राष्ट्रीयता (Nationality) किसी व्यक्ति और किसी संप्रभु राज्य (अक्सर देश) के बीच के क़ानूनी सम्बन्ध को बोलते हैं। राष्ट्रीयता उस राज्य को उस व्यक्ति के ऊपर कुछ अधिकार देती है और बदले में उस व्यक्ति को राज्य सुरक्षा व अन्य सुविधाएँ लेने का अधिकार देता है। इन लिये व दिये जाने वाले अधिकारों की परिभाषा अलग-अलग राज्यों में भिन्न होती है। आम तौर पर परम्परा व अंतरराष्ट्रीय समझौते हर राज्य को यह तय करने का अधिकार देते हैं कि कौन व्यक्ति उस राज्य की राष्ट्रीयता रखता है और कौन नहीं। साधारणतया राष्ट्रीयता निर्धारित करने के नियम राष्ट्रीयता क़ानून (nationality law) में लिखे जाते हैं।
नागरिकता किसी व्यक्ति को देश के भीतरी जीवन में भाग लेने व वहाँ रहने के अधिकार देती है। राष्ट्रीयता इस से अलग है और इसका महत्त्व केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होता है और उस व्यक्ति को रक्षा व आने-जाने की पहचान देती है। आधुनिक काल में जिसके पास नागरिकता होती है उसके पास राष्ट्रीयता भी होती है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि जिसके पास राष्ट्रीयता हो उसके पास नागरिकता भी हो। ऐसे व्यक्ति जिनके पास राष्ट्रीयता तो है लेकिन नागरिकता के पूर्ण अधिकार नहीं, उन्हें अक्सर "दूसरे दर्जे का नागरिक" (second-class citizen) कहा जाता है। उदाहरण के लिये ब्रिटेन के राष्ट्रीयता क़ानून में राष्ट्रीयता की छह श्रेणियाँ परिभाषित हैं और केवल सबसे उच्च श्रेणी के व्यक्तियों को ही "ब्रिटिश नागरिक" कहते हैं। अन्य पाँच दर्जों की ब्रिटिश राष्ट्रीयता रखने वालों को ब्रिटेन में बसने या काम करने का अधिकार नहीं है लेकिन उन्हें, अगर वे किसी अन्य देश में कठिनाई में हों, तो ब्रिटिश सरकार से सहायता मांगने का हक है।
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