नीतीश कुमार: बिहार के मुख्यमंत्री पलटूराम

नीतीश कुमार (जन्म १ मार्च १९५१, बख्तियारपुर, बिहार, भारत) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं और सम्प्रति बिहार के मुख्यमंत्री हैं। इससे पहले उन्होंने 2005 से 2014 तक बिहार के मुख्यमंत्री और 2015 से 2017 में सीएम के रूप में एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद, उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और एक बार फिर एनडीए से हाथ मिला लिया । नीतीश ने 2022 में आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वे बिहार के सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री हैं। वह जनता दल यू राजनीतिक दल के प्रमुख नेताओं में से हैं।

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार: प्रारंभिक जीवन, राजनैतिक जीवन, निजी जीवन

पदस्थ
कार्यालय ग्रहण 
10 अगस्त 2022
राज्यपाल फागू चौहान
पूर्वा धिकारी नीतीश कुमार
पद बहाल
22 फरवरी 2015 – 9 अगस्त 2022
राज्यपाल
पूर्वा धिकारी जीतन राम मांझी
उत्तरा धिकारी स्वयं
पद बहाल
26 नवम्बर 2010 – 17 मई 2014
पूर्वा धिकारी स्वयं
उत्तरा धिकारी जीतन राम मांझी
पद बहाल
24 नवम्बर 2005 – 24 नवम्बर 2010
पूर्वा धिकारी राष्ट्रपति शासन
उत्तरा धिकारी स्वयं
पद बहाल
3 मार्च 2000 – 10 मार्च 2000
पूर्वा धिकारी राबड़ी देवी
उत्तरा धिकारी राबड़ी देवी

पद बहाल
20 मार्च 2001 – 21 मई 2004
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्वा धिकारी ममता बनर्जी
उत्तरा धिकारी लालू प्रसाद यादव
पद बहाल
19 मार्च 1998 – 5 अगस्त 1999
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्वा धिकारी रामविलास पासवान
उत्तरा धिकारी ममता बनर्जी

पद बहाल
27 मई 2000 – 21 जुलाई 2001
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्वा धिकारी अटल बिहारी वाजपेयी
उत्तरा धिकारी सुंदरलाल पटवा
पद बहाल
22 नवम्बर 1999 – 3 मार्च 2000
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्वा धिकारी सुंदरलाल पटवा
उत्तरा धिकारी अजीत सिंह

पद बहाल
13 अक्टूबर 1999 – 22 नवम्बर 1999
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्वा धिकारी एम थंबीदुरई
उत्तरा धिकारी जसवंत सिंह
पद बहाल
14 अप्रैल 1998 – 5 अगस्त 1999
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्वा धिकारी जसवंत सिंह
उत्तरा धिकारी राजनाथ सिंह

जन्म 1 मार्च 1951 (1951-03-01) (आयु 73)
बख्तियारपुर, बिहार, भारत
राजनीतिक दल जनता दल (यूनाइटेड) (2003–वर्तमान)

समता पार्टी (1994 - 2003)

अन्य राजनीतिक
संबद्धताऐं
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (2003-2013; 2017-2022)
जनता दल (1989–1994)
जीवन संगी स्वर्गीय श्रीमती मंजू कुमारी सिन्हा
बच्चे निशांत कुमार (कुर्मी) (पुत्र)
शैक्षिक सम्बद्धता राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, पटना (B.E)
हस्ताक्षर नीतीश कुमार: प्रारंभिक जीवन, राजनैतिक जीवन, निजी जीवन

हाल में नीतीश कुमार सुर्खियों में आ गए जब उन्होंने राम नवमी के जुलूस पे पत्थरबाजी और कई हिंदुओं के मरने तथा घायल होने की कई घटनाओं को नजर अंदाज करते हुए उसी वक्त इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इसके लिए हिंदुओं ने उनकी काफी आलोचना भी की , यहां तक कि उनकी तुलना रोम के नीरो से भी की गई। भाजपा ने भी उनपर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाया।

