अज़रबाइजान का संविधान, आज़रबाइजान की सर्वोच्च वैधिक दस्तावेज़ है। इसे १२ नवम्बर १९९५ को, जनमत संग्रह द्वारा अपनाया गया था। इसके अनुच्छेद १४७ के अनुसार, यह आलेख, आज़रबाइजान की भूमि पर सर्वोच्च न्यायिक बल का धारक है। यह संविधान एक लोकतांत्रिक , विधि शासित , धर्मनिरपेक्ष ऐकिक गणराज्य की स्थापना करता है, जिसमें राज्य, शक्तियों के पृथक्करण (अनुच्छेद 7) के सिद्धांत पर आधारित हैं। राज्य के मौलिक कानून के रूप में, संविधान, सरकार की संरचना तथा न्यायपालिका, विधानपालिका तथा कार्यपालिका की शक्तियों को परिभाषित करता है, एवं नागरिकिओं के मौलिक अधिकार, स्वतंत्रता और जिम्मेदारियों को भी अधिसूचित करता है।
इस संविधान को अगस्त २००२ और मार्च २००९ में संशोधित किया गया था, तथा सबसे हाल ही में २६ सितम्बर २०१६ में संवैधानिक जनमत द्वारा एक और संशोधन को अपनाया गया था। २००२ में २२ अनुच्छेदों में ३१ संशोधन; २००९ में २९ अनुच्छेदों में ४१ संशोधन; तथा २०१६ में २३ अनुच्छेदों को संशोधित कर ६ नए अनुच्छेद जोड़े गए थे। प्रतिवर्ष १२ नवम्बर को संविधान परावर्तन के उपलक्ष्य में, अज़रबाइजान में संविधान दिवस मनाया जाता है, जोकि एक राष्ट्रीय पर्व है।
यह संविधान स्वतन्त्र आज़रबाइजान का पहला संविध है। १९१८ में स्वतन्त्र रूप से स्थापित आज़रबाइजान लोकतान्त्रिक गणराज्य, अपने २३ महीनों के स्वतन्त्र अस्तित्व में एक संविधान अपनाने में नाकामयाब रहा था, और अंत्यतः आज़रबाइजान, आज़रबाइजान सोवियत समाजवादी गणराज्य(अज़रबाइजान एसएसआर) के रूप में सोवियत संघ में सम्मिलित हो गया। आज़रबाइजान में संविधान निर्माण का वास्तविक इतिहास सोवियत युग से शुरू होता है। सोवियत आज़रबाइजान के पहले अमविधान को १९२१ में अपनाया गया था, जिसे सोवियत संघ के संविधान के अनुसार लिखा गया था। सोवियत अज़रबाइजान का अंतिम संविधान १२ अप्रील १९७९ में लागू हुआ, और वह भी सोवियत संविधान के अनुसार था। सोवियत संध से १८ अक्टूबर १९९१ में अज़रबाइजान के अलग होने के बाद, नाव स्वतन्त्र लोकतान्त्रिक गणराज्य के संविधान को १२ नवम्बर १९९५ को अपनाया गया, जोकि स्वतन्त्र अज़रबाइजान का पहला संविधान है। इस संविधान में ५ अध्याय, १२ खण्ड और कुल १४७ अनुच्छेद हैं। इस संविधान को अभी तक कुल तीन बार, जनमत संग्रह द्वारा संशोधित किया गया है। सबसे हालिया संशोधन को २६ सितम्बर २०१६ में संवैधानिक जनमत द्वारा अपनाया गया था। इसके अलवाल पूर्वतः अगस्त २००२ और मार्च २००९ में भी संवैधानिक संशोधिन परावर्तित किया गया था। २००२ के संशोधन में २२ अनुच्छेदों में ३१ संशोधन; २००९ में २९ अनुच्छेदों में ४१ संशोधन; तथा २०१६ में २३ अनुच्छेदों को संशोधित कर ६ नए अनुच्छेद जोड़े गए थे।
संविधान की प्रस्तावना, "प्रत्येक व्यक्ति तथा सम्पूर्ण समाज को सामूहिक समृद्धि और कल्याण प्रदान करने" हेतु, निम्नलिखित उद्देश्यों की घोषणा करता है:
संविधान अज़रबाइजान का सर्वोच्च विधि-सम्मत आलेख है(अनुच्छेद १४७) और इसे आज़रबैजान के पूरे क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूपसे लागू किया जाता है। यह संविधान एक लोकतांत्रिक , विधि शासित , धर्मनिरपेक्ष ऐकिक गणराज्य की स्थापना करता है, जिसमें राज्य, शक्तियों के पृथक्करण (अनुच्छेद 7) के सिद्धांत पर आधारित हैं। राज्य के मौलिक कानून के रूप में, संविधान, सरकार की संरचना तथा न्यायपालिका, विधानपालिका तथा कार्यपालिका की शक्तियों को परिभाषित करता है, एवं नागरिकिओं के मौलिक अधिकार, स्वतंत्रता और जिम्मेदारियों को भी इसमें अधिसूचित हैं।
अज़रबाइजान की एकसदनीय राष्ट्रीय विधायिका(मिल्ली मजलिस) संवैधानिक विधियों व अन्य कानूनों पर चर्चा व मंज़ूरी देने, तथा कार्यपालिका के कार्यवाहियों पर बहस करने का पटल है, जबकि राष्ट्रपति(कार्यपालिका के सर्वोच्च अंग) और मन्त्रिपरिषद् जिसकी अध्यक्षता अज़रबैजान के प्रधानमंत्री करते हैं, कार्यपालिका का हिस्सा हैं, जो आदेश व अध्यादेश जारी करने व आदेशों को कार्यान्वित करने के लिए ज़िम्मेदार है।
