जैसा कि इस नाम से लग सकता है, पर्यावरण प्रबंधन का तात्पर्य पर्यावरण के प्रबंधन से नहीं है, बल्कि आधुनिक मानव समाज के पर्यावरण के साथ संपर्क तथा उसपर पड़ने वाले प्रभाव के प्रबंधन से है। प्रबंधकों को प्रभावित करने वाले तीन प्रमुख मुद्दे हैं राजनीति (नेटवर्किंग), कार्यक्रम (परियोजनायें) और संसाधन (धन, सुविधाएँ, आदि)।
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पर्यावरण प्रबंधन की आवश्यकता को कई दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है। पर्यावरण प्रबंधन के पीछे एक आम विचार तथा प्रेरणा है कैरीयिंग केपेसिटी (वहन क्षमता) की अवधारणा। आसान भाषा में कहें तो वहन क्षमता का तात्पर्य किसी विशेष पर्यावरणीय तंत्र द्वारा अपने भीतर जीवों की अधिकतम संख्या को धारण करने की क्षमता से है। हालाँकि कई संस्कृतियों को ऐतिहासिक रूप से वहन क्षमता की अवधारणा की समझ थी, लेकिन इसका मूल माल्थूसियन थ्योरी में है। अतः, पर्यावरण प्रबंधन का अर्थ केवल पर्यावरण की खातिर उसके संरक्षण से नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति की खातिर पर्यावरण के संरक्षण से है।[तथ्य वांछित] उपयुक्त शोषण के इस तत्व, अर्थात प्राकृतिक संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग को ईयू के जल संबंधी दिशा निर्देशों में देखा जा सकता है।
पर्यावरण प्रबंधन में जैव-भौतिक वातावरण के सभी घटक शामिल होते हैं, जीवित (जैविक) तथा मृत (अजैव) दोनों। इसका कारण है सभी जीवित प्रजातियों और उनके निवास स्थानों के बीच परस्पर रूप से आपस में जुड़े हुए संबंध। पर्यावरण में मानव पर्यावरण के आपसी संबंध भी शामिल हैं, जैसे कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिवेश का जैव-भौतिक वातावरण के साथ संबंध।
सभी प्रबंध कार्यों के समान इसके लिए भी प्रभावी प्रबंधन, मानकों और प्रणालियों की आवश्यकता होती है। पर्यावरण प्रबंधन के मानक या प्रणाली या प्रोटोकॉल, किसी उपयुक्त मानदंड द्वारा मापे गए पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने की चेष्टा करते हैं। आईएसओ 14001 मानक, पर्यावरण जोखिम प्रबंधन के लिए सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला मानक है और यह यूरोपियन इको-मैनेजमेंट एंड ऑडिट स्कीम (EMAS) के साथ काफी करीबी रूप से जुड़ा हुआ है। एक सामान्य ऑडिटिंग मानक के रूप में आईएसओ 19011 मानक में इसे गुणवत्ता प्रबंधन के साथ जोड़ने के बारे में बताया गया है।
अन्य पर्यावरणीय प्रबंधन प्रणालियाँ (ईएमएस) आईएसओ 14001 मानक पर आधारित होती हैं और कई प्रणालियाँ इसको विभिन्न तरीकों से करती हैं:
कुछ अन्य रणनीतियाँ भी मौजूद हैं जो परफोर्मेंस ऑडिट तथा पूर्ण कॉस्ट अकाउंटिंग का इस्तेमाल करने वाली टॉप-डाउन मैनेजमेंट "प्रणालियों" को विकसित करने की बजाय भेद करने के साधारण तरीकों पर निर्भर करती हैं। उदाहरण के लिए, इकोलोजिकल इंटेलिजेंट डिजाइन उत्पादों को ऐसे उपभोज्य (कन्ज्यूमेबल), सेवा उत्पाद या टिकाऊ अथवा अविक्रेय विषाक्त उत्पादों में विभाजित करती है जिन्हें किसी के द्वारा ख़रीदा नही जाना चाहिए, या कई बार तो ग्राहकों को यह पता ही नहीं होता है कि वे उन्हें खरीद रहे हैं। ऐसे अविक्रेय उत्पादों को बाजार से बाहर रखकर किसी "प्रणाली" का इस्तेमाल किये बिना ही बेहतर पर्यावरण प्रबंधन को प्राप्त कर लिया जाता है।
हाल की सफलताओं ने "एकीकृत प्रबंधन" के धारणा को जन्म दिया है। इसमें एक व्यापक दृष्टिकोण का इस्तेमाल किया जाता है और अंतःविषय मूल्यांकन के महत्व को कम किया जाता है। यह एक दिलचस्प धारणा है परन्तु सभी जगह अनुकूल नहीं है।
"आज के कारोबारों के लिए कई संघीय, राज्य और स्थानीय पर्यावरण कानूनों, नियमों और विनियमों का पालन करना आवश्यक होता है। अपनी कंपनी को अनुपालन से बचने की प्रवृत्ति के प्रति बचाना अत्यंत आवश्यक है। यह दृष्टिकोण आपको पर्यावरण के प्रति अपनी महत्त्वपूर्ण जिमेदारियों से भागने के अतिरिक्त नियमों के उल्लंघन के कारण दंड का हक़दार भी बना सकता है।
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