शरीर की बाहरी एवं नीचे स्थित मांशपेशियों एवं संयोजी उत्तकों को दबाना, हिला-डुलाना आदि मालिश (Massage) कहलाता है। इससे उनकी कार्य करने की क्षमता बढ़ती है और उनकी टूट-फूट का निवारण होता है। इससे आराम मिलता है और शरीर स्वस्थ रहता है।
आयुर्वेदिक मालिश तकनीक विश्राम प्रदान करता है, परिसंचरण तथा जीवविषों का निष्कासन करता है। यदि दैनिक अभ्यास के रूप में अपनाया जाये, तो आयुर्वेदिक मालिश तकनीक शरीर का कायाकल्प करने में भी मदद करता है। प्राचीन कालों में आयुर्वेदिक चिकित्सालाएँ आम तौर पर मालिश नहीं प्रदान करती थीं, क्योंकि सभी इसे देते एवं प्राप्त करते थे । केवल जब मरीजों को एक विशेष उपचार की जरूरत होती थी तो उन्हें विशेषज्ञों के पास भेजा जाता था जो उचित आयुर्वेदिक तकनीकों का प्रयोग करते थे ।
मलिश की तकनीकें पति एवं पत्नी के बीच प्रेम संबंध कायम रखने में भी मदद कर सकती हैंI इस प्रकार के आरामदेह विश्राम के बाद प्रेम को बाँटना एवं देना अधिक आसान है। विवाह के पूर्व मालिश करना हिन्दू परम्परा के कुछ समारोहों में से एक है जो आज भी अनिवार्य है ताकि दुल्हा एवं दुल्हन विवाह के दिन विशेष रूप से सुन्दर दिख सकें ।
विज्ञान के अनुसार हमारे सिर पर असंख्य छिद्र होते हैं। यह छिद्र शरीर से प्रदूषित वायु गैस के रूप में बाहर निकालते हैं। प्रतिदिन सफाई के अभाव में यह छिद्र बंद हो जाते हैं। सिर की मालिश से मानसिक शांति तो मिलती ही है साथ ही मस्तिष्क की सारे नसों में रक्तसंचरण तेज हो जाता है। यदि यह छिद्र बंद हो जाए तो हम कई बीमारियों की पकड़ में आ सकते हैं। इससे बचने के लिए हमें प्रतिदिन सिर की मालिश कर नहाना चाहिए। जिससे से छिद्र हमेशा खुले रहेंगे और आप तनाव से राहत के साथ ही नई स्फूर्ति का एहसास करेंगे।
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