कृच्छ्र व्यवाय शारीरिक आनन्द, कामलिप्सा, पसन्द, उत्तेजना या चरमसुख सहित सामान्य यौन गतिविधि के किसी भी चरण के दौरान किसी व्यक्ति द्वारा अनुभवित कृच्छ्र (समस्या) है। कृच्छ्र व्यवाय को विश्व स्वास्थ्य संगठन व्यक्ति की इच्छानुसार यौन सम्बन्ध में भाग लेने में निर्योग्यता के रूप में परिभाषित करता है। यह परिभाषा व्यापक है और कई व्याख्याओं के अधीन है। कृच्छ्र व्यवाय किसी व्यक्ति के यौन जीवन की अनुमानित गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। यौन विकार शब्द न केवल शारीरिक कृच्छ्र व्यवाय को सन्दर्भित कर सकता है, बल्कि अपकामुकता को भी सन्दर्भित कर सकता है।
कृच्छ्र व्यवाय का आकलन करते समय संपूर्ण यौन इतिहास और सामान्य स्वास्थ्य और अन्य यौन समस्याओं (यदि हो) का मूल्यांकन महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह आमतौर पर अन्य मनोरोग संबंधी मुद्दों, जैसे मूड विकार, खाने और चिंता विकार और स्खित्सोफ्रेनिया से सम्बन्धित होता है। प्रदर्शन की चिन्ता, दोष, और तनाव का आकलन करना कृच्छ्र व्यवाय के इष्टतम प्रबंधन का अभिन्न अंग है।
कृच्छ्र व्यवाय के विकारों को चार श्रेणियों में बांटा जा सकता है:
पुरुषों और महिलाओं के बीच कृच्छ्र का अध्ययन क्रमशः पुरुष रोग विज्ञान और स्त्री-रोग विज्ञान के क्षेत्र में किया जाता है।
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