जनसंख्या भूगोल मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। इसमें स्वंय मानव की जनसंख्या, लोगो का वितरण, आयु संरचना, घनत्व, व्रधि, लिंग अनुपात, स्थानान्तरण, व्यावसायिक संरचना तथा उनके आवासों का अध्ययन किया जाता हैं।
उपरोक्त परिभाषाओं से हम जनसंख्या भूगोल निम्नलिखित रूप से परिभाषित कर सकते हैं
“जनसंख्या भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जिसमें जनसंख्या के वितरण, संघटन, स्थानान्तरण तथा परिवर्तन में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं और किसी निश्चित क्षेत्र में जनसंख्या तथा पर्यावरण के मध्य पाये जाने वाली अंतर्सम्बन्धों से उत्पन्न सामाजिक-आर्थिक प्रतिरूपों का अध्ययन किया जाता है।
जनसंख्या भूगोल की परिभाषाएँ
1. जी०टी० द्विवार्था (G.T. Trewartha) के अनुसार “जनसंख्या भूगोल के मूल तत्त्व जनसंख्या द्वारा आच्छादित (आवासित) पृथ्वी के प्रादेशिक भिन्नताओं को समझने में निहित है।” इस परिभाषा से स्पष्ट है कि जी०टी० द्विवार्था ने जनसंख्या भूगोल को धरातल पर जनसंख्या के वितरण में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नता के अध्ययन का विषय माना है। उन्होंने क्षेत्रीय भिन्नता को सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
2. ब्रिटिश भूगोलविद् जॉन आई० क्लार्क (John I. Clarke) के अनुसार “जनसंख्या भूगोल यह प्रदर्शित करता है कि जनसंख्या के वितरण, संघटन, प्रवास और वृद्धि में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताएँ स्थानों की प्रकृति में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं से किस प्रकार सम्बन्धित हैं। “ इस प्रकार उन्होंने जनसंख्या भूगोल को भूतल पर जनसंख्या वितरण में पायी जाने वाली क्षेत्रीय-भिन्नताओं को उसके भौतिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक संदर्भ में जानने का प्रयत्न करता है।
नोट: जॉन आई० क्लार्क की जनसंख्या भूगोल पर प्रथम पाठ्य पुस्तक सन् 1965 में प्रकाशित हुई।
3. प्रसिद्ध फ्रांसीसी भूगोलविद् जे०बी० गार्नियर (J. B. Garnier) के अनुसार, “जनसंख्या भूगोल अपने पर्यावरण के संदर्भ में जनांकिकीय तथ्यों की मूल विशेषताओं तथा संभव परिणामों का सकारण अध्ययन करता है।” यहां गार्नियर ने भूतल पर जनसंख्या की प्रमुख विशेषताओं के अध्ययन में पर्यावरण को महत्वपूर्ण कारक के रूप में प्रदर्शित किया है।
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नोट: जे०बी० गार्नियर द्वारा फ्रांसीसी भाषा में लिखित जनसंख्या भूगोल का अंग्रेजी अनुवाद 1966 में प्रकाशित हुआ।
4. अमेरिकी भूगोलवेत्ता डैम्को (G.J. Demko) शब्दों में “जनसंख्या भूगोल, भूगोल विषय की वह शाखा है जो मानवीय जनसंख्या के जनांकिकीय तथा अजनांकिकीय विशेषताओं की क्षेत्रीय भिन्नताओं का विश्लेषण करता है।” उन्होंने जनसंख्या भूगोल के अन्तर्गत जनांकिकीय लक्षणों के साथ ही सामाजिक-आर्थिक लक्षणों के क्षेत्रीय भिन्नताओं के अध्ययन को भी सम्मिलित करने की बात कही है।
उपरोक्त परिभाषाओं से हम जनसंख्या भूगोल निम्नलिखित रूप से परिभाषित कर सकते हैं
“जनसंख्या भूगोल, भूगोल की वह शाखा है जिसमें जनसंख्या के वितरण, संघटन, स्थानान्तरण तथा परिवर्तन में पायी जाने वाली क्षेत्रीय भिन्नताओं और किसी निश्चित क्षेत्र में जनसंख्या तथा पर्यावरण के मध्य पाये जाने वाली अंतर्सम्बन्धों से उत्पन्न सामाजिक-आर्थिक प्रतिरूपों का अध्ययन किया जाता है।
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[[श्रेणी:जनसंख्या भूगोल]father of papulation geography- glen tiwartha
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