पाण्डेय कपिलदेव नारायण सिन्हा (24 सितंबर 1930 — 2 नवंबर 2017), जिनका पाण्डेय कपिल नाँव से जानल जाला, भोजपुरी भाषा के एगो साहित्यकार रहलें। उनुका के भोजपुरी साहित्य के परसिद्ध रचना फुलसुंघी उपन्यास खाती आ भोजपुरी सम्मेलन पत्रिका के संपादक के रूप में जानल जाला। एकरा अलावे ऊ बिबिध बिधा सभ के रचना कइलें आ भोजपुरी साहित्य के समृद्ध बनावे में योगदान कइलें। पाण्डेय के भोजपुरी अकादमी पुरस्कार आ अउरी कई गो पुरस्कार मिलल रहलें।
पाण्डेय कपिल | |
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जनम | पाण्डेय कपिलदेव नारायण सिन्हा सितंबर 30, 1930 |
निधन | नवंबर 2, 2017 | (उमिर 87)
पेशा | अनुवादक, राजभाषा उपनिदेशक (राजभाषा बिभाग, बिहार सरकार) |
भाषा | भोजपुरी |
महतारी संस्था | काशी विश्वविद्यालय, बिहार विश्वविद्यालय |
प्रमुख रचना | फुलसुंघी (उपन्यास) |
पाण्डेय कपिल के जनम बिहार के सारन जिला के शीतलपुर (वाया बरेजा) गाँव में 24 सितंबर 1930 के भइल। उनुके बाबूजी पाण्डेय जगन्नाथ प्रसाद सिंह खुद भोजपुरी के लेखक रहलें आ महतारी लालचुन्नी देवी एगो कुशल शिल्पी रहली। पाण्डेय के पढ़ाई-लिखाई काशी विश्वविद्यालय (बीए), बिहार विश्वविद्यालय (एमए, हिंदी साहित्य) में भइल आ बिहार सरकार के राजभाषा बिभाग में अनुवादक के रूप में नोकरी शुरू कइलें आ ओहिजे से राजभाषा उपनिदेशक के रूप में रिटायर भइलें।
2 नवंबर 2017 के पाण्डेय के पटना स्थित आवास पर, लमहर बेमारी आ इलाज के बाद, निधन भ गइल।
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