क्षयार्ष

क्षयार्ष प्रथम (Xerxes I/519 BC-465 BC) फ़ारस (ईरान) नरेश दारयवौष (दारा प्रथम) का पुत्र और उत्तराधिकारी। वह फारस का का चतुर्थ राजाधिराज (King of Kings) था।

क्षयार्ष
क्षयार्ष की समाधि पर उसका उभरा-चित्र

परिचय

दारयवौष प्रथम की प्रथम पत्नी की तीन संतानें थी। उनमें ज्येष्ठ आर्तज़ेबीज़ो को उसने उत्तराधिकारी बनाया था। किंतु खब्बास के विद्रोह के समय उसकी दूसरी पत्नी अत्तोस्स (कुरूष की कन्या) ने अपने ज्येष्ठ पुत्र क्षयार्षा को उत्तराधिकारी मनोनीत करवा दिया। क्षयार्षा की नसों में कुरूष का भी राजरक्त था अत उसके उत्तराधिकारी होने में कोई कठिनाई नहीं हो सकी। दारयवौष के पश्चात् राज्यारोहण के समय वह किसी भी देश पर आक्रमण करने के पक्ष में नहीं था, किंतु प्रमुख राजपुरुषों ने उसे स्मरण दिलाया कि मराथन की पराजय का बदला अभी नहीं लिया जा सका है। उधर मिश्र में विद्रोह की आग भडक उठी थी। खब्बास ने उस विद्रोह का पूरा इंतजाम कर रखा था। निरंतर दो वर्षो तक डेल्टा तथा सीमावर्ती भाग पर मोर्चेबंदी की थी। क्षयार्षा को सर्वप्रथम इसी विद्रोह को दबाने के लिये प्रयास करना पड़ा। खब्बास का सारा प्रयास व्यर्थ सिद्ध हुआ। क्षयार्षा ने विद्रोह दबा दिया, पुजारियों को मुक्त कर दिया गया तथा उसके मंदिर का खजाना ले लिया गया। राजा का भाई आखमीनस वहाँ का क्षत्रप बनाया गया। खब्बास भाग निकला उसकी मृत्यु ना होने से क्षयार्षा को मिश्र की पूरी शक्ति नहीं प्राप्त हो सकी। अनुश्रुति है कि उसने एक बार पुन आकर खलदों को चौंका दिया। किंतु वह अपने मनचाहे नरेश को सिंहासन पर न बैठा सका। यदि जनश्रुति सत्य न भी हो तो भी प्रतीत होता है कि मिश्र में एक बार विद्रोह हुआ था। जोपरिस के पुत्र मेगाबीसस ने, जो वहाँ का आनुवंशिक क्षत्रप था, बड़ी निर्दयता से विद्रोह को शांत किया। बेलुश का मंदिर लूट लिया गया। देवता की मूर्ति निकाल ली गई। पुजारियों का वध कर दिया गया जनता को अंशत दास बना लिया गया।

मिस्र से लौटने के पश्चात् क्षयार्षा ने एक विशाल सेना एकत्र की। हेरोदोतस के अनुसार इस सेना की संख्या, जिसको उसने अपने विशाल साम्राज्य के सभी प्रांतों से एकत्र किया था, बहुत बड़ी थी। वह इस सेना के साथ अपने पिता की मराथन की पराजय का बदला लेने के लिये चल पड़ा। इस अभियान की तिथि ४८० ई. पू. है। क्षयार्षा ने अपनी सेना को समुद्र के पथ से संचालित किया। तटवर्ती प्रदेश से जिस प्रकार इस विशाल सेना को रसद पहुँचाई गई उसकी प्रशंसा इतिहासकार करते हैं। क्षयार्षा स्वयं सैन्यसंचालन कर रहा था। इस संभावित युद्ध का पता यूनानियों को लग चुका था। वे सभी सम्मिलित रूप से फारसियों की सेना को रोकने के लिये प्रस्तुत हो गए। केवल वे ही उसमें सम्मिलित नहीं हो सके जो तब तक फारस के अधीन हो चुके थे। १४०१ वीर लियोदिनस के संरक्षण में थर्मापिली के तंग रास्ते पर आ डटे जो फारस की सेना के अवरोध के लिये सर्वोत्तम था। एक ओर गहरा समुद्र दूसरी ओर अभ्रंलिहाग्र पर्वतशृंखला और इन्हीं दोनों के बीच में थर्मापिली का तंग रास्ता। यूनानियों ने फारसियों के आक्रमण के पूर्व ही इस स्थान पर और सेना भेजना चाहा। किंतु फारसियों ने कुछ पहले ही आक्रमण कर दिया एक ओर असंख्य सेना दूसरी ओर केवल १४०० वीर। यूनानी कुछ घबड़ाए और लौटने का इरादा किया। किंतु वीर लियोदिनस ने कहा--यदि आप लोग चाहें तो लौटें पर हमें और स्पार्ता के इन वीरों को इस दर्रे पर अड़े रहना है, हम यहीं रहेंगे। एक भी न हटा। सभी अड़े रहे। घनघोर युद्ध हुआ और दो दिन तक अस्त्र शस्त्रों की खनखनाहट में यह निश्चित न हो पाया कि विजय किसकी होगी।

