कवितावली मध्यकाल के हिंदी कबी गोस्वामी तुलसीदास के रचना हवे। ई एक किसिम के संग्रह-काव्य चाहे मुक्तक काव्य या निर्बंध काव्य हवे जेह में मुख्य रूप से हिंदू देवता श्री राम के कथा चार किसिम के छंद सभ, सवैया कवित्त, छप्पय, आ झूलना छंद सभ में रचल गइल बा। हिंदी आ अवधी के कबी होखे के बावजूद तुलसीदास के ई रचना साहित्यिक ब्रजभाषा में हवे। शैली आ छंद-बिधान के देख के ई अनुमान लगावल जाला कि एकर रचना एक बेर में ना भइल बलुक समय-समय पर एह छंद सभके रचना तुलसीदास लगातार कइलें आ बाद में इनहन के संग्रह भइल। इहो अनुमान लगावल जाला कि ई तुलसीदास के सभसे परसिद्ध रचना रामचरितमानस के बाद के हवे आ कबी के प्रौढ़ अवस्था के रचना हवे।
लेखक | गोस्वामी तुलसीदास |
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देस | भारत |
भाषा | ब्रजभाषा |
बिसय | राम, बिबिध धार्मिक कबित्त |
बिधा | धार्मिक कविता |
कवितावली में, रामचरित मानसे के नियर सात गो खंड हवें। कयास लगावल जाला कि एह में छह गो के संकलन के रूपरेखा तुलसीदास के बनावल हवे आ सातवाँ खंड बाद में केहू दूसर तुलसी भक्त संकलित कइल हवे। कुछ छंद सभ के प्रमाणित रूप से तुलसी के नाहिंयो मानल जाला।
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