हमीरपुर भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। हमीरपुर नाम से ही एक जिला हिमाचल प्रदेश में भी है।
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हमीरपुर ज़िला {{{Local}}} | |
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उत्तर प्रदेश में हमीरपुर ज़िले की अवस्थिति | |
राज्य | उत्तर प्रदेश भारत |
प्रभाग | चित्रकूट |
मुख्यालय | हमीरपुर, उत्तर प्रदेश |
क्षेत्रफल | 4,121 कि॰मी2 (1,591 वर्ग मील) |
जनसंख्या | 1,104,021 (2011) |
जनघनत्व | 268/किमी2 (690/मील2) |
साक्षरता | 70.16 per cent |
तहसीलें | Hamirpur Tehsil, Rath Tehsil, Maudaha Tehsil, Sarila Tehsil |
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र | Hamirpur |
विधानसभा सीटें | Hamirpur, Rath |
राजमार्ग | National Highway 86 |
आधिकारिक जालस्थल |
यह जिला बुन्देलखण्ड के अंतर्गत आता है। जिले का मुख्यालय हमीरपुर है। यह शहर यमुना तथा बेतवा नदियों के संगम पर बसा है। यह कानपुर के दक्षिण में लगभग ६८ किमी की दूरी पर स्थित है। यहां मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर भरुआ सुमेरपुर में, ८ किमी० दूर बरीपाल में (हमीरपुर रोड) रेलवे स्टेशन हैं। जिले में 4 तहसीलें हमीरपुर, मौदहा, राठ और सरीला हैं। 7 विकास खण्ड कुरारा, सुमेरपुर, मौदहा, मुस्करा, राठ, सरीला और गोहाण्ड हैं। 3 नगर पालिका हमीरपुर, मौदहा और राठ व 4 नगर पंचायतें कुरारा, सुमेरपुर, गोहाण्ड व सरीला हैं।
सिंहमहेश्वरी (संगमेश्वर) मंदिर, चौरादेवी मंदिर,श्री सत्ता बाबा मंदिर(कुतुबपुर कुरारा), मेहर बाबा मंदिर, गायत्री तपोभूमि, बाँके बिहारी मंदिर, ब्रह्मानन्द धाम, कल्पवृक्ष और निरंकारी आश्रम आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। यह जिला जालौन, जिला कानपुर देहात, और फतेहपुर जिले के उत्तर, बांदा जिले के पूर्व, महोबा जिले के दक्षिण और झांसी जिले के पश्चिम से घिरा हुआ है। यमुना और बेतवा यहां की प्रमुख नदियां है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय में भी इस जगह भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। यह मंदिर यमुना नदी के तट पर स्थित जिला मुख्यालय के समीप मेरापुर ग्राम में है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह मंदिर काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि यह मंदिर गुप्त काल के समय का है। संगम तट के निकट होने के कारण इसका शुद्ध नाम संगमेश्वर मन्दिर भी है।
चौरा देवी मंदिर का निर्माण एक पीपल के वृक्ष के समीप करवाया गया है। मंदिर में चौरा देवी (काली देवी) की प्रतिमा स्थित है। माना जाता है कि एक बार किसी भक्त के स्वप्न में आधी रात को देवी ने दर्शन दिए थे। कुछ समय के पश्चात् मंदिर के समीप ही एक खूबसूरत पार्क का निर्माण करवाया गया था।
सत्ता बाबा मंदिर का निर्माण एक तालाब के किनारे कराया गया था। यह मंदिर एक महात्मा की समाधि पर स्थित है, माना जाता है कि एक महात्मा तपस्या के लिए बैठे थे और उनकी समाधि वही बन गई। इस मंदिर में बहुत दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामना मांगने आते हैं। यह मंदिर कुतुबपुर गांव के बाहर स्थित है।
मेहर मंदिर का निर्माण 1964 ई. में परमेशवरी दयाल पुकार ने करवाया था। परमेशवरी अवतार मेहर बाबा के बहुत बड़े भक्त थे। 18 नवम्बर 1970 ई. को मंदिर में अवतार मेहर बाबा की प्रतिमा स्थापित की गई थी। प्रत्येक वर्ष 18 और 19 नवम्बर को विश्व प्रेम मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें देश-विदेश से बाबा के भक्त आते हैं।
इस मंदिर का निर्माण 1872 ई. में पण्डित धानी राम ने अपने भतीजे प्रागदत्त की पुण्यतिथि पर करवाया था। यह मंदिर पूरे बुंदेलखंड में अपनी कला के लिए प्रसिद्ध है।
सिटी फॉरेस्ट की स्थापना वन विभाग द्वारा की गयी थी। हमीरपुर-कालपी मार्ग के समीप स्थित यह जगह हमीरपुर से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह विशेष रूप से पिकनिक स्थल के रूप में काफी प्रसिद्ध है।
स्वतंत्रता सेनानी त्यागमूर्ति स्वामी ब्रह्मानंद जी की जन्मभूमि बरहरा सरीला जिला हमीरपुर है , जहां पर स्वामी जी का जन्म हुआ था , वह स्थान आज भी संरक्षित है तथा गांव में स्वामी ब्रह्मानंद मंदिर है जिसमें ब्रह्मानंद जी की प्रतिमा स्थापित है।
पूर्व मे इस बांध का नाम मौदहा बांध था जिसे बदलकर ब्रम्हानंद बांध कर दिया गया। इस बांध का निर्माण स्वामी ब्रह्मानन्द की याद में करवाया गया था। यह बांध मुस्करा ब्लॉक के छानी गांव में स्थित है।
स्वामी ब्रह्मानंद जी देश के प्रथम संत सांसद हैं, स्वामी ब्रह्मानंद वन स्थली धनौरी राठ हमीरपुर में स्वामी ब्रह्मानंद जी द्वारा रोपित है, जिसको 1989 में देश का प्रतिष्ठित पुरस्कार इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्ष मित्र पुरस्कार मिला था।
स्वामी जी की अनाज निर्मित अद्भुत प्रतिमा लोधेश्वर धाम राठ में स्थापित है , जो कि अपने तरह की दुनिया की इकलौती प्रतिमा है।
स्वामी ब्रह्मानंद जी द्वारा स्थापित ब्रह्मानंद महाविद्यालय राठ भारत के अग्रणी महाविद्यालयों में स्थान रखता है।
स्वामी ब्रह्मानंद जी की समाधि तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
कल्पवृक्ष हमीरपुर स्थित यमुना नदी के तट पर स्थित है। यह काफी पुराना वृक्ष है और भारत के बहुत ही कम जगहों पर देखा जा सकता है।
हमीरपुर जिले में साईं दाता पंथ के कई आश्रम है। ग्राम- बिवार में जन्मे दाता हकसफा शाह ने फैजाबाद के मजनाई आकर दाता मोहन शाह की परम्परा में साधना की। वापस लौटकर विवार से 6 किमी पूर्व कोइलहा गांव के पास जंगल में आश्रम बनाया। दाता हकसफा शाह द्वारा स्थापित आश्रम आज भी हजारों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र है।।
बिवार गांव से 5 किमी पश्चिम में सरीला मार्ग पर स्थित बांधुर गांव में दो आश्रम हैं। छोटे आश्रम के प्रमुख दाता एन कानून शाह हैं। बड़े आश्रम में महिला दाता प्रमुख हैं।
सबसे निकटतम हवाई अड्डा कानपुर है। हमीरपुर भारत के कई प्रमुख शहरों से रेलमार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है। भारत के कई प्रमुख शहरों से सड़कमार्ग द्वारा हमीरपुर पहुंचा जा सकता है।
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