रॉलेट एक्ट

रॉलेट एक्ट को काला कानून भी कहा जाता है। यह 19 मार्च 1919 को भारत की ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में उभर रहे राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के उद्देश्य से निर्मित कानून था। यह कानून सिडनी रौलेट की अध्यक्षता वाली सेडिशन समिति की सिफारिशों के आधार पर बनाया गया था। रॉलेट एक्ट का सरकारी नाम अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम, 1919 (The Anarchical and Revolutionary Crime Act of 1919) था। इस कानून की मुख्य बातें निम्नलिखित थीं - प्रथम विश्वयुद्ध में इंग्लैंड की विजय हुई थी | इस समय ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट एक्ट की घोषणा किया|

अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम, 1919
रॉलेट एक्ट
इम्पेरियल विधान परिषद
स्थिति : निरस्त कर दिया
चित्र:Sidney Arthur Taylor Rowlatt (cropped).jpg
सर सिडनी रौलेट

१) ब्रिटिश सरकार को यह अधिकार प्राप्त हो गया था कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में बिना मुकद्दमा चलाए उसे जेल में बंद कर सके। इस क़ानून के तहत अपराधी को उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाले का नाम जानने का अधिकार भी समाप्त कर दिया गया ।

२) राजद्रोह के मुकद्दमे की सुनवाई के लिए एक अलग न्यायालय स्थापित किया गया ।

३) मुकद्दमे के फैसले के बाद किसी उच्च न्यायालय में अपील करने का अधिकार नहीं था ।

४) राजद्रोह के मुकद्दमे में जजों को बिना जूरी की सहायता से सुनवाई करने का अधिकार प्राप्त हो गया ।

५) सरकार को यह अधिकार मिल गया कि वह बलपूर्वक प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार छीन ले और अपनी इच्छा अनुसार किसी व्यक्ति को कारावास दे दे या देश से निष्कासित कर दे।

वास्तव में क्रांतिकारी गतिविधियों को कुचलने के नाम पर ब्रिटिश सरकार भारतीयों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को समाप्त कर देना चाहती थी। इस कानून द्वारा वह चाहती थी कि भारतीय किसी भी राजनीतिक आंदोलन में भाग न ले।

परिणाम

रौलट एक्ट के विरोध में पूरे देश में विरोध प्रारंभ हो गया। मदन मोहन मालवीय और मोहम्मद अली जिन्ना ने इसके प्रतिवाद में केंद्रीय व्यवस्थापिका के सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। इस कानून को भारतीयों ने काला कानून कहा। इस कानून के विरोध में देशव्यापी हड़तालें, जूलूस और प्रदर्शन होने लगे। ‍

महात्मा गांधी जो अब भारतीय राजनीति के एक प्रमुख व्यक्तित्व बन गए थे वह इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिये। चंपारण, खेड़ा और अहमदाबाद में अपनाए गए सत्याग्रह रूपी हथियार का प्रयोग एक बार फिर उन्होंने रौलट एक्ट के विरोध में करने का निश्चय किया।

महात्मा गाँधीजी ने व्यापक हड़ताल का आह्वान किया। रॉलेट एक्ट गांधीजी के द्वारा किया गया राष्ट्रीय स्तर का प्रथम आंदोलन था। 24 फरवरी 1919 के दिन गांधीजीने मुंबई में एक "सत्याग्रह सभा"का आयोजन किया था और इसी सभा में तय किया गया और कसम ली गई थी की रोलेट एक्ट का विरोध 'सत्य' और 'अहिंसा' के मार्ग पर चलकर किया जाएंँगा। गांधीजी के इस सत्य और अहिंसा के मार्ग का विरोध भी कुछ सुधारवादी नेताओं की ओर से किया गया था, जिसमें सर डि.इ.वादी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, तेज बहादुर सप्रु, श्री निवास शास्त्री जैसे नेता शामिल थे। किन्तु गांधीजी को बड़े पैमाने पर होमरूल लीग के सदस्यों का समर्थन मिला था।

हड़ताल के दौरान दिल्ली आदि कुछ स्थानों पर भारी हिंसा हुई। इस पर गांधी जी ने सत्याग्रह को वापस ले लिया और कहा कि भारत के लोग अभी भी अहिंसा के विषय में दृढ रहने के लिए तैयार नहीं हैं।

13 अप्रैल को सैफुद्दीन किचलू और सत्यपाल की गिरफ्तारी के विरोध में जलियाँवाला बाग में लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई। अमृतसर में तैनात फौजी कमांडर जनरल डायर ने उस भीड़ पर अंधाधुंध गोलियाँ चलवाईं। हजारों लोग मारे गए। भीड़ में महिलाएँ और बच्‍चे भी थे। यह घटना ब्रिटिश हुकूमत के काले अध्‍यायों में से एक है जिसे जालियाँवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाना जाता है jenral dayar ke dawara chalaya gaya yah aandolan tha

