आक्सैलिक अम्ल (Oxalic acid) पोटैसियम और कैल्सियम लवण के रूप में बहुत से पौधों में पाया जाता है। लकड़ी के बुरादे से क्षार के साथ २४०° से २५०° सें.
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के बीच गरम करके आक्सैलिक अम्ल, (COOH)2, बनाया जा सकता है। इस प्रतिक्रिया में सेल्यूलास Ca-COOH-COOH की इकाई आक्सीकृत होकर (COOH)2 का रूप ग्रहण कर लेती है। आक्सैलिक अम्ल को औद्योगिक परिमाण में बनाने के लिए सोडियम फ़ार्मेट को सोडियम हाइड्राक्साइड या कार्बोनेट के साथ गरम किया जाता है। आक्सैलिक अम्ल का कार्बोक्सिल समूह दूसरे कार्बोक्सिल समूह पर प्रेरण प्रभाव डालता है, जिससे इनका आयनीकरण अधिक होता है। आक्सैलिक अम्ल में शक्तिशाली अम्ल के गुण हैं।
पेनीसीलियम और एर्स्पेगिलस फफूंदें शर्करा से आक्सैलिक अम्ल बनाती हैं। यदि कैल्सियम कार्बोनेट डालकर विलयन का पीएच ६-७ के बराबर रखा जाए तो लगभग ९० प्रतिशत शर्करा, कैल्सियम आक्सैलेट में बदल जाती है।
मानव गुर्दे मैं कैल्सियम ऑक्जेलेट के एकत्रित हो जाने के कारण ही पथरी(स्टोन) की बीमारी पैदा होती है।
आक्सैलिक अम्ल पोटैशियम परमैंगनेट द्वारा शीघ्र आक्सीकृत हो जाता है। इस आक्सीकरण में दो अति आक्सीकृत कार्बन के परमाणुओं के बीच का दुर्बल संबंध टूट जाता है तथा कार्बन डाइ-आक्साइड और पानी बनता है। यह प्रतिक्रिया नियमित रूप से होती है और इसका उपयोग आयतनमितीय (वॉल्युमेट्रिक) विश्लेषण में होता है। आक्सैलिक अम्ल के इस अवकारी (रेड्यूसिंग) गुण के कारण इसका उपयोग स्याही के धब्बे छुड़ाने के लिए तथा अन्य अवकारक के रूप में होता है।
आक्सैलिक अम्ल को गरम करने पर यह फार्मिक अम्ल, कार्बन डाइ-आक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड और पानी में विच्छेदित हो जाता है। सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा यह विच्छेदन कम ताप पर ही होता है और इस दिशा में बना फार्मिक अम्ल, कार्बन मोनोक्साइड और पानी में विच्छेदित हो जाता है।
आक्सैलिक अम्ल आठ भाग पानी में विलेय है। १५०° सें. तक गरम करने पर इसका मणिभ जल (वाटर ऑव क्रिस्टैलाइज़ेशन) निकल जाता है। जलयोजित अम्ल का गलनांक १०१° सें. और निर्जलीकृत अम्ल का गलनांक १८९° सें. है। नार्मल ब्यूटाइल ऐलकोहल के साथ आसुत (डिस्टिल) करने पर ब्यूटाइल एस्टर बनता है, जिसका क्वथनांक २४३° सें. है। आक्सैलिक अम्ल के पैरा-नाइट्रोबेंज़ाइल एस्टर का क्वथनांक २०४° सें., ऐनिलाइड का गलनांक २४५° सें. और पैराटोल्यूडाइड का गलनांक २६७° सें. है।
यह कुछ पौधों में पाया जाता है। सोडियम फॉर्मेट को उच्च ताप पर गर्म करके अम्लीकरण करके प्राप्त होता है। यह प्राकृतिक रूप से टमाटर, पालक मे पाया जाता है।
रंजकों रासायनों आदि के बनाने तथा स्याही मिटाने और अभिकर्मक रूप में प्रयुक्त होता है। यह अत्यंत विषैला अम्ल है। अमरूद टमाटर
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