ऑर्डोविशी-सिल्यूरियन विलुप्ति घटनाएँ (Ordovician–Silurian extinction events), जिन्हें ऑर्डोविशी विलुप्ति (Ordovician extinction) भी कहते हैं, आज से ४४.७ से ४४.३ करोड़ वर्ष पूर्व हुई दो घटनाओं का क्रम था जिसमें पृथ्वी के समुद्रों में रहने वाली ६०% अकशेरुकी (बिना रीढ़ की हड्डियों वाली) जातियाँ हमेशा के लिये विलुप्त हो गई। ध्यान दें कि वैज्ञानिकों के अनुसार उस काल में पृथ्वी पर जीवन केवल समुद्रों में ही उपस्थित था। अनुमान है कि यह दो विलुप्ति घटनाएँ एक-दूसरे से ४० लाख सालों के अंतराल में हुईं। ऑर्डोविशी-सिल्यूरियन विलुप्ति घटनाएँ ऑर्डोविशी कल्प को सिल्यूरियन काल से अलग करतीं हैं।
ऑर्डोविशी-सिल्यूरियन विलुप्ति घटनाओं का कारण अभी पूरी तरह से ज्ञात नहीं है। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार उस समय ज्वालामुखी विस्फोटों में कई सिलिकेट पत्थर उगले गये जिन्होनें वायुमंडल से बड़ी मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड सोख लिया। कार्बन डाईऑक्साइड सूरज से मिलने वाली गरमी को वापस अंतरिक्ष में जाने से रोकती है इसलिये उसकी मात्रा की गिरावट से पृथ्वी का तापमान गिरने लगा, जिसमें कई जातियाँ विलुप्त हो गई। इसके बाद उस समय का एक महाद्वीप, गोंडवाना, सरकते हुए दक्षिणी ध्रुव पर आ पहुँचा और उसपर बर्फ़ की टोपी बनने लगी, जिस से समुद्र का पानी खिंचकर वहाँ बर्फ़ के रूप में जमने लगा और समुद्र की सतह कम होने लगी। इस बदलाव में भी कई जातियाँ विलुप्त हुई।
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