अरवल जिला भारतीय राज्य बिहार के 38 गो जिला सब में से एगो जिला ह। एकर जिला मुख्यालय अरवल कस्बा हवे जे सोन नदी के दाहिने तीरे पर बसल बाटे। बिहार राज्य के प्राशासनिक बिभाजन में ई जिला मगध प्रमंडल में आवे ला आ राज्य के दक्खिनी-पच्छिमी हिस्सा में पड़े ला। एह जिला के निर्माण जहानाबाद से अलगा क के 20 अगस्त 2001 के भइल।
अरवल | |
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देश | भारत |
राज्य | बिहार |
मंडल | मगध |
मुख्यालय | अरवल |
Government | |
• लोकसभा सीट | जहानाबाद |
• बिधान सभा सीट | अरवल आ कुर्था |
Area | |
• कुल | 638 किमी2 (246 बर्ग मील) |
Population (2011) | |
• कुल | 700,843 |
• Density | 1,100/किमी2 (2,800/बर्ग मील) |
• Urban | 51,849 |
जनसंख्या आँकड़ा | |
• साक्षरता | 67.44 प्रतिशत |
• लिंगानुपात | 928 |
प्रमुख हाइवे | NH 98, NH 110 |
Website | सरकारी वेबसाइट |
जिला के कुल रकबा 634.23 वर्ग किलोमीटर बा आ इहाँ के कुल जनसंख्या 7,00,843 (2011 के जनगणना) बाटे। एह तरीका से ई बिहार के तिसरा सभसे कम आबादी वाला जिला हवे। क्षेत्रफलो के हिसाब से ई बिहार के बहुत छोट जिला हवे।
राज्य के प्राशासनिक बिभाजन में ई जिला मगध प्रमंडल में आवे ला आ राज्य के दक्खिनी-पच्छिमी हिस्सा में पड़े ला। अरवल जिला के उत्तर-पच्छिम में भोजपुर, उत्तर में पटना, पूरुब में जहानाबाद, दक्खिन-पूरुब में गया जिला आ दक्खिन में औरंगाबाद जिला बाड़ें। पच्छिम ओर के कुछ सीमा रोहतासो जिला से सटे ला।
जमीन्दारी उन्मूलन के पहिले इ अरवल जिला के क्षेत्र केयाल राज, पंडुई राज आ पहाड़पुर जमींदारी के भाग रहल। जिला के पुराना इतिहास बहुत गौरवशाली ह, केयालगढ के नेतृत्व मे इहाँ के लोग औरंगजेब जइसन मुगल शासक से सोन के खुला मैदान मे महीनो टक्कर लेहले रहल। इ लडाइ बाबा दुधेश्वरनाथ मंदिर के सुरक्षा के ले के शुरू भयल। देकुड मे बाबा दुधेश्वर नाथ के प्राचीन मंदिर हे जेकर अग्रहार के रूप मे गुप्तकाल मे राजा नरसिह वर्मन सूर्यशरमन् नाम के वत्सगोत्री ब्राह्मण के केयालगढ के साथ 122 गाँव देहले रहलन। मंदिर के देख-रेख और पाण्डित्य के जिम्मेवारी केयाल के वत्सगोत्री अग्रहार ब्राह्मण के रहल। रणपण्डित मयुर भट्ट के भी जन्म स्थान एही जिला के केयाल ही हे जे 12वी सदी मे बेतिया राज के नीव रखलन हल। संस्कृत के कबी बाणभट्ट जनम अस्थान एही जिला में बा।
जिला के मुख्य पेशा खेती-किसानी बा आ एहिजा सोन नदी से निकलल नहर सभ से सिंचनी होखे ला आ परंपरागत सिंचनी के नेटवर्क अहरा के बेवस्था भी बाटे। एही जिला में केयाल के अहरा बिहार राज्य के सबसे बडा अहरा ह।
देवकुंडमे बाबा दुधेश्वरनाथ मंदिर एह जिला के प्रमुख पवित्र स्थल ह। एकरे अलावा लारी में माता सती माई के मंदिर लंगटा बाबा मंदिर, पोखवाँ के वागेश्वरी माई, मधुश्रमा मे च्यवन ऋषि आश्रम एहिजा देखे लायक जगह बाने। एह जिला के कलेर प्रखंड (ब्लॉक) में मधुश्रवा नाँव के धार्मिक अस्थान आ मधेश्वरनाथ मंदिर बा; कथा-किंबदंती के हिसाब से मधुश्रवा में मधु राक्षस के बध भइल रहल, एहिजा मेला लागे ला।
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