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हैं) वाल्मीकि रामायण के तीन पाठ प्राप्त होते हैः- (१) दाक्षिणात्य पाठ (२) गौडीय पाठ (३) पश्चिमोत्तरीय पाठ या काश्मीरिक संस्करण (अमृत कतक टीका) इन तीन पाठों... |
लीलावती की सोपपत्ति (उपपत्ति सहित) टीका (१८७९) भास्करीय बीजगणित की सोपपत्ति टीका (१८८९) वाराहमिहिर की पंचसिद्धान्तिका की टीका - 'पंचसिद्धान्तिका प्रकाश' नाम... |
सूत्र आदि की व्याख्या के पाँच भेद किए गए हैं : वृत्ति, भाष्य, वार्तिक, टीका और टिप्पणी इनमें से वृत्ति उस व्याख्या को कहते हैं जो कुछ संक्षिप्त होती है और... |
रामभद्राचार्य (अनुभाग टिप्पणियाँ) (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिन्दी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और प्रधान उपनिषदों)... |
रामेश्वरम तीर्थ (श्रेणी रामायण में स्थान) ददृशुर्देवगन्धर्वा नलसेतुं सुदुष्करम्।। :वाल्मीक रामायण (6/22/76) सेतु बनाने में उच्च तकनीकें प्रयोग हुई थी इसके वाल्मीक रामायण में कई प्रमाण हैं, जैसे - पर्वतांर्श्च... |
भक्ति सूत्र पर १९९१ में श्रीराघवकृपाभाष्यम् टीका की रचना की। रामानंद सम्प्रदाय में प्रस्थानत्रयी पर संस्कृत टीका प्रस्तुत करने वाले रामभद्राचार्य द्वितीय... |
रचित मन्वर्थमुक्तावली टीका; (3) नारायण कृत मन्वर्थ विवृत्ति टीका; (4) राघवानन्द कृत मन्वर्थ चन्द्रिका टीका; (5) नन्दन कृत नन्दिनी टीका; (6) गोविन्दराज कृत... |
लिखा भाष्य बहुत संक्षिप्त है। इसमें न कोई व्याकरण संबंधी टिप्पणी है और न ही अन्य कोई टिप्पणी। इसमें एक विशेष बात यह है कि ब्राहमण ग्रंथों से सुन्दर रीति... |
श्रीभार्गवराघवीयम् (अनुभाग आलोचनात्मक टिप्पणियाँ) पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। महाकाव्य की एक प्रति, कवि की स्वयं की हिन्दी टीका के साथ, जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश... |
नारायण पेठ, पुणे; अट्ठाइसवाँ संस्करण-2006, पृ.446.(श्लोक-6 से 8 की टीका एवं संबद्ध टिप्पणी)। भाग.,पूर्ववत्-10.29.14. महाभारत, पूर्ववत्-शांतिपर्व-339.104.... |
देवप्रयाग (अनुभाग टीका टिप्पणी) उपकरण हैं जो इस क्षेत्र में प्राचीन भारतीय प्रगति व ज्ञान की द्योतक हैं। रामायण में लंका विजय उपरांत भगवान राम के वापस लौटने पर जब एक धोबी ने माता सीता... |
महाभारत (अनुभाग सन्दर्भ और टीका) अरण्यकपर्व में एक प्रेम कथा। कृष्णवार्ता : भगवान श्री कृष्ण की कहानी। राम रामायण का अरण्यकपर्व में एक संक्षिप्त रूप। ॠष्य ॠंग एक ॠषि की प्रेम कथा। विष्णुसहस्रनाम... |
अरुन्धती (महाकाव्य) (अनुभाग टिप्पणियाँ) उत्तरकाण्ड से लिया गया है। विश्वामित्र एवं वशिष्ठ के मध्य शत्रुता वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड पर आधारित है। शक्ति एवं पाराशर का जन्म महाभारत तथा विविध ब्राह्मण... |
महानदी (अनुभाग टीका टिप्पणी) का जल पीती थी। अर्थात महाभारत काल में महानदी के तट पर आर्यो का निवास था। रामायण काल में भी पूर्व इक्ष्वाकु वंश के नरेशों ने महानदी के तट पर अपना राज्य स्थापित... |
छत्तीसगढ़ (अनुभाग टीका टिप्पणी) पर्व तथा ब्रह्म पुराण के भारतवर्ष वर्णन प्रकरण में उल्लेख है। वाल्मीकि रामायण में भी छत्तीसगढ़ के बीहड़ वनों तथा महानदी का स्पष्ट विवरण है। स्थित सिहावा... |
गंगा नदी (अनुभाग टीका टिप्पणी) प्रस्तर युग का जन्म और विकास यहाँ होने के अनेक साक्ष्य मिले हैं। इसी घाटी में रामायण और महाभारत कालीन युग का उद्भव और विलय हुआ। शतपथ ब्राह्मण, पंचविश ब्राह्मण... |
महादेवी वर्मा (अनुभाग टीका-टिप्पणी) सिंहासनासीन भगवान की मूर्ति भी लायी थीं वे प्रतिदिन कई घंटे पूजा-पाठ तथा रामायण, गीता एवं विनय पत्रिका का पारायण करती थीं और संगीत में भी उनकी अत्यधिक रुचि... |
वाराणसी (अनुभाग टीका टिप्पणी) शक्ति का ही अवतार मानते हैं। जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने हिन्दू धर्म पर अपनी टीका यहीं आकर लिखी थी, जिसके परिणामस्वरूप हिन्दू पुनर्जागरण हुआ। काशी में वैष्णव... |
नालापत बालमणि अम्मा (अनुभाग टीका-टिप्पणी) प्रस्तुत करने वाले महान कवियों में से एक थे, जिन्होने 1909 में बाल्मीकि रामायण का अनुवाद किया। 1910 में "बधिरविलापम्" नामक विलापकाव्य लिखा। इसके बाद उन्होंने... |
अष्टावक्र (महाकाव्य) (अनुभाग टिप्पणियाँ) प्रकार कुल ८६४ पद हैं। महाकाव्य ऋषि अष्टावक्र की कथा प्रस्तुत करता है, जो कि रामायण और महाभारत आदि हिन्दू ग्रंथों में उपलब्ध है। महाकाव्य की एक प्रति का प्रकाशन... |