रूपक या फीचर लोगों को रुचिकर लगने वाला ऐसा कथात्मक लेख है जो हाल के ही समाचारों से जुड़ा नहीं होता बल्कि विशेष लोग, स्थान, या घटना पर केन्द्रित होता है। विस्तार की दृष्टि से रूपक में बहुत गहराई होती है। जैैसे की आकृति, विशेषता, व्यक्तित्व, मनोरंजन आदि ।
आज फीचर लेखन तथा उसके प्रस्तुतिकरण का आधुनिक पत्रकारिता में अत्यधिक महत्व हो गया है। समाचार अगर पत्रकारिता की रीढ़ है तो फीचर पत्रकरिता का सौन्दर्य बढ़ाने वाली शक्ति। पत्रकारिता में समाचार जहाँ तात्कालिक घटनाओं का तत्थ्यपूर्ण अभिलेख होता है तो रूपक यानी फीचर समाचार के तत्काल स्वरूप से अलग उसका विस्तार, उसका सचित्र प्रस्तुतिकरण या उससे जुड़े सम्पूर्ण घटनाक्रम का विवरण प्रस्तुत करता है। आधुनिक पत्रकारिता में अब स्थानाभाव के कारण समाचार लेखन में शब्दों की सीमा तय कर दी गई है और पत्रकार को उसी शब्द सीमा में सब कुछ कहना होता है। ऐसे में फीचर, पत्रकार के लिए एक मददगार के तौर पर काम करता है। फीचर में ग्राफिक्स, चित्रों, रेखाचित्रों और संक्षिप्त प्रस्तुतिकरण के जरिए बहुत छोटे स्थान में बहुत कुछ कहा, लिखा या प्रस्तुत किया जा सकता है। रूपक का विकास विवरणात्मक रचनाओं से हुआ है लेकिन शब्दों और स्थान की सीमा के चलते अब फीचर भी संक्षिप्त होने लगे हैं। हालाँकि संक्षिप्त होने के बावजूद फीचर का महत्व कम नहीं हुआ है बल्कि और अधिक बढ़ गया है।
फीचर में समाचार के विस्तार को ही एक विशेष तकनीक के साथ प्रस्तुत किया जाता है। इसके लिए फीचर लेखक को यह पता करना होता है कि समाचार का मुख्य विषय या मुख्य पात्र कौन है? समाचार के मुख्य विषय के साथ जुड़े प्रमुख तत्व क्या हैं? ले खक को इस सबकों प्रस्तुत करते समय उसमें व्यक्तिगत स्पर्श भी देना होता है। मानवीय भावनाओं के स्पर्श के साथ-साथ मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत फीचर अधिक लोकप्रिय होते है क्योंकि उनसे विषय के सम्पूर्ण तत्थ्यों की जानकारी के साथ-साथ पाठक, श्रोता या दर्शक का मनोरंजन भीहोता है।
समाचार तथ्यों का विवरण तथा विचार देकर खत्म हो जाता है जबकि फीचर में घटना अथवा विषय के परिवेश, विविध पक्षों तथा उसके प्रभावों का वर्णन होता है। समाचार में लिखने वाले के विचार अथवा उसके व्यक्तित्व की झलक नहीं होती जबकि फीचर में लेखक की विचारधारा, उसकी कल्पनाशीलता के साथ-साथ उसके व्यक्तित्व की भी झलक मिलती है। फीचर में कथा तत्व की प्रधानता रहती है यानी उसके लेखन या प्रस्तुति में सरलता और प्रवाह दोनों ही होते हैं। लेकिन फीचर महज कथा नहीं होता। फीचर कल्पनाजगत की बातों में खो जाने के बजाय विषय की गहराई में जाकर पाठकों की जिज्ञासा को शांत करने का काम करता है।
फीचर लेखन एक कलात्मक काम है और किसी भी पत्रकार को अच्छा फीचर लेखक बनने के लिए -
फीचर समाचारों के प्रस्तुतिकरण की ही एक विधा है लेकिन समाचार की तुलना में फीचर में गहन अध्ययन, चित्रों, शोध और साक्षात्कार आदिके जरिए विषय की व्याख्या होती है। उसका विस्तृत प्रस्तुतिकरण होताहै और यह सब कुछ इतनसहज और रोचक ढंग से होता है कि पाठक उसके बहाव में बंधता चला जाता है। पत्रकारिता और साहित्य के विद्वानों ने रूपक की अलग-अलग परिभाषाएं गढ़ी हैं। एक परिभाषा के अनुसार,
एक अन्य परिभाषा के अनुसार,
एक अन्य परिभाषा में तो फीचर को 'समाचार पत्र की आत्मा' कह दिया गया है।
सामान्य शब्दों में कहें तो समाचार का काम तत्थ्य और विचार देकर खत्म हो जाता है। जबकि फीचर का काम इससे आगे का होता है। यह समाचार की पृष्ठभूमि का खुलासा करते हैं, विषय या घटना के जन्म और विकास का विवरण देते हैं। यह विषय अथवा घटना का पूरा खुलासा भी करते हैं और पाठक को कुछ सोचने के लिए भी विवश करते हैं। एक अच्छे फीचर की सार्थकता इसी बात में है कि वह अपने पाठकों के मन मष्तिष्क पर कितना प्रभाव डालती है। फीचर लेखक घटना या विषय के बारे में अपनी प्रतिक्रिया या विचार भी पाठक को बतलाता है और इस तरह पाठक की कल्पना शक्ति को और उसकी वैचारिक मनःस्थिति को भी प्रभावित करता है।
