सुगर रोग

सुगर रोग या ‌ मधुमेह या डायबिटीज मेलिटस (डीएम) अइसन रोगन कै समुह होय जवने में देहि में ग्लुकोज कै मात्रा ढेर होइ जात है। इ रोग समुह कै बीभाजन इ आधार पे भा है की कवने परकीरिया से इ रोग होइ जाला। टाइप 1 डीएम में इन्सुलीन कय कमी रहाला। इ पैनक्रियाटीक बीटा सेल कै बिनास से होला। पैनक्रियाटीक बीटा सेल इन्सुलीन पयदा करा ला। टाइप 2 डीएम मोटापा से जुडा हय। जेनेटिक खराबी से मोडी डीएम होला। मोडी कय मतलब होय मैचुरीटी अनसेट डायबिटीज इन यंग। अइसै क्रोनीक प्यानक्रियटाइटीस, सिस्टिक फाइब्रोसिस, हेमोक्रोमैटोसिस से भी डायबिटीज होला। इंडोक्रिनोपैथि जइसै एक्रोमेगाली, कुशिंग सिंड्रोम, ग्लूकागोनोमा, फियोक्रोमोसाइटोमा, हाइपरथायरायडिज्म, दवाई जइसै निकोटिनिक एसिड, ग्लुकोकोर्टिकोइड्स, थियाज़ाइड्स, प्रोटीज़ अवरोधक से भी डायबिटीज होला। प्रेगनेंट मेहरारुन में होय वाले डायबिटीज कै जेस्टेस्नल डायबिटीज कहा लैं।

आईसीडी-१० E10.–E14.
आईसीडी-९ 250
मेडलाइन प्लस 001214
ईमेडिसिन med/546  emerg/134
सुगर रोग
मधुमेह खातिर सार्वभौमिक नीला घेरा का प्रतीक

पता लगावैक तरिका

45 साल से ढेर उमिर वाले मनइन मे अव जेकर वजन ढेर है तेकर (बॉडी मास इंडेक्स ≥25 किग्रा/एम2) औ एक या ढेर जोखिम रहै वाले जवान मनइन में हर 3 साल में फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज स्तर या एचबीए1सी कय स्क्रीनिंग कय सिफारिस कइ जात है।

यका पता लगावैक मानदंड

• सुगर कै लक्षन औ रैन्डम रक्त ग्लूकोज ≥11.1 mmol/L (200 mg/dL) या

• फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज ≥7.0 mmol/L (126 mg/dL) या • HbA1c ≥ 6.5%c या

• 2-h पोस्ट प्रैन्डियल प्लाज्मा ग्लूकोज ≥11.1 mmol/L (200 mg/dL)

लच्छन

लच्छन
ढेर पीयास लागब
ढेर पेसाब लागब
ढेर भूख लागब
वजन घटब
कमजोरी औ थकान
आंखी से धुंधला बिलगाब
पाका हाली नीक ना होब

जटिलता

डीएम में लम्मा समय बाद इ जटिलता होत हय:

  • आंख विज्ञान: नॉनप्रोलिफेरेटिव या प्रोलिफेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी, मैक्यूलर एडिमा, आईरिस कय रूबियोसिस, ग्लौकोमा, मोतियाबिंद
  • रेनल: प्रोटीनूरिया, एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ईएसआरडी), टाइप IV रीनल ट्यूबलर एसिडोसिस
  • न्यूरोलॉजिक: डिस्टल सिमेट्रिक पॉलीन्यूरोपैथी, पॉलीरेडिकुलोपैथी, मोनोन्यूरोपैथी , अटोनोमीक न्यूरोपैथी
  • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल: फैटी लीवर, गैस्ट्रोपैरेसिस, डायरिया, कब्ज
  • जेनिटोरिनरी: सिस्टोपैथी, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, महिला यौन रोग, योनि कैंडिडिआसिस
  • कार्डियोवास्कुलर: कोरोनरी धमनी रोग, कंजेस्टिव हृदय विफलता, स्ट्रोक
  • निचला अंग: गोड कय अल्सर
  • चमणा संबंधी: संक्रमण (फॉलिकुलिटिस, फुरुनकुलोसिस, सेल्युलाइटिस), नेक्रोबियोसिस, खराब इलाज, अल्सर, गैंग्रीन
  • दांत: पेरियोडोंटल रोग

स्रोत

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