहते हैं। उदाहरण -
- 'दरवाजे पर', 'कोने में', 'वृक्ष के नीचे' आदि का अर्थ तो निकलता है किन्तु पूरा पूरा अर्थ नहीं निकलता इसलिये ये वाक्यांश।
वाक्य के अंग
वाक्य के दो अंग होते हैं:
- उद्देश्य: वाक्य में जिसके बारे में कुछ कहा जाए
- विधेय: वाक्य में उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाए
==वाक्य के भेद वाक्य भेद के दो प्रमुख भेद हैं :
- अर्थ के आधार पर
- रचना के आधार पर
अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
- विधान वाचक वाक्य: वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है, वह विधानवाचक वाक्य कहलाता है। उदाहरण:
- भारत एक देश है।
- श्रीराम के पिता का नाम दशरथ था।
- दशरथ अयोध्या के राजा थे।
- निषेधवाचक वाक्य: जिन वाक्यों से कार्य न होने का भाव प्रकट होता है, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे:
- मैंने दूध नहीं पिया।
- मैंने खाना नहीं खाया।
- राधा कुछ न कर सकी।
- प्रश्नवाचक वाक्य: वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार प्रश्न किया जाता है, वह प्रश्नवाचक वाक्य कहलाता है। उदाहरण:
- यह किसका पुस्तक है?
- श्रीराम के पिता कौन थे?
- दशरथ कहाँ के राजा थे?
- आज्ञावाचक वाक्य: वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार की आज्ञा दी जाती है या प्रार्थना किया जाता है, वह आज्ञावाचक वाक्य कहलाता है। उदाहरण:
- सदा सत्य बोलना चाहिए (उपदेश)
- एक ग्लास पानी लाओ। (आज्ञा)
- मुझे अब चलना चाहिए। (अनुमति)
- मुझे एक दिन का अवकाश दे दीजिए। (प्रार्थना)
- विस्मयादिवाचक वाक्य: वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की गहरी अनुभूति का प्रदर्शन किया जाता है, वह विस्मयादिवाचक वाक्य कहलता है। उदाहरण:
- अहा! कितना सुन्दर उपवन है।
- ओह! कितनी ठंडी रात है।
- बल्ले! हम जीत गये।
- इच्छावाचक वाक्य: जिन वाक्यों में किसी इच्छा, आकांक्षा या आशीर्वाद का बोध होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं। उदाहरण: भगवान तुम्हे दीर्घायु प्रदान करे।
- संकेतवाचक वाक्य: जिन वाक्यों में एक बात या काम का होना दूसरी बात या काम के होने पर निर्भर करता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। उदाहरण:
- यदि परिश्रम किया है, तो सफलता अवश्य मिलेगी।
- यदि वर्षा होगी, तो फ़सल अच्छी होगी।
- संदेहवाचक वाक्य: जिन वाक्यों में संदेह का बोध होता है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं। उदाहरण:
- शायद मैं लॉटरी जीत जाऊँ।
- वर्षा होने की संभावना है।
रचना के आधार पर वाक्य के भेद
रचना के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं।
- सरल वाक्य: जिस वाक्य में एक उद्देश्य, एक विधेय तथा एक ही मुख्य समापिका क्रिया होता है, उसे सरल या साधारण वाक्य कहते हैं। जैसे:
- आदित्य पढ़ता है।
- अनीरूध ने भोजन किया।
- संयुक्त वाक्य: जिस वाक्य में दो या अधिक सरल उपवाक्य किसी समानाधिकरण समुच्चय बोधक अव्यय से जुड़े हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। जैसे:
- वह सुबह गया और संध्या को लौट आया।
- रात हुई और चाँद खिला।
इस वाक्य के चार प्रकार होते हैं:
- संयोजक संयुक्त वाक्य
- विभाजक संयुक्त वाक्य
- विरोध वाचक संयुक्त वाक्य
- परिणाम वाचक संयुक्त वाक्य
- मिश्र/जटिल वाक्य: जिस वाक्य में एक मुख्य या प्रधान उपवाक्य हो और अन्य उपवाक्य उस पर आश्रित हों, उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं। ये उपवाक्य व्यधिकरण समुच्चय बोधक अव्ययों से जुड़े होते हैं। जैसे:
- ज्यों ही उसने दवा पी, वह सो गया।
- यदि परिश्रम करोगे, तो उत्तीर्ण हो जाओगे।
बाहरी कड़ियाँ
संदर्भ
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