फीचर का महत्व इसी बात में है कि यह कब, क्यों, कैसे, कहां और कौन को स्पष्ट करने वाले समाचार यानी न्यूज से आगे जाकर तत्थ्य कल्पना और विचार की संतुलित प्रस्तुति के जरिए अपना एक विशेष प्रभाव छोड़ता है। फीचर का एक महत्व यह भी है कि यह पाठक के मन में किसी खबर को पढ़ने के बाद पैदा हुई जिज्ञासा को भी संतुष्ट करता है। आजकल समाचार पत्रों में फीचरों का उपयोग दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। यूरोप में जारी जबर्दस्त सरदी और हिमपात पर भारतीय भाषाई अखबारों में विस्तृत समाचारों के लिए स्थानाभाव हो सकता है। लेकिन इसी विषय को महज एक छोटी सी जगह में एक सचित्र फीचर के जरिए प्रस्तुत कर अखबार अपने स्थानाभाव की समस्या से भी उबर सकते हैं और पाठक को बर्फ से जमे यूरोप के बारे में सम्पूर्ण जानकारी भी मिल जाती है। इसी तरह किसी स्थानीय दुर्घटना के समाचार के साथ-साथ अगर उस तरहकी अन्य घटनाओं का विवरण, रोकथाम के उपायों, प्रभावितों के अनुभव आदि एक सचित्र फीचर के रूप में प्रस्तुत कर दिया जाता है तो इससे पाठक को सम्पूर्ण जानकारी एक साथ मिल जाती है। फीचर के इस उपयोग ने आज फीचर के महत्वको अत्यधिक बढ़ा दिया है।
इस बढ़ते महत्व के कारण फीचर लेखन भी अब पत्रकारिता की एक महत्वपूर्ण विधा हो गई है। इसी के साथ फीचर लेखकों का महत्व भी बढ़ता जा रहा है। आज समाचार पत्रों में फीचर डेस्क का महत्व भी बढ़ गया है और उनकी उपयोगिता भी। समाचार पत्रों में अब फीचर के कारण बेहतर प्रस्तुतिकरण और तात्कालिकता पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा है। कई बड़े अखबार समूहों में अब केन्द्रीयकृत फीचर लेखन व्यवस्था भी शुरू हो गई है जिसके तहत महत्वपूर्ण विषयों पर फीचर तैयार कर अखबार के सभी संस्करणों के लिए भेज दिए जाते हैं। इंटरनेट और सूचना तकनीक के चमत्कारों ने आज फीचर लेखन को आसान बना दिया है। लेकिन इन्हीं चमत्कारों के कारण आज फीचर लेखन के क्षेत्र में नई चुनौतियाँ भी खड़ी हो गई है। आज फीचर लेखक को इस चीज पर सर्वाधिक ध्यान देना पड़ता है कि उसके फीचर में सारे तत्थ्य एकदम सही हों, ताजे हों, समीचीन हों और वे पाठक की सारी जिज्ञासाओं का समाधान भी कर सकें।
फीचर, पत्रकारिता की एक ऐसी विधा है जिसमें लेखन को नियमों की किसी खास सीमा में नहीं बांधा जा सकता। विकसित देशों में पत्रकारिता की एक विधा के रूप में फीचर लेखन बहुत लोकप्रिय है। चूंकि भारत में पत्रकारिता का जन्म और विकास राजनीति के साथ हुआ है इसलिए यहाँ फीचर की विकास यात्रा अपेक्षाकृत देर से शुरू हुई। यहाँ प्रारम्भिक पत्रकारिता में कलम का उपयोग तलवार के रूप में किया गया। आजादी के बाद के वर्षो में और विशेष रूप से आपातकाल के बाद के वर्षो में अखबारों ने राजनीति से इतर जीवन के वृहत्तर आयामों कीखोज करने और जीवन को उसकी समग्रता में देखने समझने का काम तेज कर दिया था। इसी के चलते हमारे देश में फीचर लेखन की एक विशिष्ट शैली विकसित हुई। प्रिंटिंग टैक्नोलॉजी में आए क्रान्तिकारी परिवर्तनों ने फीचर लेखन की उपयोगिता, जरूरत और महत्व तीनों को द्विगुणित कर दिया है।
फीचर रचना का मुख्य नियम यह है कि फीचर आकर्षक, तत्थ्यात्मकऔर मनोरंजक होना चाहिए। वर्तमान में फीचर के लिए किसी खास प्रकार का ले आऊट, साज सज्जा, आकार-प्रकार या शब्द सीमा का बंधन नहीं रह गया है। आज कम से कम शब्दों में फीचर रचना को अधिक महत्वपूर्ण माना जाने लगा है। इसी तरह अब एक विषय पर एक बड़ी रचना के बजाय एक साथ छोटी-छोटी कई सूचनाओं-सामग्रियों को प्रस्तुत करके भी फीचर लिखे जाने लगे हैं।
मोटे तौर पर फीचर लेखन के लिए 5 मुख्य बातों का ध्यान रखा जाता है-
फीचर लेखन एक कला भी है और अब जबकि फीचर का स्वरूप बदल रहा है तो फीचर लेखन की तकनीक और तरीके भी बदल रहें हैं। वर्तमान में फीचर अपनी परम्परागत शैलियों और परिभाषाओं की सीमा तोड़ कर नए-नए रूप बदलते जा रहे हैं।
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