इतिहास रालेट एक्ट

26 जनवरी, 1919 को रॉलेट एक्ट की स्थापना हुई थी। इस समिति के द्वारा लगभग 4 महीनों तक “खोज” की गई और रॉलेट समिति की एक रिपोर्ट में भारत के जाबाज देशभक्तों द्वारा स्वतंत्रता के लिए किये गए बड़े-बड़े और छोटे आतंकपूर्ण कार्यों को बढ़ा-चढ़ाकर, बड़े उग्र रूप में प्रस्तुत किया गया था।

नौकरशाही के दमन चक्र, मध्यादेशराज,युद्धकाल में धन एकत्र करने और सिपाहियों की भर्ती में सरकार द्वारा कठोरता बरते जाने के कारण अंग्रेजी शासन के खिलाफ भारतीय जनता में तीव्र असंतोष पनप रहा था। देश भर में उग्रवादी घटनाएं घट रही थीं। इस असंतोष को कुचलने के लिए अंग्रेजी सरकार रौलट एक्ट लेकर आई।

सरकार ने 1916 में न्यायाधीश सिडनी रौलट की अध्यक्षता में एक समिति गठित की, जिसे आतंकवाद को कुचलने के लिए एक प्रभावी योजना का निर्माण करना था। रौलट कमेटी के सुझावों के आधार पर फरवरी 1918 में केंद्रीय विधान परिषद में दो विधेयक पेश किए गए। इनमें से एक विधेयक परिषद के भारतीय सदस्यों के विरोध के बाद भी पास कर दिया गया। इसके आधार पर 1919 ई. में रोलेट एक्ट पारित किया गया गया।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

Rowlatt Act से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है।

Tags:

रॉलेट एक्ट परिणामरॉलेट एक्ट इतिहास रालेट एक्टरॉलेट एक्ट इन्हें भी देखेंरॉलेट एक्ट सन्दर्भरॉलेट एक्ट बाहरी कड़ियाँरॉलेट एक्ट

🔥 Trending searches on Wiki हिन्दी:

एशियाभारतीय आम चुनाव, 2014अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धब्लू बीटल (फ़िल्म)लालबहादुर शास्त्रीराजस्थान के मुख्यमंत्रियों की सूचीभारतीय राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्रियों की सूचीभारत का विभाजनसुरियावाँग्रीनहाउस प्रभावसमान नागरिक संहिताझारखण्डगुर्जरराशियाँजनसंख्या के आधार पर भारत के राज्य और संघ क्षेत्रउज्जैन का महाकालेश्वर मंदिरभारत के चार धामभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसझारखण्ड के जिलेसकल घरेलू उत्पादलड़कीहरे कृष्ण (मंत्र)एककोशिकीय जीवहिंदी साहित्य का इतिहास (पुस्तक)हिन्दू धर्मसत्य नारायण व्रत कथाभारत के प्रधान मंत्रियों की सूचीआईसीसी विश्व ट्वेन्टी २०सोमनाथ मन्दिरबाल वीरख़िलाफ़त आन्दोलनभारतीय थलसेनाअंजीरहनुमान मंदिर, कनॉट प्लेसविष्णुसती प्रथालोकसभा सीटों के आधार पर भारत के राज्यों और संघ क्षेत्रों की सूचीभारत का केन्द्रीय मंत्रिमण्डलसंधि (व्याकरण)भारतीय राज्यों के वर्तमान राज्यपालों की सूचीआवर्त सारणीगेराल्ड कोएत्ज़ीबौद्ध धर्मसूर्य ग्रहणदिल तो पागल हैमहामृत्युञ्जय मन्त्रभ्रष्टाचार (आचरण)खेलउपनिषद्जय जय जय बजरंग बलीउत्तर प्रदेश के ज़िलेनीति आयोगदक्षिण अमेरिकानृत्यस्त्री जननांगडिम्पल यादवसनराइजर्स हैदराबादकोलकाता नाईट राइडर्सशैक्षिक मनोविज्ञाननई शिक्षा नीति 2020आदिकालकारकधर्मभारत की राजभाषा के रूप में हिन्दीशुक्रहस्तमैथुनशिवलिंगभूत-प्रेतअधिगमशिक्षण विधियाँगरुड़ पुराणमूल अधिकार (भारत)अभिज्ञानशाकुन्तलम्अरस्तुभारतीय दण्ड संहितासंयुक्त राज्य अमेरिकाइलूमिनातीजगन्नाथ मन्दिर, पुरी🡆 More