विश्व के इतिहास में विश्वासघातियों का भी अपना स्थान रहा है। इतिहास के क्रम को बदलने में इन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। एफियाल्तीस नामक एक गड़ेरिए ने क्षयार्षा की सेना को भेड़ों का पहाड़ी रास्ता दिखा दिया। फलस्वरूप फारसियों की सेना के कुछ भाग ने पहाड़ियों को पारकर वीर लियोनिदस पर पीछे से आक्रमण किया। लियोनिदस ने तुरंत वीरों को छाँटकर मुकाबला करने के लिए भेजा और स्वयं स्पार्ता के केवल ३०० वीरों के साथ सामने से फारसियों का मुकाबला किया। पर थर्मापिली की रक्षा न हो सकी। सभी यूनानी वीर डटे रहे। फारसियों की सेना दर्रे से होकर यूनान में उमड़ पड़ी। थीब्ज ने बिना लड़े ही घुटने टेक दिए तथा फारसियों की शर्तें स्वीकार कर ली। एथेंसवासियों को आकाशवाणी से आदेश मिला कि उनकी रक्षा केवल एलामीज के काष्ठप्राचीरों के भीतर ही संभव है। सचमुच यहीं से यूनानियों का पासा पलटा। थेमिसथोक्लीज ने २० सितंबर सन् ४०० ई. को फारसियों को सलामीज की खाड़ी की राह लेने के लिए बाध्य कर दिया। यदि क्षयार्षा सलामीज पर विजय प्राप्त कर लेता तो पूरा ग्रीस उसके चरणों में होता। अत एथैंस की सेना का कप्तान कौंसिल से छिपाकर बाहर निकला और गुप्त रूप से क्षयार्षा के पास झूठा संदेश भेजा कि य़ूनानी सेना के आधे लोग भागने के पक्ष में हैं। यह खबर पाकर क्षयार्षा ने ठीक वही किया जैसा थेमिसथोक्लीज ने सोचा था। उसने जलडमरूमध्य के मुहाने से अपनी सेना के कुछ भाग को हट जाने का आदेश दिया। इस तरह चालाकी से और वीरता से यूनानी विजयी हुए। फारसियों की सेना बड़ी वीरता से लड़ी पर उनकी विशाल संख्या और उनके उत्साह तथा साहस ने उनकी सहायता न की। उनकी नौसेना बिखर गई। क्षयार्षा एग्लिओज के पर्वतशिखर पर सिंहासन पर बैठा फारसियों की इस पराजय को देखकर बौखला उठा और अपने वस्त्रों को फाड़ डाला। वह अपनी सेना के साथ सूसा वापस लौटा किंतु यूनान को इस अविजित स्थिति में छोड़ने से पूर्व उसने मार्दोनियस को उसकी प्रार्थना पर, बची हुई सेना के साथ युद्ध करने की आज्ञा दे दी। दोनों सेनाओं की भिड़ंत प्लातिया के मैदान पर हुई। हेरोदोतस के अनुसार यूनानियों की ओर १,१०,००० तथा फारसियों की ओर ३,००,००० आदमी थे। कई दिनों तक दोनों सेनाओं की मुठभेड़ें होती रहीं। मार्दोंनियस मारा गया। मकदुनिया के राजा ने विश्वासघात किया था। फारसियों की पराजय हुई।

क्षयार्षा ने राजधानी लौटकर अपने अवशिष्ठ साहस और बुद्धिमत्ता को अंतपुर की स्त्रीपरायणता में खपा दिया। उसके जीवन के अंतिम दिनों में राज्य में विरोध तथा विद्रोह उठ खड़े हो रहे थे। उसकी अंगरक्षक सेना के कप्तान आर्तबानिस् ने ४६५ ई. पूर्व में उसका वध कर दिया।

Tags:

ईरानदारा प्रथमफ़ारस

🔥 Trending searches on Wiki हिन्दी:

रीति कालभारतकारकबिहार के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रमीरा बाईबिहार जाति आधारित गणना 2023तुलनात्मक राजनीतिजल प्रदूषणभांग का पौधाणमोकार मंत्रक्रिया (व्याकरण)मिया मालकोवाहिन्दू धर्म का इतिहासगुड़हलभारत का विभाजनसम्भाजीअन्नामलाई कुप्पुसामीमानवाधिकारराजपूतलालबहादुर शास्त्रीरामायणकुछ कुछ होता हैकबड्डीबिहार के जिलेमेरठ लोक सभा निर्वाचन क्षेत्रसचिन तेंदुलकरइमाम अहमद रज़ाचोल राजवंशसोनारिका भदोरियावर्षादेवनागरीविश्व शौचालय दिवससौर मण्डलसमानताप्राणनवीन जिन्दलफ़ज्र की नमाज़प्रथम विश्व युद्धरामखेसारी लाल यादवअर्थशास्त्रभारतीय आम चुनाव, 2019पश्चिमी हिंदीहरियाणाअसहयोग आन्दोलनमध्य प्रदेशआर्य समाज२७ मार्चभारत में जल प्रदूषणजसोदाबेन मोदीसाईबर अपराधटिम डेविडमुरादाबाद लोक सभा निर्वाचन क्षेत्रकाव्यपलाशमुग़ल शासकों की सूचीप्राचीन मिस्रमहुआछठ पूजाभाखड़ा बांधफिरोज़ गांधीनवरोहणगीतगोविन्दराज्य सभाव्यंजन वर्णलोक प्रशासन की प्रकृतिशारीरिक शिक्षालखनऊपल्लवननई दिल्लीप्रिया रायलद्दाख़नरेन्द्र मोदीलोकसभा अध्यक्षअंतर्राष्ट्रीय योग दिवसवैदिक सभ्यताउत्तराखण्ड में लोकसभा क्षेत्रपार्वतीराष्ट्रकुल🡆 More