17 मई 2014 को उन्होंने भारतीय आम चुनाव, 2014 में अपने पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और उसके बाद 68 वर्षीय जीतन राम मांझी ने बिहार के 23वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। नीतीश कुमार ने ही मुख्यमंत्री के रूप में जीतन राम मांझी के नाम की पेशकश की थी। हालांकि, वह बिहार में राजनीतिक संकट के चलते फरवरी 2015 में कार्यालय में लौट आये और नवंबर 2015 की बिहार विधान सभा चुनाव,२०१५ जीता। वह 10 अप्रैल 2016 को अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए। 2019 के आगामी चुनाव में कई राजनेताओं लालू यादव, तेजस्वी यादव और अन्य ने भारत में प्रधानमंत्री पद के लिए उन्हें प्रस्तावित किया, हालांकि उन्होंने ऐसी आकांक्षाओं से इनकार किया। 26 जुलाई, 2017 को सीबीआई द्वारा एफआईआर में उपमुख्यमंत्री और लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव के नामकरण के कारण नीतीश कुमार ने फिर से बिहार के मुख्यमंत्री पद से गठबंधन सहयोगी आरजेडी के बीच मतभेद के चलते इस्तीफा दे दिया था। कुछ घंटे बाद, वह एनडीए गठबंधन में शामिल हुए और मुख्यमंत्री पद की पुनः शपथ ली। इसके बाद 2020 में पुनः उन्होने एनडीए गठबंधन के रुप में चुनाव लड़ा लेकिन 2022 में पुनः एनडीए गठबंधन से अलग होकर अपने पार्टी को राजद-कांग्रेस महागठबंधन में शामिल कर लिया और मुख्यमंत्री पद की पुनः शपथ ली। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में कुछ उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं -

  • 2004 से अब तक विकास की दर बहुत ही धीमी रही है, कुछ साल तेजी से ग्रोथ हुई है पर बाकी साल नाम मात्र की।
  • प्रति व्यक्ति आय (GSDP) 2005 में जहां 8773 था वही यह बढ़कर 2019 में 47541 हो गया। अगर महंगाई दर के हिसाब से देखे तो 2005 में 8773 रुपए आज के 40519 रुपए के बराबर है। इसका मतलब 16 सालों में लोगो की खरीदने की क्षमता में 7000 रुपए या करीब 15% की बढ़त हुई है जो हर साल 1% की दर से कम है।
  • प्रति व्यक्ति आय एनएसडीपी (NSDP) के अनुसार 2005 में जहां ₹7,914 था वहीं यह बढ़कर 2016- 17 में 25,950 हो गया. इस तरह से ₹18,036 की वृद्धि हुई। अगर महंगाई दर के हिसाब से देखे तो 2005 में 7914 रुपए आज के 36000 रुपए के बराबर है। इसका मतलब 16 सालों में लोगो की खरीदने की क्षमता में 18000 रुपए या करीब 50% की कमी हुई है। इसका कारण ये है की चीजे महंगी होती है और आंकड़ों से ज्यादा ये मायने रखता है की आप क्या खरीद सकते है उन पैसों से।
  • बिहार का गरीबी दर घटा है। 2004-05 में जहां यह 54.4 था वही यह घटकर वर्तमान में 33.74% हो गया। इस तरह से 20.6% की गिरावट दर्ज की गई है। हालाकि यह राष्ट्रीय दर से तीन गुण धीमें कम हुई है।
  • बिहार के लोगों का मासिक, व्यय ग्रामीण इलाकों में 2005 में जहां ₹417 मात्र था वहीं यह वर्तमान में 1127 हो गया है। हालाकि यह देश में सबसे कम मासिक व्यय है, इस तरह से मासिक व्यय में ₹710 की वृद्धि हुई है। पर ये राष्ट्रीय दर से 5 गुना कम है। अगर महगाई के दर से देखे तो ग्रामीण इलाको की गरीबी और ज्यादा बढ़ी है। इसका सबसे बड़ा सबूत है की ज्यादा से ज्यादा लोग गांव में जमीनें बेचकर शहर का रुख कर रहे।
  • बिहार के शहरी लोगों का मासिक खर्चा 2005 में ₹696 था जो वर्तमान में बढ़कर 1507 हो गया है। इस तरह से ₹811 लोग ज्यादा खर्च कर रहे हैं, पर अगर महंगाई के हिसाब से देखे तो मासिक कमाई 2005 से कम हो गई है।
  • इज ऑफ डूइंग बिजनेस में भी बिहार लगातार सुधार किया है। 2015 में बिहार का स्कोर 16.4 था वहीं वर्तमान में बढ़कर 81.91 हो गया है। इस तरह से 65.5 की वृद्धि हुई है।

प्रारंभिक जीवन

नीतीश कुमार का जन्म हरनौत (कल्याण बिगहा) नालन्दा , में एक कुर्मी (अबधिया) परिवार हुआ। उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी थे और आधुनिक बिहार के संस्थापकों में से एक महान गांधीवादी अनुग्रह नारायण सिन्हा के करीब थे। उनके पिता, कविराज राम लखन एक आयुर्वेदिक वैद्य थे। नीतीश कुमार का उपनाम 'मुन्ना' है।

