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नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:। उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।। देवी दुर्गा के नौ रूप होते हैं जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। दुर्गाजी... |
अपराजिता (अनुभाग बाहरी कड़ियाँ) अन्दर आने वाले पुष्प भी शंकु आकार के होते हैं। इसका उपयोग काली पूजा और नवदुर्गा पूजा में विशेषरूप में किया जाता है। जहां काली का स्थान बनाया जाता है वहां... |
शांतादुर्गा कलंगुटकारिन मंदिर (श्रेणी वेबआर्काइव टेम्पलेट वेबैक कड़ियाँ) आंतरिक, गोवा शांतादुर्गा मंदिर महाजन, गोवा शांतादुर्गा मंदिर बाहरी, गोवा शांतादुर्गा मंदिर बाहरी, गोवा गोवा के मंदिर श्री शांतादुर्गा मंदिर, कवालेम श्री शांतादुर्गा... |
कात्यायिनी (श्रेणी नवदुर्गा) कात्यायनी नवदुर्गा या हिंदू देवी पार्वती (शक्ति) के नौ रूपों में छठवीं रूप हैं। 'कात्यायनी' अमरकोष में पार्वती के लिए दूसरा नाम है, संस्कृत शब्दकोश में... |
मुरैना ज़िला (श्रेणी आईएसबीएन के जादुई कड़ियों का उपयोग करने वाले पृष्ठ) सांक नदी पर बना हुआ मुग़ल कालीन पुल माता बसैया ( माँ काली का दरबार ) जहाँ नवदुर्गा पर मेले का आयोजन किया जाता है तथा लाखों श्रध्दालु हर दिन दर्शन के लिए आते... |
सोमनाथ मन्दिर (श्रेणी वेबआर्काइव टेम्पलेट वेबैक कड़ियाँ) प्रतिबद्ध था। मन्दिर संख्या 1 के प्रांगण में हनुमानजी का मन्दिर, पर्दी विनायक, नवदुर्गा खोडीयार, महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा स्थापित सोमनाथ ज्योतिर्लिग, अहिल्येश्वर... |
पार्वती (श्रेणी वेबआर्काइव टेम्पलेट वेबैक कड़ियाँ) दुर्गमासुर का वध किया था और इसी कारण वे दुर्गा के नाम से प्रसिद्ध हुई थीं। नवदुर्गा नामक नौ रूपों में दुर्गा की पूजा की जाती है। नौ पहलुओं में से प्रत्येक... |
महाकाली - अंत ही आरंभ है (श्रेणी लेख जिनमें दिसंबर 2022 से मृत कड़ियाँ हैं) में। / काली, चामुंडा, भद्रकाली / सती : महादेव की पहली पत्नी। / दुर्गा / नवदुर्गा ( शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी,... |
आमेर दुर्ग (श्रेणी सीएस1 त्रुटियाँ: बाहरी कड़ियाँ) प्रवेशद्वार में चांदी के पत्र से मढ़े हुए दरवाजों की जोड़ी है। इन पर उभरी हुई नवदुर्गा देवियों व दस महाविद्याओं के चित्र बने हुए हैं। मन्दिर के भीतर दोनों ओर... |
बद्रीनाथ मन्दिर (श्रेणी लेख जिनमें जुलाई 2023 से मृत कड़ियाँ हैं) (नारायण का वाहन), और नवदुर्गा (नौ अलग-अलग रूपों में दुर्गा) की मूर्तियां शामिल हैं। इनके अतिरिक्त मन्दिर परिसर में गर्भगृह के बाहर लक्ष्मी-नृसिंह और संत... |
राम (श्रेणी टूटी हुई चित्र कड़ियों वाले पृष्ठ) सो वह कुटिया बाहरी द्वार पर खड़े होकर "भिक्षाम् देही - भिक्षाम् देही" का उद्घोष करने लगा। इस वाणी को सुन कर देवी सीता कुटिया के बाहर निकलीं (लक्ष्मण... |
देव सूर्य मंदिर (श्रेणी वेबआर्काइव टेम्पलेट वेबैक कड़ियाँ) शिल्प कला इसी प्रकार की है। हालांकि, उडि़सा के मंदिरो की तरह गर्भगृह की बाहरी भाग में रथिकाओं का नियोजन देव सूर्य मंदिर में नही है। देव मंदिर के मुख्य... |
यमराज (श्रेणी लेख जिनमें जनवरी 2021 से मृत कड़ियाँ हैं) चिरंजीवी रहने का वरदान दिया। चित्रगुप्त यमदूत जब यमराज की भी हो गई थी मौत[मृत कड़ियाँ] Macdonell, Arthur Anthony (1897). Vedic Mythology. Oxford University Press... |
ऐतरेय उपनिषद (अनुभाग बाहरी कड़ियाँ) हूँ; किन्तु अब आत्माज्ञान हो जाने से मैं श्येन पक्षी के समान उनका भेदन कर बाहर निकल आया हूँ। ऐसा ज्ञान होने के कारण ही वामदेव ऋषि देहपात के अनन्तर अमर पद... |
दत्तात्रेय (अनुभाग बाहरी कड़ियाँ) माँ अनुसूया त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश जैसे पुत्र की प्राप्ति के लिए कड़े तप में लीन हो गईं, जिससे तीनों देवों की अर्धांगिनियां सरस्वती, लक्ष्मी और... |
जोशीमठ (श्रेणी आईएसबीएन के जादुई कड़ियों का उपयोग करने वाले पृष्ठ) छोटे-छोटे मंदिर हैं जो गणेश, सूर्य, काली, भगवान शिव, भैरव, नवदुर्गा एवं गौरी-शंकर को समर्पित हैं। नवदुर्गा मंदिर का खास महत्व है। यह भारत के कुछ मंदिरों में से... |
कृष्ण (श्रेणी वेबआर्काइव टेम्पलेट वेबैक कड़ियाँ) Westland. पृ॰ Key7. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789381626689. अभिगमन तिथि 9 June 2016.[मृत कड़ियाँ] Lok Nath Soni (2000). The Cattle and the Stick: An Ethnographic Profile... |
शनि (ज्योतिष) (श्रेणी वेबआर्काइव टेम्पलेट वेबैक कड़ियाँ) अन्धेरा होने के कारण से बाहरी आफ़तों के प्रति भी अन्जान रहता है, जो भी कारण बाहरी बनते हैं उनके द्वारा या तो ठगा जाता है या बाहरी लोगों की शनि वाली चालाकियों... |
हिरनगाँव (श्रेणी वेबआर्काइव टेम्पलेट वेबैक कड़ियाँ) है यहाँ कोई भी सच्चे मन से मांगी गई मन्नत पूरी होती है यहाँ प्रतिवर्ष नवदुर्गो में मेला लगता है और हजारो की संख्या में बड़ी दूर दूर से श्रदालु माता के... |
कुरुक्षेत्र युद्ध (श्रेणी लेख जिनमें जनवरी 2021 से मृत कड़ियाँ हैं) प्रारम्भ। मेरी कलम से- कृष्णा वीरेन्द्र न्यास भारतीय साहित्य संग्रह[मृत कड़ियाँ] "महाभारत की सेना". मूल से 5 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 मई... |