रब्बी शेरगिल (जन्म का नाम गुरप्रीत सिंह शेरगिल, 1973) एक भारतीय संगीतकार हैं जो अपनी प्रथम एल्बम रब्बी और 2005 के सर्वश्रेष्ठ गीत बुल्ला की जाना के लिए जाने जाते हैं। उनके संगीत का वर्णन विभिन्न प्रकार के रॉक, बानी शैली की पंजाबी और सूफियाना, तथा अर्ध-सूफी अर्ध-लोकगीत जैसा संगीत जिसमे पाश्चत्य साजों की अधिकता हो, के रूप में किया जाता है। रब्बी को पंजाबी संगीत का वास्तविक शहरी लोकगायक कहा गया है।
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रब्बी शेरगिल | |
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पृष्ठभूमि | |
कॉलेज छोड़ने के बाद रब्बी ने काफिर नामक बैंड बनाया जिसे पेशेवर प्रदर्शन पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. बैंड ने कुछ कॉलेज समारोहों में प्रस्तुतियां दीं लेकिन लेकिन समय के साथ बैंड के कई सदस्यों ने कॉर्पोरेट जगत में जाने का निर्णय किया। रब्बी संगीत के लिए प्रतिबद्ध थे और उन्हें यह स्पष्ट था कि वह एक पेशेवर संगीतकार ही बनना चाहते थे। कुछ दिनों उन्होंने यामाहा आरएक्स-टी मोटरसाइकिलों और टाइम्स एफ एम के लिए विज्ञापन गीत संगीतबद्ध किये। रब्बी ने कई साल के लिए संघर्ष करने के बाद अपना पहला एल्बम विमोचित किया। शुरू में उन्होंने सोनी म्युज़िक के साथ काम किया, लेकिन फिर सोनी पीछे हट गया। फिर उन्होंने मिंटी तेजपाल से संपर्क किया, जो तहलका के पूर्व मुख्य संपादक तरुण तेजपाल के भाई हैं, उनको रब्बी का संगीत पसंद आया और उन्होंने रब्बी को अनुबंध का प्रस्ताव रखा। इसके तुरंत बाद तहलका वित्तीय समस्याओं से घिर गया और अंततः अनुबंध रद्द कर दिया गया। मैग्नासाउंड ने भी उन्हें एक अनुबंध की पेशकश की, लेकिन एलबम के आने से पहले ही कंपनी दिवालिया हो गयी। उन्हें अंततः फैट फिश (Phat Phish) रिकॉर्ड्स द्वारा साइन किया गया, जो उनकी प्रथम एल्बम लाया।
उनकी पहली एल्बम रब्बी 2004 में जारी की गई। एक म्युज़िक वीडियो और मौखिक प्रचार पर भरोसा करते हुए, रब्बी शेरगिल को तुरंत सफलता प्राप्त हुई। 2005 के गैर फ़िल्मी गीतों में "बुल्ला कि जाना" सर्वाधिक बजाया जाने वाला गीत बन गया। पाप और वैसा भी होता है भाग II जैसी फिल्मों में गीत "बुल्ला कि जाना" को शामिल करने के अनुरोध आये, लेकिन लेकिन रब्बी ने स्वीकार नहीं किए। एल्बम के अन्य गीतों में खुशी का गीत "अज्ज नचणा", प्यार का गीत "तेरे बिन" समकालीन मुद्दों पर आधारित "जुगनी" शामिल हैं।
एल्बम के अधिकांश गीत रब्बी द्वारा स्वयं ही रचित और संगीतबद्ध किये गए हैं, हालांकि "बुल्ला कि जाना" गीत 18वीं शताब्दी के मुस्लिम सूफी रहस्यवादी बाबा बुल्ले शाह द्वारा रचित है, "हीर" वारिस शाह की हीर राँझा पर आधारित है तथा "इश्तिहार" शिव कुमार बटालवी द्वारा लिखा गया है।
इसके बाद रब्बी ने हिंदी फिल्म दिल्ली हाइट्स में गीतकार व संगीत निर्देशन का कार्य किया। उन्होंने वर्ल्ड सोशल फोरम, ब्राज़ील, ट्राई-कॉन्टिनेंटल फिल्म उत्सव, नयी दिल्ली और अनेक अन्य कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति दी है।
9 अप्रैल 2008 को नोकिया इंडिया ने घोषणा की कि शेरगिल का एल्बम, आवेंगी जा नहीं ऑडियो सीडी के विमोचन से एक महीने पूर्व सिर्फ उसके एन श्रृंखला के मल्टीमीडिया फ़ोनों पर उपलब्ध होगा। इस एल्बम में 9 गीत हैं जो सांप्रदायिक हिंसा, सामाजिक उत्तरदायित्व और "सामूहिक नैतिकता" की आवश्यकता जैसे मुद्दों से सम्बंधित है।
शेरगिल का संगीत के प्रति प्रमुख योगदान पंजाबी भाषा के प्रयोग में निहित है - जो कि पहले एक या तो भांगड़ा या पारंपरिक लोक संगीत के सदृश ख्यात थी - और पंजाबी का उपयोग करते हुए उन्होंने रॉक आधारित बैलेड्स की रचना की और इस भाषा को नया संगीत सम्बंधित आयाम दिया। अपने काव्य सांगत, सामाजिक रूप से प्रासंगिक गीतों के बोल और एक वयस्क वैकल्पिक आवाज के कारण, शेरगिल तुरंत ही शहरी लोगों से जुड़ गए, जो उन्हें अपने वास्तविक और मूल गीतों के लिए प्यार करने लगे। उन्होंने अपने गीतों में गहरे दार्शनिक भावों के साथ ही लगभग अप्रचलित और भुला दिए गए पंजाबी वाक्यांशों को बिलकुल नए भारतीय रॉक संगीत में बहुत सरलता से सम्मिलित कर लिया है।
रब्बी का संगीत रॉक के साथ साथ सूफी एवं पंजाबी लोक संगीत से प्रेरित है। उनके पसंदीदा संगीतकारों में ब्रूस स्प्रिंगस्टीन, लेड ज़ेपलिन, एरोस्मिथ और जिम्मी पेज तथा बल्ली जगपाल एवं गुनबीर सिंह चढ्ढा सम्मिलित है।
रब्बी के पिता एक सिख धर्मवक्ता और माता एक महाविद्यालय की प्रधानाचार्या और पंजाबी कवियित्री हैं। रब्बी की चार बहनें हैं। वे गुरु हरक्रिशन पब्लिक स्कूल, इंडिया गेट तथा दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रसिद्ध श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज के पूर्व छात्र हैं। कॉलेज के बाद, आगे की पढाई के लिए वह फोर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट गए जहां से एक वर्ष बाद ही उन्होंने पढाई छोड़ दी।
उनके प्रशंसकों में अमिताभ बच्चन, डॉ॰ राव और सर वी.एस. नायपॉल शामिल हैं, जिनकी प्रसिद्ध टिप्पणी थी "मैं उनका संगीत समझ नहीं पाया पर यह बहुत भावपूर्ण और गहरा है". मीरा नायर उनकी तुलना नुसरत फ़तेह अली खान से करती हैं।
उनके नाम रब्बी का अर्थ ईश्वर की ओर होता है जो पंजाबी के शब्द रब (ईश्वर) से लिया गया है। यह शब्द मूल रूप से अरबी शब्द "रब्ब" से आया है जिसका अर्थ है प्रभु/मालिक/सृष्टिकर्ता/पालन पोषण करने वाला.
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