उन्हें 1972 में बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (अब एनआईटी पटना) से विद्युत इंजीनियरिंग में डिग्री मिली। वह बिहार राज्य बिजली बोर्ड में शामिल हुए, आधे मन से, और बाद में राजनीति में चले गए।

राजनैतिक जीवन

नीतीश कुमार बिहार अभियांत्रिकी महाविद्यालय, के छात्र रहे हैं जो अब राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, पटना के नाम से जाना जाता हैं। वहाँ से उन्होंने विद्युत अभियांत्रिकी में उपाधि हासिल की थी। वे १९७४ एवं १९७७ में जयप्रकाश बाबू के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में शामिल रहे थे एवं उस समय के महान समाजसेवी एवं राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी रहे थे।

वे पहली बार बिहार विधानसभा के लिए १९८५ में चुने गये थे। १९८७ में वे युवा लोकदल के अध्यक्ष बने। १९८९ में उन्हें बिहार में जनता दल का सचिव चुना गया और उसी वर्ष वे नौंवी लोकसभा के सदस्य भी चुने गये थे।

१९९० में वे पहली बार केन्द्रीय मंत्रीमंडल में बतौर कृषि राज्यमंत्री शामिल हुए। १९९१ में वे एक बार फिर लोकसभा के लिए चुने गये और उन्हें इस बार जनता दल का राष्ट्रीय सचिव चुना गया तथा संसद में वे जनता दल के उपनेता भी बने। १९८९ और 2000 में उन्होंने बाढ़ लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। १९९८-१९९९ में कुछ समय के लिए वे केन्द्रीय रेल एवं भूतल परिवहन मंत्री भी रहे और अगस्त १९९९ में गैसाल में हुई रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने मंत्रीपद से अपना इस्तीफा दे दिया।

"‘मुझे लोकनायक जयप्रकाश नारायण, छोटे साहब सत्येंद्र नारायण सिन्हा और जननायक कर्पूरी ठाकुर के चरणों में जानने और सीखने का मौका मिला है-" मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

1999 के लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल को भाजपा + जद (यू) गठबंधन के हाथों झटका लगा। नया गठबंधन 324 विधानसभा क्षेत्रों में से 199 पर आगे चलकर उभरा और यह व्यापक रूप से माना जाता था कि बिहार राज्य विधानसभा के आगामी चुनाव में लालू-राबड़ी शासन समाप्त हो जाएगा। राजद ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था, लेकिन गठबंधन ने कांग्रेस के राज्य नेतृत्व को यह विश्वास दिलाने का काम नहीं किया कि चारा घोटाले में लालू प्रसाद का नाम आने के बाद उनकी छवि खराब हो गई थी। नतीजतन, कांग्रेस ने 2000 के विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया। [उद्धरण चाहिए]

राजद को गठबंधन सहयोगी के रूप में कम्युनिस्ट पार्टियों से संतुष्ट होना पड़ा, लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के खेमे में सीट बंटवारे की पहेली ने कुमार को अपनी समता पार्टी को शरद यादव और जनता दल के रामविलास पासवान गुट से बाहर कर दिया। भाजपा और कुमार के बीच मतभेद भी पैदा हुए क्योंकि बाद वाले को बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया जाना था, लेकिन कुमार इसके पक्ष में नहीं थे। पासवान भी सीएम चेहरा बनना चाहते थे। मुस्लिम और ओबीसी भी अपनी राय में विभाजित थे। मुसलमानों के एक वर्ग, जिसमें पसमांदा जैसे गरीब समुदाय शामिल थे, का मानना ​​था कि लालू ने केवल शेख, सैय्यद और पठान जैसे ऊपरी मुसलमानों को मजबूत किया और वे नए विकल्पों की तलाश में थे।

लालू यादव ने मुसलमानों के उद्धारकर्ता के रूप में अपने प्रक्षेपण के बाद से अन्य प्रमुख पिछड़ी जातियों जैसे कोइरी और कुर्मी को भी अलग-थलग कर दिया। संजय कुमार द्वारा यह तर्क दिया जाता है कि यह विश्वास है कि, "कोइरी-कुर्मी की जुड़वां जाति जैसे प्रमुख ओबीसी सत्ता में हिस्सा मांगेंगे यदि वह (यादव) उनका समर्थन मांगते हैं, जबकि मुसलमान केवल सांप्रदायिक दंगों के दौरान सुरक्षा से संतुष्ट रहेंगे। यादव ने उनकी उपेक्षा की। इसके अलावा, दोनों खेमों में विभाजन ने राज्य में राजनीतिक माहौल को एक आवेशपूर्ण बना दिया, जिसमें कई दल बिना किसी सीमा के एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे थे। जद (यू) और भाजपा कुछ सीटों पर एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे थे और समता पार्टी भी। परिणाम भाजपा के लिए एक झटका था, जो मीडिया अभियानों में भारी जीत के साथ उभर रहा था। राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। सन २००० में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने लेकिन उन्हें सिर्फ सात दिनों में त्यागपत्र देना पड़ा। 324 सदस्यीय सदन में एनडीए और सहयोगी दलों के पास 151 विधायक थे जबकि लालू प्रसाद यादव के 159 विधायक थे। दोनों गठबंधन 163 के बहुमत के निशान से कम थे। नीतीश ने सदन में अपनी संख्या साबित करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया। लालू यादव के राजनीतिक पैंतरेबाज़ी से राबड़ी देवी ने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

