गुरदयाल सिंह: भारतीय लेखक

गुरदयाल सिंह(10 जनवरी 1933 - 16 अगस्त 2016) एक पंजाबी साहित्यकार थे जो उपन्यास और कहानी लेखक थे। इन्हें 1999 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपनी प्रथम कहानी भागों वाले प्रो.मोहन सिंह के साहित्य मैगजीन पंज दरिया में प्रकाशित की थी। उनके पंजाबी साहित्य में आने से पंजाबी उपन्यास में बुनियादी तबदीली आई थी।उनके उपन्यास मढ़ी दा दीवा , [[अंधे घोड़े का दान का सभी पंजाबी भाषाओँ में अनुवाद हो चुक्का है और इन की कहाँनीयों पर अधारत फ़िल्में भी बनी हैं।

गुरदयाल सिंह
जन्म10 जनवरी 1933
मौत16 अगस्त 2016(2016-08-16) (उम्र 83)
भाषापंजाबी
राष्ट्रीयताभारतीय
विधाउपन्यास
उल्लेखनीय कामsमढ़ी दा दीवा

जीवन

श्री गुरदयाल सिंह का जन्म 10 जनवरी 1933 को उनके नानका गाँव भैनी फत्ता जिला बरनाला में हुआ।उनके पिता का नाम श्री जगत सिंह और माता का नाम निहाल कौर था।वो पंजाब के जैतो गाँव के रहने वाले थे।उनके तीन भाई और एक बहन थी।घरेलू कारणों की वजह के कारण उन्होंने बचपन में अपनी पढ़ाई छोड़ अपना पुश्तैनी बढई काम करना शुरू कर दिया।बाद में उन्होंने कड़ी मेहनत करके उच्च विद्या हासिल करके युनिवर्सटी में प्राध्यापक की पदवी प्राप्त की।उनका बलवंत कौर के साथ विवाह हुआ और उनके घर एक बेटा और एक बेटी हुई।ज्ञानपीठ पुरस्कारविजेता श्री गुरदयाल सिंह का 16 अगस्त 2016 को निधन हो गया16 ਅਗਸਤ 2016

रचनाएं

उपन्यास

  • मढ़ी का दीवा (1964)
  • अन्होए
  • रेते दी इक मुठी
  • कुवेला
  • अद्ध चाननी रात
  • आथण उग्गण
  • अंधे घोड़े का दान
  • पहु फुटाले तों पहिलां
  • परसा (1992)
  • आहन (2009)

कहानी सग्रह

  • सग्गी फुल्ल
  • चन्न डा बूटा
  • ओपरा घर
  • कुत्ता ’ते आदमी
  • मस्ती बोटा
  • रूखे मिस्से बन्दे
  • बेगाना पिंड
  • चुनिन्दा कहानिया
  • पक्का टिकाना
  • करीर दी धिनरी
  • मेरी प्रतिनिध रचना

नाटक

  • फरीदा रातीं वड्डीआं
  • विदैगी तों पिछों
  • निक्की मोटी गल

गद

  • पंजाब के मेले और त्यौहार
  • दुखिया दास कबीर है
  • नियाण मत्तीआं (आतम कथा -1)
  • दूजी देही ਦੇਹੀ (आतम कथा-2)
  • सत्जुग्ग दे औन तक्क
  • डगमग छाड़ रे मन बाओरा
  • लेखक का अनुभव ते सृजन प्रकिरिया
  • बम्बई शहर का सवा पहर

बचों के लिए

  • बकलम खुद
  • टुक्क खोह लए कांवां
  • लिखतम बाबा खेमा
  • गप्पीयाँ डा पिओ
  • महांभारत
  • धरत सुहावी
  • तिनं कदम धरती
  • खट्टे मीठे लोक
  • जीवन दासी गंगा
  • कालू कौतकी
  • ढाई कदम धरती
  • जीवन दासी गंगा (२)

सन्मान

  • गुरदयाल सिंह ने 1998 में पदम् श्री इनाम हासिल किया ।
  • इसके इलावा उन्होंने 1999 में ज्ञानपीठ पुरस्कार और कई अन्य पुरस्कार भी प्राप्त किये|

सन्दर्भ

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