सुप्तपादांगुष्टासन

सीधे लेटकर दायें पैर को मोड़ें तथा हाथ से पैर के पंजे को पकड़कर श्वास को बाहर निकालते हुए पैर् को खींचे। इसी प्रकार बायें पैर से इस अभ्यास को करें।

सुप्तपादांगुष्टासन

लाभ

नाभि को ठीक करने के लिये यह अभ्यास महत्वपूर्ण है। नाभि के ठीक होने से गैस, पेट दर्द, कब्ज, अतिसार, दुर्बलता एवं आलस्य ये स्वतः ही दूर हो जाते हैं। आमाशय, अग्नाशय एवं आँतों के लिये हितकारी है।

बाहरी कड़ियाँ

Tags:

🔥 Trending searches on Wiki हिन्दी:

कालभैरवाष्टकनेपालसम्भोगभारत के मूल अधिकार, निदेशक तत्त्व और मूल कर्तव्यओम नमो भगवते वासुदेवायभारत की पंचवर्षीय योजनाएँभारत में कोरोनावायरस से लॉकडाउन 2020समाजचन्द्रशेखर आज़ादलोकसभा अध्यक्षऔरंगज़ेबअनुष्का शर्माप्रधानमंत्री कौशल विकास योजनागर्भावस्थारबीन्द्रनाथ ठाकुररिंगटोनधनंजय यशवंत चंद्रचूड़मुहम्मदरॉयल चैलेंजर्स बैंगलौरवृष राशिइन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैही राजिऊनलद्दाख़देवों के देव... महादेवइंस्टाग्रामगुर्जरलोक साहित्यमहाराष्ट्रसमावेशी शिक्षाक्षत्रियभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसअवेश खानमुकेश अंबानीसंदीप शर्मादिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगेसिंधु घाटी सभ्यताकरअक्षांश रेखाएँकंप्यूटरपटनाविराट कोहलीडिम्पल यादवतेरी बातों में ऐसा उलझा जियारामायण (टीवी धारावाहिक)अशोक के अभिलेखरोमारियो शेफर्डमीरा बाईनमस्ते सदा वत्सलेराष्ट्रवादमूसाट्रेविस हेडओंकारेश्वर मन्दिरगोदान (उपन्यास)भारतीय दर्शनप्रदूषणवैश्वीकरणनंद्रे बर्गरकरणी माता मन्दिर, बीकानेरराजा राममोहन रायगुरु गोबिन्द सिंहराव राजेन्द्र सिंहमैहरभारत के राष्ट्रपतिरविचंद्रन अश्विनरामचन्द्र शुक्लआदि शंकराचार्यविज्ञापनवाट्सऐपव्यंजन वर्णशिवम दुबेनीति आयोगरामधारी सिंह 'दिनकर'अतीक अहमदअंकोरवाट मंदिरराजस्थानमुलायम सिंह यादवराष्ट्रीय शिक्षा नीतिगुदा मैथुनशिक्षा का अधिकारआँगनवाडी🡆 More