सन २००० में वे फिर से केन्द्रीय मंत्रीमंडल में कृषि मंत्री बने। मई २००१ से २००४ तक वे बाजपेयी सरकार में केन्द्रीय रेलमंत्री रहे। २००४ के लोकसभा चुनावों में उन्होंने बाढ़ एवं नालंदा से अपना पर्चा दाखिल किया लेकिन वे बाढ़ की सीट हार गये।

नीतीश कुमार: प्रारंभिक जीवन, राजनैतिक जीवन, निजी जीवन 
नीतीश कुमार अपने पैतृक गांव बख्तियारपुर में परिवार के सदस्यों के साथ जाति आधारित सर्वेक्षण के दूसरे चरण का उद्घाटन कर रहे हैं

नवंबर 2005, में राष्ट्रीय जनता दल की बिहार में पंद्रह साल पुरानी सत्ता को उखाड़ फेंकने में सफल हुए और मुख्यमंत्री के रूप में उनकी ताजपोशी हुई। सन् २०१० के बिहार विधानसभा चुनावों में अपनी सरकार द्वारा किये गये विकास कार्यों के आधार पर वे भारी बहुमत से अपने गठबंधन को जीत दिलाने में सफल रहे और पुन: मुख्यमंत्री बने। २०१४ में उन्होनें अपनी पार्टी की संसदीय चुनाव में खराब प्रदर्शन के कारण मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनके छठे कार्यकाल में बिहार जाति आधारित गणना 2023 की शुरुआत हुई।

निजी जीवन

1973 में नीतीश का विवाह मंजू कुमारी सिन्हा से हुआ था। मंजू कुमारी पटना में एक स्कूल में अध्यापिका थीं। उनके पास एक बेटा है, निशांत (जन्म 20 जुलाई 1975), जो बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान-मेसरा से इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। मंजू का 2007 में निधन हो गया था। नीतीश का उपनाम मुन्ना है।

धारित पद

अवधि पद टिप्पणी
1977 जनता पार्टी के टिकट पर पहला चुनाव लड़े।
1985–89 बिहार विधान सभा के सदस्य First term in Legislative Assembly
1986–87 Member, Committee on Petitions, Bihar Legislative Assembly
1987–88 बिहार युवा लोकदल के अध्यक्ष
1987–89 Member, Committee on Public Undertakings, Bihar Legislative Assembly.
1989 जनता दल (बिहार) के महासचिव
1989 ९वीं लोकसभा में निर्वाचित First term in Lok Sabha
1989 - 16 July 1990 Member, House Committee Resigned
April 1990–November 1990 Union Minister of State, Agriculture and Co-operation
1991 Re-elected to दसवीं लोक सभा 2nd term in Lok Sabha
1991–93 General-Secretary, Janata Dal.
Deputy Leader of Janata Dal in Parliament
17 December 1991 – 10 May 1996 Member, Railway Convention Committee
8 April 1993 – 10 May 1996 Chairman, Committee on Agriculture
1996 Re-elected to ग्यारहवीं लोक सभा
Member, Committee on Estimates.
Member, General Purposes Committee.
Member, Joint Committee on the Constitution (Eighty-first Amendment Bill, 1996)
Third term in Lok Sabha
1996–98 Member, Committee on Defence
1998 Re-elected to बारहवीं लोक सभा 4th term in Lok Sabha
19 March 1998 – 5 August 1999 Union Cabinet Minister, Railways
14 April 1998 – 5 August 1999 Union Cabinet Minister, Surface Transport (additional charge)
1999 Re-elected to तेरहवीं लोक सभा 5th term in Lok Sabha
13 October 1999 – 22 November 1999 Union Cabinet Minister, Surface Transport
22 November 1999 – 3 March 2000 Union Cabinet Minister, Agriculture
3 March 2000 – 10 March 2000 Chief Minister, Bihar as 29th Chief Minister of Bihar, only for 7 days
27 May 2000 – 20 March 2001 Union Cabinet Minister, Agriculture
20 March 2001 – 21 July 2001 Union Cabinet Minister, Agriculture, with additional charge of Railways
22 जुलाई 2001 – 21 मई 2004 भारत के रेलवे मन्त्री
2004 Re-elected to चौदहवीं लोकसभा
Member, Committee on Coal & Steel.
Member, General Purposes Committee.
Member, Committee of Privileges.
Leader Janata Dal (U) Parliamentary Party, Lok Sabha
6th term in Lok Sabha
24 नवम्बर 2005 – 24 नवम्बर 2010 बिहार के मुख्यमन्त्री बिहार के ३१वें मुख्यमन्त्री के रूप में
26 नवम्बर 2010 – 17 मई 2014 बिहार के मुख्यमन्त्री बिहार के ३२वें मुख्यमन्त्री के रूप में
22 फरवरी 2015 – 19 नवम्बर 2015 बिहार के मुख्यमन्त्री बिहार के ३४वें मुख्यमन्त्री के रूप में
20 नवम्बर 2015 – 26 जुलाई 2017 बिहार के मुख्यमन्त्री बिहार के ३५वें मुख्यमन्त्री के रूप में
27 जुलाई 2017 बिहार के मुख्यमन्त्री बिहार के ३६वें मुख्यमन्त्री के रूप में
16 नवंबर 2020 - अब तक बिहार के मुख्यमन्त्री बिहार के ३७वें मुख्यमन्त्री के रूप में