संविधान के अनुच्छेद ३० में बौद्धिक संपदा अधिकारों के संबंध में विशिष्ट प्रावधान शामिल हैं, यह अनुच्छेद, राष्ट्र के बौद्धिक संपदाओं पर प्रत्येक नागरिक के समान अधिकार की घोषणा करता है, तथा अनुच्छेद २३ राज्य के प्रतीकों(राष्ट्रध्वज, राष्ट्रप्रतीक और राष्ट्रगान) पर भी सभी को अधिकार देता है। अनुच्छेद ५१ प्रत्येक नागरिक को साहित्यिक और कलात्मक तथा वैज्ञानिक, तकनीकी व अन्य गतिविधियों का पालन करने की पूर्ण स्वतन्त्रता व अधिकार प्रदान करता है।
संविधान में बौद्धिक संपदा अधिकारों पर विशिष्ट प्रावधान हैं: बौद्धिक संपदा अधिकार(अनुच्छेद ३०), साहित्यिक या कलात्मक कार्यों, वैज्ञानिक या तकनीकी खोजों का अध्ययन(अनुच्छेद ५१)। इसके अलावा, संविधान में संपत्ति के अधिकार(१३ और २९) और आर्थिक विकास और प्रतियोगिता(अनुच्छेद १५) के प्रावधान शामिल हैं।
गणराज्य के राष्ट्रपति के संवैधानिक शक्तियों के आधार पर, आज़रबाइजान एक अध्यक्षीय गणराज्य है, जिसमें राष्ट्रपति राज्यप्रमुख है तथा अज़रबैजान के प्रधानमंत्री को शासनप्रमुख का दर्जा प्राप्त है। संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति, राष्ट्रीय विधायिका में सीटों के वितरण के आधार पर प्रधानमंत्री को नियुक्ति करते हैं तथा अन्य मंत्रियों को की भी नियुक्ति राष्ट्रपति के हाथों में है।
अगस्त २००२ में, जनमत संग्रह द्वारा एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन को अपनाया गया। जिसमें लोकतान्त्रिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन किया गया और मजलिस के लिए पूर्व आनुपातिक प्रतिनिधित्व निर्वाचन पद्धति को ख़ारिज कर शुद्ध बहुमत आधारित निर्वाचन पद्धति को अपनाया गया।
राष्ट्रपति इल्हाम अलियवे ने 18 मार्च , 2009 (कुल 41 संशोधन) में संविधान में संशोधन करने के लिए जनमत संग्रह में एक शानदार जीत हासिल की। सुधार के बाद, राष्ट्रपति पद पर पूर्वतः लगायी गई दो कार्यकालों की सीमा को हटा दिया गया और राष्ट्रपति के पुनःनिर्वाचन पर साडी सीमाओं को हटा दिया गया। केंद्रीय निर्वाचन आयोग के अनुसार, ९२% मतदाताओं ने इस जनमत संग्रह में सकारात्मक वोट दिया, जिसमें 71% भागीदारी शामिल थे।
२६ सितंबर २०१६, में संविधान में संशोधन की शुरुआत पर जनमत संग्रह आयोजित किया गया। कुछ बारह हज़ार मतदाताओं के चुनावों के अनुसार, संवैधानिक संशोधन अपनाया गया, जिसमें ८०% सकरात्मत मतों के साथ, संविधान में २९ संशोधन पारित किए गए।
इसके अलावा, संवैधानिक संशोधनों में राष्ट्रपति पद का विस्तार पांच से सात साल तक होता है और राज्य के मुखिया के विशेषाधिकारों में शामिल होता है कि संसद को भंग करने और अपनी स्वयं की पहल पर, जल्दी राष्ट्रपति चुनाव इसके अलावा, उपाध्यक्ष और / या पहले उपाध्यक्ष की स्थिति तैयार की गई है, जो राष्ट्रपति की स्थिति खाली हो जाने पर या राष्ट्रपति अपने दायित्वों को पूरा नहीं कर पाने के मामले में राष्ट्रपति की शक्तियों और दायित्वों को ले जाएगा (दो पदों के लिए उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा) राष्ट्रपति द्वारा)
प्रस्तावित नवाचारों की अन्य, जिसे एक-एक करके मतदान किया जाना चाहिए, वर्तमान में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम आयु समाप्त करना चाहिए, जो वर्तमान में 35 वर्ष और उससे कम है, जो संसद के लिए 25 से 18 साल के लिए कम है।
आधिकारिक परिणामों के अनुसार, मतदाताओं ने सभी जनमत प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया। एक 91.03% राष्ट्रपति के विधानसभा विस्तार के पक्ष में व्यक्त शेष प्रस्तावों 93.01% के बीच की एक 83.2% स्वीकृति था।
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