73°26′49″E / 25.135°N 73.447°E / 25.135; 73.447 राजस्थान में स्थित रणकपुर जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यह स्थान खूबसूरती से तराशे गए प्राचीन जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इन मंदिरों का निर्माण 15 वीं शताब्दी में राणा कुंभा के शासनकाल में हुआ था। इन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम रणकपुर पड़ा। यहां के जैन मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। केवल रणकपुर में ही नहीं बल्कि उसके आस पास की जगहों में भी अनेक प्राचीन मंदिर हैं। जैन धर्म के आस्था रखने वालों के साथ-साथ वास्तुशिल्प के दिलचस्पी रखने वालों को भी यह जगह बहुत भाती है।
रणकपुर | |||||||||
— ग्रामीण — | |||||||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||||
देश | भारत | ||||||||
राज्य | राजस्थान | ||||||||
ज़िला | पाली जिला | ||||||||
विभिन्न कोड
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मुख्य मंदिर प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित चौमुख मंदिर है। यह मंदिर चारों दिशाओं में खुलता है। इस मंदिर का निर्माण 1439 में हुआ था। संगमरमर से बने इस खूबसूरत मंदिर में 29 विशाल कमरे हैं जहां 1444 खंबे Archived 2021-06-06 at the वेबैक मशीन लगे हैं। इनकी खासियत यह है कि ये सभी खंबे एक-दूसरे से भिन्न हैं। मंदिर के पास के गलियारे में बने मंडपों में सभी 24 तीर्थंकरों की तस्वारें उकेरी गई हैं। सभी मंडपों में शिखर हैं और शिखर के ऊपर घंटी लगी है। हवा चलने पर इन घंटियों की आवाज पूरे मंदिर में गूंजती है।
मंदिर परिसर में नेमीनाथ और पारसनाथ को समर्पित दो मंदिर हैं जिनकी नक्काशी खजुराहो की याद दिलाती है। 8वीं शताब्दी में बने सूर्य मंदिर की दीवारों पर योद्धाओं और घोड़ों के चित्र उकेरे गए हैं। मुख्य मंदिर से लगभ्ाग 1 किलोमीटर की दूरी पर अंबा माता मंदिर है।
(8 किलोमीटर) यह स्थान अपने यहां बने कुछ खूबसूरत मंदिरों और खुदाबक्श बाबा की पुरानी दरगाह के लिए जाना जाता है। इन मंदिरों में से सबसे प्राचीन मंदिर वराहअवतार मंदिर और चिंतामणि पार्स्वानाथ मंदिर हैं।
(25 किलोमीटर) भगवान शिव, हनुमान और नवी माता को समर्पित तीन मंदिर यहां की विशेषता हैं। यहां एक पुरानी मस्जिद भी है। यहां पास ही में परशुराम महादेव का एक मंदिर भी है। यह कुभलगढ़ तहसील के अंतर्गत आता है।
यह मंदिर कुंभलगढ़ अभ्यारण्य में स्थित है। इस मंदिर की विशेषता मूछों में भगवान महावीर की प्रतिमा है। मंदिर के द्वार पर बने दो हाथी वास्तुशिल्प का सुंदर उदाहरण हैं। यहां रहने वाली गरासिया जनजाति के रंगबिरंगे कपड़े सैलानियों को आकर्षित करते हैं।
नजदीकी हवाई अड्डा उदयपुर है। दिल्ली और मुंबई से यहां के लिए नियमित उड़ानें हैं।
निकटतम रेलवे स्टेशन फालना व रानी जिला पाली है। यहां के लिए सभी प्रमुख शहरों से रेलगाडि़यां उपलब्ध हैं।
रनकपपुर उदयपुर से केवल 98 किलोमीटर दूर है। यह स्थान देश के प्रमुख शहरों से सड़कों के जरिए जुड़ा हुआ है।
73°26′49.33″E / 25.1351056°N 73.4470361°E
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