भ्रष्टाचार

बिहार को लगातार भारत में सबसे भ्रष्ट राज्य के रूप में स्थान दिया गया है। बिहार जहां 75% नागरिकों ने अपना काम करवाने के लिए रिश्वत देने की बात स्वीकार की है। इसमें से 50 प्रतिशत ने कई बार (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से) रिश्वत दी, जबकि 25 प्रतिशत ने एक या दो बार (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से) रिश्वत दी। बिहार में, 47% ने संपत्ति पंजीकरण और अन्य भूमि मुद्दों के लिए रिश्वत दी, जबकि 6% ने नगर निगम को भुगतान किया। सर्वेक्षण के अनुसार, 29% लोगों ने पुलिस को और 18% लोगों ने बिजली बोर्ड, परिवहन कार्यालय और कर कार्यालय जैसे अन्य लोगों को रिश्वत दी।

बागलपुर पुल ढहना, शिक्षक भर्ती, भूमि और संपत्ति, पुलिस और सरकारी अधिकारी द्वारा रिश्वत। इन सबके कारण बिहार विकास नहीं कर पाया और समृद्धि, निवेश और बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने तथा नौकरी के अवसरों के मामले में अन्य राज्यों से पीछे रह गया।

नीतीश कुमार खुद अपनी पार्टी के नेताओं और राजद नेताओं द्वारा किए गए भ्रष्टाचार पर चुप हैं, यहां तक ​​कि लालू प्रसाद यादव भी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जा चुके हैं

सम्मान एवं पुरस्कार

  • अणुव्रत सम्मान, श्वेतांबर तेरापंथ महासभा (जैन संस्था) द्वारा, बिहार में शराबबंदी लागू करने के लिए, 2017
  • जेपी स्मारक पुरस्कार, नागपुर मानव मंदिर, 2013
  • फॉरेन पॉलिसी मैगजीन के टॉप 100 बैश्विक चिंतक लोगों में 77वें स्थान पर, 2012.
  • XLRI, जमशेदपुर द्वारा, "सर जहाँगीर गांधी मेडल" , 2011.
  • "एमएसएन इंडियन ऑफ दि इयर", 2010"
  • एनडीटीवी इंडियन ऑफ दि इयर – राजनीति, 2010
  • फ़ोर्ब्स "इंडियन पर्सन ऑफ दि इयर", 2010
  • सीएनएन-आईबीएन "इंडियन ऑफ दि इयर अवार्ड" – राजनीति, 2010
  • एनडीटीवी इंडियन ऑफ दि इयर – राजनीति, 2009
  • इकोनॉमिक टाइम्स "बिजनेस रिफार्मर ऑफ दि इयर", 2009
  • 'पोलियो उन्मूलन चैम्पियनशिप अवार्ड' 2009, रोटरी इंटरनेशनल द्वारा
  • सीएनएन-आइबीएन "ग्रेट इंडियन ऑफ दि इयर" अवार्ड – राजनीति, 2008

यह सभी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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